दैनिक सामान्य ज्ञान | Daily General Knowledge:
निवडणूक बंध योजना | Electoral Bond Scheme | इलेक्टोरल बॉन्ड
निवडणूक बंध योजना
भारतीय निवडणूक प्रक्रिया अधिक पारदर्शी करण्याच्या उद्देशाने, भारत सरकारने एका राजपत्रित अधिसूचनेद्वारे ‘निवडणूक बंध योजना 2018’ (Electoral Bond Scheme) अधिसूचित केली.निवडणूक निधीच्या व्यवस्थेला पारदर्शी बनविण्याच्या उद्देशाने सादर करण्यात आलेल्या निवडणूक बंध योजनेंतर्गत बंधच्या पहिल्या श्रृंखलेची विक्री 1 मार्च 2018 रोजी सुरू करण्यात आली. सन 2018 याच्या पहिल्या तिमाहीसाठी, निवडणूक बंधांची पहिली विक्री 1 मार्चपासून 10 मार्च 2018 पर्यंत झाली.
योजनेच्या तरतुदीनुसार,
- निवडणूक बंध केवळ भारताचा नागरीक एकटा किंवा जोडीने खरेदी करू शकतो.
- निधीदात्याला हे बंध भारतीय स्टेट बँकेच्या (SBI) शाखांमार्फत खरेदी करता येतात. यामार्फत प्राप्त होणारी रक्कम संबंधित पक्षाच्या अधिकृत बँक खात्यात जमा होते.
- लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 च्या कलम 29अ अन्वये केवळ नोंदणीकृत राजकीय पक्षच आणि शेवटच्या सार्वत्रिक निवडणूकीत किंवा राज्याच्या विधानसभा निवडणुकीत 1% पेक्षा अधिक मते मिळविलेल्या पक्षांनाच या योजनेचा लाभ मिळू शकतो.
- हे बंध खरेदी केल्याच्या तारखेपासून पंधरा दिवसांसाठी वैध असतात आणि वैधता कालावधी संपल्यानंतर निवडणूक बंध जमा केल्यास कोणत्याही आवाहक राजकीय पक्षाला पैसे दिले जात नाही.
- पात्र राजकीय पक्षाने त्याच्या खात्यात जमा केलेल्या निवडणूक बंधची रक्कम त्याच दिवशी खात्यात जमा करण्यात येते.
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Electoral Bond Scheme
Electoral Bond Scheme was introduced during the 2017 Budget which aims to ensure accountability to donations made to major political parties.What is Electoral Bond?
An electoral bond is designed to be a bearer instrument like a Promissory Note — in effect, it will be similar to a bank note that is payable to the bearer on demand and free of interest.It can be purchased by any citizen of India or a body incorporated in India.
The bonds will be issued in multiples of ₹1,000, ₹10,000, ₹1 lakh, ₹10 lakh and ₹1 crore and will be available at specified branches of State Bank of India.
They can be bought by the donor with a KYC-compliant account. Donors can donate the bonds to their party of choice which can then be cashed in via the party's verified account within 15 days.
Conditions:
Every party that is registered under section 29A of the Representation of the Peoples Act, 1951 and has secured at least one per cent of the votes polled in the most recent Lok Sabha or State election will be allotted a verified account by the Election Commission of India.Electoral bond transactions can be made only via this account.
The bonds will be available for purchase for a period of 10 days each in the beginning of every quarter, i.e. in January, April, July and October as specified by the Central Government.
An additional period of 30 days shall be specified by the Central Government in the year of Lok Sabha elections.
इलेक्टोरल बॉन्ड
चर्चा में क्यों : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम 2018 को लेकर सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर रोक लगाने और मुख्य रिट पिटीशन की पेंडेंसी के दौरान फाइनेंस एक्ट 2017 के जरिए किए गए कुछ संशोधनों को लेकर दायर याचिका पर यह नोटिस जारी किया है।जाने क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड?
इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक दलों की फंडिग की व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए बनाया गया एक वचन पत्र है जिसे भारतीय रिजर्व बैंक जारी करता है। इलेक्टोरल बॉन्ड बैंक नोट की तरह ही होते हैं, जिसके मानकों का पालन राजनीतिक दलों को चंदा देने वाले से फंड लेने के दौरान करना होता है।
इलेक्टोरल बॉन्ड ब्याज मुक्त होते हैं। इन्हें किसी भी भारतीय नागरिक या भारतीय संस्था द्वारा भारतीय स्टेट बैंक की अधिकृत शाखाओं से खरीदा जा सकता है।
2017 के यूनियन बजट में इलेक्टोरल बॉन्ड की स्कीम की घोषणा के बाद इन्हें पहली बार 1 मार्च 2018 को दान कर्ताओं द्वारा खरीदने के लिए जारी किया गया था। इस दौरान कई राज्यों में चंदादाताओं इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे।
इनका इस्तेमाल पिछले लोकसभा चुनावों में 1 प्रतिशत या उससे ज्यादा वोट पाने वाले राजनीतिक दलों को फंड देने के लिए किया जा सकता है।
इलेक्टोरल बॉन्ड के तीन हिस्से-
- पहला, डोनर जो राजनीतिक दलों को चंदा देना चाहता है। वह कोई व्यक्ति, संस्था या कंपनी हो सकती है।
- दूसरा, देश के राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दल जो इसके जरिए चंदा लेते हैं।
- तीसरा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जिसके तहत ये पूरी व्यवस्था है।
- राजनीतिक चंदे की व्यवस्था में पारदर्शिता का दावा
- दान कर्ताओं को किसी प्रकार के उत्पीड़न से सुरक्षा मिलेगी
- तीसरे पक्ष के सामने जानकारी का कोई खुलासा नहीं होगा
- चंदे पर कर अवलोकन की निगरानी होगी
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