हेनरी बैकेरल
अंटोइन हेनरी बैकेरल (१५ दिसम्बर १८५२ - २५ अगस्त १९०८) एक फ्रांसीसी भौतिकशास्त्री, नोबेल पुरस्कार विजेता और मैरी क्यूरी तथा पियरे क्यूरी के साथ रेडियोधर्मिता के अनवेष्क थे, जिसके लिए तीनों को १९०३ में भौतिकी मेंनोबेल पुरस्कार दिया गया।
प्रारंभिक जीवन
बैकेरल पेरिस में एक ऐसे परिवार में पैदा हुए थे जिसने वैज्ञानिकों की चार पीढ़ियाँ जिसमे बैकेरल के बेटे जीन शामिल है, पैदा की। उन्होने इकोल पॉलीतेक्निक में विज्ञान और इकोले देस पोन्टस एट चौसीस में इंजीनियरिंग का अध्ययन किया। १८९० में उन्होने लुईस दिसाइरीज़ लोरियक्ष से शादी कर ली।
कैरियर
१८९२ में, वह राष्ट्रीय संग्रहालय प्राकृतिक इतिहास में भौतिकी की कुर्सी पाने परिवार में तीसरी सदस्य बन गया। १८९४ में, वह पुल और राजमार्ग विभाग के मुख्य इंजीनियर बन गऐ।
१८९६ में, जबकि यूरेनियम लवण में प्रतिदीप्ति की जांच के दौरन, बैकेरल ने अकस्मात रेडियोधर्मिता की खोज की।[1][2]
१९०३ में, सहज रेडियोधर्मिता की खोज में असाधारण सेवाओं की मान्यता में पियरे और मैरी क्यूरी के साथ भौतिकी में नोबेल पुरस्कार साझा प्रदान किया गया।
सम्मान और पुरस्कार
१९०८ में बैकेरल विज्ञान अकादमी के स्थायी सचिव चुने गए।
रेडियोधर्मिता के लिए मानक इकाई, बैकेरल उनके नाम से है। चंद्रमा और मंगल ग्रह पर बैकेरल के नाम से एक गर्त है।
भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार के अलावा उन्हे ये पुरस्कार भी मिले:
- रमफोर्ड पदक
- हेल्म्होल्ट्ज़ पदक
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