भारताचे पहिले पंतप्रधान
पंडित जवाहरलाल नेहरू
जन्म : १४ नोवेंबर १८८९ (अलाहाबाद)
मूत्यू : २७ मे १९६४
नाव : पंडित जवाहरलाल नेहरू
महात्मा गांधीच्या विचारधारेशी सावली प्रमाणे उभे राहणारे पंडित जवाहरलाल नेहरू हे प्रेमळ व हाडाचे देशभक्त होते. आपल्या घरच्या ऐश्वर्यापेक्षा देश्याच्या स्वातंत्र्याच्या वैभवावर त्यांचे लक्ष वेधून होते. त्यासाठी त्यांनी अनेक वेळा तुरुंगवास सहन केला. स्वराज्यासाठी त्यांनी सायमन कमिशनला विरोध करण्याच्या कार्यक्रमात लखनौला लाठीमार सहन केला. ते त्यांच्या निर्णयाला शेवट पर्यंत चिकटून राहिले. निस्सीम देशभक्तिमुले ते १९२९ च्या कॉंग्रेस चे अध्यक्ष झाले. त्यांनी स्वातंत्र्यासाठी अहोरात्र कष्ट घेतले. १९४७ ला भारताला स्वतंत्र मिळाले. स्वतंत्र भारताचे ते पहिले पंतप्रधान झाले. १७ वर्ष त्यांनी भारताचे पंतप्रधान म्हणून काम केले. भारताच्या आधुनिक विकासासाठी, देशाला आंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा मिळवण्यासाठी व देशाच्या भवितव्यासाठी त्यांनी स्वताला या कार्यात झोकून दिले.
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देशाप्रमाणे जगाला शांततेचा संदेश देऊन, ” पंचशील” हि लाख मोलाची देणगी जगाला दिली. “शांतीदूत” हि पदवी बहाल करून त्यांना सम्मानित करण्यात आले. ते लहान मुलांवर जीवापाड प्रेम करीत असत. लहान मुले त्यांना खूप आवडत असत. मुले देशाचे भावी आधारस्तंभ आहेत हि जाणीव त्यांच्या ठायी होती. २७ मे १९६४ रोजी या थोर नेत्याने या जगाचा निरोप घेतला व आकाशातील ताऱ्यामधून एक तेजस्वी तारा निखळला
हिंदी माहिती
भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू इंग्लैण्ड गए वहा उनकी मुलाकात ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री चर्चिल से हुई.पिछली बातो को याद कर चर्चिल ने पूछा-आपने अंग्रेजो के शासन में कितने वर्ष जेल में बिताये थे? तब नेहरू जी ने कहा-लगभग 10 वर्ष.तब अपने साथ किये गए व्यवहार के लिए आपको हमसे घृणा करनी चाहिए-चर्चिल ने सवालियां अंदाज में पूछा. नेहरू जी ने उत्तर दिया-बात ऐसी नहीं है.
हमने ऐसे नेता के साथ काम किया है जिसने हमें दो बातें सिखायी है- एक तो यह की किसी से डरो मत और दूसरी,किसी से घृणा मत करो. हम उस समय आपसे डरते नहीं थे, इसलिए अब घृणा भी नहीं करते.
पंडित जवाहरलाल नेहरू एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ-साथ उच्च कोटि के विचारक भी थे. उनकी राजनीति स्वच्छ और सोहार्दपूर्ण थी. स्वतंत्रता संग्राम के समय उन्होंने जेल में रहकर अनेक पुस्तको की रचनाये की. ‘मेरी कहानी,विश्व इतिहास की झलक,भारत की खोज’ उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ थी.राजनीति और प्रशासन की समस्याओ से घिरे रहने के बावजूद वे खेल,संगीत,कला आदि के लिए समय निकल लेते थे.बच्चो के तो वे अति प्रिय थे.आज भी वे बच्चो के बीच ‘चाचा नेहरू’ के नाम से लोकप्रिय है.उनके जन्मदिन 14 नवम्बर को हमारा देश ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाता है.
पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म इलाहाबाद में 14 नवम्बर सन 1889 को हुआ.इनके पिता मोतीलाल नेहरू प्रसिद्ध वकील थे.माता स्वरूपरानी उदार विचारो वाली महिला थी.नेहरू जी की आरम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई.अपने शिक्षको में एक एफ.टी.ब्रुम्स के सानिध्य में रहकर जहाँ इन्होने अंग्रेजी साहित्य और विज्ञान का ज्ञान प्राप्त किया वही मुंशी मुबारक अली ने इनके मन में इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम के प्रति जिज्ञासा पैदा कर दी.यही कारण है की उनके मन में बचपन से ही दासता के प्रति विद्रोह की भावना भर उठी.
उच्च शिक्षा के लिए नेहरू जी को विलायत (इंग्लैंड) भेजा गया.वहां रहकर उन्होंने अनेक पुस्तकों का गहन अध्ययन किया.वकालत की शिक्षा पूरी करने के बाद वे भारत लौट आये और इलाहबाद हाईकोर्ट में वकालत करने लगे पर वकालत में उनका मन नहीं लगा.उनके मन में तो देश को स्वतंत्र कराने की इच्छा बलवती हो रही थी.इसी समय उनकी भेंट महात्मा गाँधी से हुई.इस मुलाकात से उनकी जीवन-धारा ही बदल गयी.
उस समय देश में जगह-जगह अंग्रेजो का विरोध लोग अपने-अपने तरीको से कर रहे थे.1919 में जलियांवाला बाग में अंग्रेज अफसर जनरल डायर द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों की नृशंस हत्या की गयी.इससे पूरे देश में क्रोध की ज्वाला धधक उठी.1920 में गांधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन चलाया गया.पंडित जवाहरलाल नेहरू भी पूर्ण मनोयोग से स्वंतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े.
सन 1921 में इंग्लैण्ड के राजकुमार ‘प्रिन्स ऑफ़ वेल्स’ के भारत आने पर अंग्रेज शासको द्वारा राजकुमार के स्वागत का व्यापक स्तर पर विरोध किया गया.इलाहाबाद में विरोध का नेतृत्व पंडित नेहरू को सौपा गया.इनके साथ पिता मोतीलाल नेहरू भी थे.दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया.यह जवाहर की प्रथम जेल यात्रा थी.इसके बाद उन्हें नौ बार जेल यात्रा करनी पड़ी,किन्तु वे विचलित नहीं हुए.
सन 1921 में इंग्लैण्ड के राजकुमार ‘प्रिन्स ऑफ़ वेल्स’ के भारत आने पर अंग्रेज शासको द्वारा राजकुमार के स्वागत का व्यापक स्तर पर विरोध किया गया.इलाहाबाद में विरोध का नेतृत्व पंडित नेहरू को सौपा गया.इनके साथ पिता मोतीलाल नेहरू भी थे.दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया.यह जवाहर की प्रथम जेल यात्रा थी.इसके बाद उन्हें नौ बार जेल यात्रा करनी पड़ी,किन्तु वे विचलित नहीं हुए.
लम्बे संघर्ष के बाद अंततः 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ.पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने.लम्बी अवधि की परतन्त्रता के बाद देश के आर्थिक हालत अत्यंत जर्जर हो चुकी थी.अपनी दूरदर्शिता और कर्मठता से नेहरू ने कृषि और उद्योगों के विकास हेतू पंचवर्षीय योजनाओ की आधारशिला रखी.
आज देश में जो बड़े-बड़े कारखाने,वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं और विशाल बांध आदि दिखाई पड़ते है,इन्ही पंचवर्षीय योजनाओ की देन है.भाखड़ा नांगल बांध को देखकर नेहरू जी ने कहा था-
आज देश में जो बड़े-बड़े कारखाने,वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं और विशाल बांध आदि दिखाई पड़ते है,इन्ही पंचवर्षीय योजनाओ की देन है.भाखड़ा नांगल बांध को देखकर नेहरू जी ने कहा था-
मनुष्य का सबसे बड़ा तीर्थ,मंदिर,मस्जिद और गुरुद्वारा वही है,जहाँ इन्सान की भलाई के लिए काम होता है.
नेहरू जी ने देश के चहुंमुखी विकास हेतू अनेक कार्य किये वे जानते थे की बिना अणुशक्ति के देश शक्ति संपन्न नहीं हो सकता.अतः उन्होंने परमाणु आयोग की स्थापना की.वे परमाणु ऊर्जा को सदैव विकास के कार्यो में लगाने के पक्षधर थे.ट्राम्बे के परमाणु संस्थान में उन्होंने एक बार कहा था-
चाहे जो भी हो,हम किसी भी हालत में अणुशक्ति का प्रयोग विनाशकारी कार्यो के लिए नहीं करेंगे.
चाहे जो भी हो,हम किसी भी हालत में अणुशक्ति का प्रयोग विनाशकारी कार्यो के लिए नहीं करेंगे.
पंडित जवाहरलाल नेहरू बिना थके प्रतिदिन 18 से 20 घंटे कार्य करते थे.महान कवि राबर्ट फ्रॉस्ट की निम्नलिखित पंक्तियाँ उनका आदर्श थी-
वन है सुन्दर और सघन पर मुझको वचन निभाना है
नींद सताए इसके पहले कोसों जाना है,
मुझको कोसों जाना है.
वन है सुन्दर और सघन पर मुझको वचन निभाना है
नींद सताए इसके पहले कोसों जाना है,
मुझको कोसों जाना है.
नेहरू जी ने अपने जीवन का प्रत्येक क्षण देश सेवा में लगाया.वे स्वतन्त्रता संग्राम में देश के लिए लड़े और देश को विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में समर्थ बनाया. 75 वर्ष की आयु में 27 मई 1964 को अस्वस्थ होने के कारण उनका निधन हो गया.उन्होंने इच्छा व्यक्त की थी मृत्यु के बाद उनकी चिता की भस्म खेतो में बिखेर दी जाये. नेहरू जी की इस इच्छा का पूरा सम्मान किया गया.
देश के इस महान सपूत के कार्य और विचार आज भी हमारा पथ प्रशस्त कर रहे है.
Jawaharlal Nehru, the first Prime minister of India, was born in Kashmiri Pandit family. He was born on November 14, 1889 at Allahabad. His father Motilal Nehru was a famous lawyer of his time. Their huge home at Allahabad was called ‘Anand Bhawan’ , now renamed as ‘Swaraj Bhawan’.
देश के इस महान सपूत के कार्य और विचार आज भी हमारा पथ प्रशस्त कर रहे है.
इंग्रजी माहिती
Nehru was educated privately first at his own home. Then he went to a boarding school in England, Harrow. After getting his law degree, he came back to India in 1912. He was married to Kamla Kaul in 1916.
Jawahar Lal Nehru attended all the Congress session regularly, and later became its general secretary for many years. He adopted Gandhiji as his mentor.
Nehruji was totally involved in the freedom struggle of India. He went to jail many times, Spending a total of about 14 years behind bars. Nehru was also interested in history and literature. He wrote books like ‘Glimpses of World History’ and ‘Discovery of India’.
When India became Independent, Jawaharlal Nehru was chosen as its Prime Minister. To ensure world peace, he started the Non-Aligned Movement and also presented a proposal called Panchsheel. The loss of India in her wars against China left Nehru a weak man. His health began to fail. He died on May 27, 1964, after serving India for all of his life.
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