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    Sunday, June 3, 2018

    Increasing incidents of Child Rape and POCSO बच्चों के साथ यौन अपराध और पॉक्सो: बालकांवरील बलात्काराच्या वाढत्या घटना आणि POCSO

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    Currentaffairs 3 June 2018 Hindi/English/Marathi

    करेंट अफेयर्स 3 जून 2018 हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
    / currentaffairs

    Increasing incidents of Child Rape and POCSO
    बच्चों के साथ यौन अपराध और पॉक्सो:

    बालकांवरील बलात्काराच्या वाढत्या घटना आणि POCSO


    हिंदी


    बच्चों के साथ यौन अपराध और पॉक्सो:
    बच्चों के साथ आए दिन यौन शोषण और छेड़खानी की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं जोकि समाज और देश के लिये अत्यंत चिंता का विषय है। गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों में कहा गया है कि वर्ष 2015 से 2016 के बीच देश में ऐसे मामलों में 11 फीसदी की वृद्धि हुई है।
    भारत में प्रत्येक दिन लगभग 290 बच्चे विभिन्न अपराधों के शिकार हो रहे हैं। बीते दो वर्षों के दौरान तो ऐसे मामलों में चार गुनी वृद्धि हुई है। सामाजिक और गैर-सरकारी संगठनों ने इस स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए इस समस्या पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाने की बात कही है। उनका दावा है कि ऐसे हजारों मामले पुलिस तक नहीं पहुंच पाते। असली स्थिति और ज्यादा गंभीर है।
    आकंड़े:
    वर्ष 2001 से 2016 के बीच भारत में बच्चों के विरुद्ध अपराध के 595089 मामले दर्ज किये गए। इनमें से 290553 यानी 49 प्रतिशत मामले तो आखिरी तीन सालों (2014 से 2016) में ही दर्ज हुए। वर्ष 2013 और 2014 के बीच बच्चों के प्रति अपराध के मामलों में 54 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई।
    वर्ष 2001 से 2016 के बीच के सोलह वर्षों में भारत में बच्चों के बलात्कार और यौन अपराध के कुल 1,53,701 मामले दर्ज किए गए। जहां बच्चों से बलात्कार और गंभीर यौन उत्पीडन (पॉक्सो के तहत) सबसे ज़्यादा मामले दर्ज हुए हैं, उनमें मध्य प्रदेश (23,659-15%), उत्तर प्रदेश (22,171-14%), महाराष्ट्र (18,307-12%), छत्तीसगढ़ (9,076-6%) और दिल्ली (7,825-5%) शामिल हैं।
    बढ़ते यौन अपराध:
    भारत में प्रत्येक 10 बच्चों में एक बच्चा यौन शोषण का शिकार होता है। यहां प्रत्येक 155 मिनट में 16 साल से कम उम्र के एक बच्चे का रेप होता है जबकि हर 13वें घंटे में दस साल के कम उम्र के बच्चे के साथ दुष्कर्म होता है। विशेषज्ञों के अनुसार बाल यौन शोषण की बढ़ती घटनाएं काफी गंभीर विषय हैं जो बच्चों के मष्तिष्क पर गहरा दुष्प्रभाव डालती है।
    यह भी एक बड़ा तथ्य है कि बच्चों के साथ यौन शोषण और छेड़खानी की 90 फीसदी घटनाएं परिचितों द्वारा ही होती है और वे रिश्तेदारों, परिवारजनों और पड़ौसियों द्वारा ही शोषण का शिकार होते हैं। बच्चों को यदि शुरु से ही गुड टच और बैड टच के बारे में बताया जाए तो इस तरह की घटनाओं पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है।
    प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट (पॉक्सो):
    पॉक्सो एक्ट-2012 को बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न और यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे जघन्य अपराधों को रोकने के लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बनाया था। वर्ष 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है।
    देश में बच्चियों के साथ बढ़ते यौन अपराधों को रोकने के लिए 'पॉक्सो ऐक्ट-2012' में संशोधन किया गया है, जिसके तहत अब 12 साल तक की बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजा मिलेगी। सरकार की ओर से रखे गए इस प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी अप्रैल 2018 में मिल गई है। अब सरकार इसके लिए अध्यादेश लाएगी।
    पॉक्सो एक्ट की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किए जाते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है, इस धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर 5 से 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
    पॉक्सो एक्ट की धारा 3 के तहत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को भी परिभाषित किया गया है। जिसमें बच्चे के शरीर के साथ किसी भी तरह की हरकत करने वाले शख्स को कड़ी सजा का प्रावधान है।
    इस एक्ट को बनाना इसलिए भी जरूरी था क्योंकि बच्चे बहुत ही मासूम होते हैं और आसानी से लोगों के बहकाबे में आ जाते हैं। कई बार तो बच्चे डर के कारण उनके साथ हुए शोषण को माता पिता को बताते भी नही है।
    पॉक्सो कनून के तहत सभी अपराधों की सुनवाई, एक विशेष न्यायालय द्वारा कैमरे के सामने बच्चे के माता पिता या जिन लोगों पर बच्चा भरोसा करता है, उनकी उपस्थिति में की कोशिश करनी चाहिए।
    यदि अभियुक्त एक किशोर है, तो उसके ऊपर किशोर न्यायालय अधिनियम, 2000 (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) में मुकदमा चलाया जाएगा।
    पोक्सो के अंतर्गत बच्चों के खिलाफ यौन अपराध के 6118 मामले 2012 से 2016 के बीच दर्ज किये गए हैं। इसमें 85% मामले अभी भी कोर्ट में लंबित पड़े हुए है जबकि अपराधी को सजा मिलने की दर सिर्फ 2% है जो कि किसी भी तरह से ठीक नही ठहराया जा सकता है।




    इंग्लिश


    Increasing incidents of Child Rape and POCSO
    Why in News: The Union cabinet cleared the ordinance on POCSO act. The ordinance will give the death penalty to those convicted of raping a child up to 12 years of age. As per reports, the Centre has cleared the criminal law amendment ordinance and POCSO Act is a part of this amendment. The demand for the death penalty to child rapists took centre stage after the two separate cases of gangrape and murder emerged from Jammu’s Kathua and Uttar Pradesh’s Unnao.
    What is POSCO(The Protection of Children from Sexual Offenses Act): It defines a child as a person under age of 18 years. It encompasses the biological age of the child and silent on the mental age considerations.
    It recognizes forms of penetration other than penile-vaginal penetration and criminalizes acts of immodesty against children too. The act is gender-neutral. With respect to pornography, the Act criminalizes even watching or collection of pornographic content involving children. The Act makes abetment of child sexual abuse an offence. It also provides for various procedural reforms, making the tiring process of trial in India considerably easier for children. The Act also criminalise consensual sexual intercourse between two people below the age of 18. The 2001 version of the Bill did not punish consensual sexual activity if one or both partners were above 16 years.
    Why ordinance is a need ?
    Tracking down sexual crimes has proved difficult because — as pointed out by National Crime Records Bureau reports since 2014 — in over 90% of such crimes, the perpetrators are known to the victim. A report of the Parliamentary Standing Committee on Home Affairs noted that, “child sexual abuse and related crimes remain overwhelmingly under-reported due to the associated stigma and propensity of parents/guardians to not involve the police in these matters”.
    Is death penalty the only solution?
    The demand for death penalty for sexual crimes stems primarily from a society’s desire for revenge, not redress. A growing body of literature now emphasizes that the death penalty is not a deterrent against any kind of crime — better policing, social welfare and effective implementation of the due processes are needed.
    Some crimes are so heinous and inherently wrong that they demand strict penalties – up to and including life sentences or even death.
    Opponents [of the death penalty] wrongly equate retribution and revenge, because they both would inflict pain and suffering on those who have inflicted pain and suffering on us.
    Whereas revenge knows no bounds, retribution must be limited, proportional and appropriately directed: The retributive punishment fits the crime.







    मराठी


    बालकांवरील बलात्काराच्या वाढत्या घटना आणि POCSO

    केंद्रीय मानवी हक्क संघटनांनी लहान मुला-मुलींवर होणार्‍या बलात्कारच्या वाढत्या घटनांबाबत चिंता व्यक्त केली आहे. त्यांच्या आकडेवारीनुसार, केवळ गेल्या तीन महिन्यांमध्येच, संपूर्ण देशभरात 99 मुलं-मुली बलात्काराचे बळी पडले.
    बहुतेक शोषणकर्ते बळी पडलेल्या बालकाच्या आसपास असणारी व्यक्ती असल्याने सामाजिक निषेध किंवा इभ्रतीच्या अश्या भीतीमुळे अनेक प्रकरणे दडपली गेलेली आहेत. मात्र प्रसारमाध्यमांकडून प्रसारित बातम्यांमध्ये अनोळखी व्यक्तींनी घडवलेल्या घटनांचेच वर्चस्व आहे, जो सर्व घटनांचा एक छोटा भाग आहे. वास्तविक परिस्थिती खूपच खराब आहे.
    म्हणूनच अश्या घटनांबाबत जागरूक राहण्यासाठी पालक आणि मुलांमध्ये सामाजिक जागृती वाढवली गेली पाहिजे आणि सशक्त कायद्याची तरतूद करणे आवश्यक झाले आहे. त्यामुळे भारत सरकारने POCSO कायदा तयार केलेला आहे.
    POCSO कायदा
    लहान मुलांवर होणारे लैंगिक अत्याचार थांबवण्यासाठी भारत सरकारने 2012 साली बाल लैंगिक शोषण प्रतिबंधक कायदा (Protection of children from Sexual Offenses Act -POCSO) आणला.
    या कायद्यानुसार -
    • फक्त अत्याचार करणाराच नाही, तर ज्याला अत्याचाराची माहिती असूनही तक्रार दाखल करत नाही तोही आरोपी आहे.  मुलावर अत्याचार करणे, बलात्कार करणे यासोबत  त्याची अश्लील चित्रफीत बनवणे हादेखील गुन्ह्यास पात्र आहे.
    • या खटल्याची सुनावणी विशेष न्यायालयात होते आणि ती 1 वर्षात संपविणे बंधनकारक आहे.
    • कमीतकमी 10 वर्ष तर जास्तीजास्त जन्मठेपेच्या शिक्षेची तरतूद यात आहे.
    • कायद्याच्या अंमलबजावणीसाठी ‘POCSO ई-बॉक्‍स’ ही एक ऑनलाइन तक्रार व्यवस्थापन यंत्रणा कार्यरत आहे.
    एप्रिल 2018 मध्ये POCSO मध्ये बदल करण्यासाठी अध्यादेश काढण्याचा निर्णय घेण्यात आला. यानुसार, 12 वर्षाखालील वय असलेल्या मुला-मुलींवर बलात्कार करणार्‍याला मृत्यूदंडाची शिक्षा दिली जाऊ शकते.
    अध्यादेशात 16 वर्षांखालील मुलींवरील बलात्काराच्या घटनांमधील दोषींना कठोर शिक्षा करणे आणि 12 वर्षांखालील मुलींवर बलात्कार करणाऱ्यांना जन्मठेपेची किंवा मृत्युदंडाची शिक्षा देण्याची तरतूद असेल. सुधारानुसार, 16 वर्षाखालील मुलीवर बलात्काराच्या घटनांमधील दोषींना आता 20 वर्षांपर्यंत (पूर्वी 10 वर्ष) शिक्षा होईल. ही शिक्षा जन्मठेपेसाठी वाढवली जाऊ शकते.






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