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    Wednesday, December 20, 2017

    ZSI for first time compiles list of 157 alien invasive animal species. जूलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ने पहली बार 157 विदेशी आक्रामक प्रजातियों की सूची बनाई:

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    Currentaffairs 19 December 2017 - Hindi / English / Marathi

    Hindi

    जूलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ने पहली बार 157 विदेशी आक्रामक प्रजातियों की सूची बनाई:
    जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जेडएसआई) अथवा भारतीय प्राणी सर्वेक्षण ने अब तक के इतिहास में पहली बार 157 विदेशी आक्रामक प्रजातियों (इन्वेजिव स्पीशीज) की सूची तैयार की है। इस सूची ने इन्वेजिव माइक्रोब प्रजातियों को शामिल नहीं किया गया है।
    जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित इन्वेजिव एलियन प्रजातियों की स्थिति पर राष्ट्रीय सम्मेलन के मौके पर यह संकलन प्रदर्शित किया गया।
    विशेषताएँ:
    जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा कुल 157 सूचीबद्ध प्रजातियों में से 58 भूमि और ताजे पानी के निवास स्थान पर पाए जाते हैं, जबकि 99 समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाते हैं।
    भूमि और ताजे पानी में पाए जाने वाली 58 इन्वेजिव प्रजातियों में 19 प्रजातियां मछली, 31 प्रजातियां आर्थ्रोपोड्स, 3 मॉलस्कैक्स और पक्षियों, 1 सरीसृप और 2 स्तनधारी शामिल हैं।
    विदेशी आक्रामक समुद्री प्रजातियों में, जीनस एसिडिया (genus Ascidia) की सर्वाधिक प्रजातियां (31) हैं, इसके बाद क्रमशः आर्थ्रोपोड्स (26), एनलिड्स (16), निडायरियन (11), ब्रीजोअन्स (6), मोलक्स (5), टीनोफोरा (3), और एन्टोप्रोका (1) का स्थान आता है।
    कुछ प्रमुख आक्रमणकारी प्रजातियाँ:
    पार्थेनियम हिस्टरोफोरस जिसे सामान्य भाषा में कपास घास के नाम से भी जाना जाता है और लान्टैना कैमैरा जैसी कुछ ऐसी प्रमुख विदेशी आक्रामक प्रजातियाँ हैं जो कृषि और जैव विविधता को नुकसान पहुचाने के लिये जानी जाती हैं। अपितु यह प्रजातियाँ सम्पूर्ण मानव जाति के लिए खतरा उतपन्न करती हैं।
    आक्रामक मछली की प्रजातियों में, टेरीगॉप्लिचथिस पर्डलीस अथवा अमेज़ॉन सैलीफिन कैटफिश कोलकाता की आर्द्रभूमि में पाई जाने वाली मछलियों की आबादी को नष्ट कर रही है।

    English


    ZSI for first time compiles list of 157 alien invasive animal species
    The Zoological Survey of India (ZSI) has for the first time compiled a list of alien invasive animal species, totalling 157. This compilation was announced on the sidelines of the National Conference on the Status of Invasive Alien Species in India, organised by the ZSI and the Botanical Survey of India (BSI).
    This number excludes invasive microbe species, out of the 157 species, 58 are found on land and in freshwater habitats, while 99 are in the marine ecosystem.
    Alien Species:
    • According to experts, alien species become ‘invasive’ when they are introduced deliberately or accidentally outside their natural areas, where they out-compete the native species and upset the ecological balance
    • Of the 58 invasive species found on land and in freshwater, there were 31 species of arthropods, 19 of fish, three of molluscs and birds, one reptile and two mammals.
    • Common characteristics of invasive species are rapid reproduction and growth, high dispersal ability, ability to survive on various food types and in a wide range of environmental condition and ability to adapt physiologically to new conditions.
    Some of the alien species are:
    • Paracoccus marginatus (Papaya Mealy Bug) which belongs to Mexico and Central America, but is believed to have destroyed huge crops of papaya in Assam, West Bengal and Tamil Nadu
    • Phenacoccus solenopsis (Cotton Mealybug) is a native of North America but has severely affected cotton crops in the Deccan.
    • Achatina fulica (African apple snail) is said to be most invasive among all alien fauna. It is a mollusc and was first reported in the Andaman and Nicobar Islands.

    Marathi

    ZSI ने प्रथमच 157 अहितकारक प्रजातींची एक सूची तयार केली

    भारतीय वनस्पती सर्वेक्षण (Botanical Survey of India -BSI) आणि भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (Zoological Survey of India -ZSI) नुकतेच एक सर्वेक्षण केले आहे, ज्यामध्ये असे आढळून आले आहे की जगभरातील जैवविविधतेस दुसर्‍या क्रमांकाचे मोठे संकट म्हणून उदयास आलेल्या परग्रहीसदृश्य अहितकारक प्रजातींची संख्या वेगाने वाढत आहे, ज्यात भारताचाही समावेश आहे.  
    हे लक्ष्य जपानमध्ये झालेल्या AICHI येथे स्वीकारण्यात आलेल्या 20 जैवविविधतेसंबंधी लक्ष्यांपैकी एक आहे. त्यानुसार अश्या प्रजातींचे मूळ आणि त्यांचा प्रवाह ओळख पटविण्यासाठी आणि प्राधान्य दिले जावे आणि प्राधान्य असलेल्या प्रजातींचे नियंत्रण व नाश केले पाहिजे, अश्या स्वीकृत बाबीसंबंधी मार्गदर्शके तयार केली जाणार आहेत.
    2020 सालापर्यंत देशामधील या समस्येला हाताळण्यासाठी एक धोरण तयार करण्याच्या दृष्टीने BSI आणि ZSI एकत्र आले आहेत.
    शास्त्रज्ञांच्या अभ्यासाप्रमाणे, आतापर्यंत प्राण्यांच्या अहितकारक 157 प्रजाती ओळखल्या गेल्या आहेत, ज्यापैकी 99 प्रजाती पाण्यात आढळतात तर उर्वरित 58 जमिनीवर वास्तव्य करीत आहेत. 31 विघातक कीटकांमुळे जल-पर्यावरण आणि शेतीवर प्रतिकूल परिणाम होत आहे. या यादीत सूक्ष्मजीवी प्रजातींचा समावेश नाही.
    जमिनीवर आणि गोड्या पाण्यात आढळणार्‍या 58 अहितकारक प्रजातींपैकी आर्थ्रोपॉड (एक कीटक वर्ग) च्या 31 प्रजाती, माश्यांच्या 19 प्रजाती, मोलूस्क (अंगावर कवच असलेल्या) आणि पक्ष्यांच्या तीन प्रजाती तर सरपटणार्‍या प्राण्याची एक आणि दोन सस्तन प्राणी ओळखल्या गेल्या आहेत.
    पार्थेनियम हिस्टेरोफोरस (कापूस गवत) आणि लान्तना कमेरा (लान्ताना) या वनस्पती प्रजाती कृषी आणि जैवविविधतेस हानी पोहचवतात.

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