करेंट अफेयर्स १७ एप्रिल २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
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अमेरिका ने भारतीय मुद्रा को निगरानी सूची में डाला:
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने भारत को 13 अप्रैल 2018 को उस निगरानी सूची में डाल दिया है, जिसमें ऐसे देश शामिल हैं, जिनकी विनिमय दर नीति पर उसे संदेह है। इस सूची में चीन समेत चार अन्य देश भी शामिल हैं।
प्रमुख तथ्य:
अमेरिका ट्रेजरी ने कहा कि निगरानी सूची में उन देशों को शामिल गया जाता है, जो बड़े व्यापारिक साझेदार हैं और जिनकी विनिमय दर पर ध्यान देने की जरूरत है। इसमें भारत को जोड़ा गया है। जबकि पिछले साल अक्तूबर में अर्ध वार्षिक रिपोर्ट के वक्त कांग्रेस ने इसमें चीन, जापान, जर्मनी, कोरिया और स्विट्जरलैंड शामिल किए थे।
अमेरिका दो रिपोर्ट तक इस सूची में देशों को रखता है, जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि देशों के प्रदर्शन में सुधार अस्थाई नहीं बल्कि स्थाई कारणों से है।
हालांकि अमेरिका का कहना है कि उन्हें कोई बड़ा व्यापारिक साझेदारी देश नहीं मिला है, जिसने अपनी मुद्रा से छेड़छाड़ की है, लेकिन दो अन्य मानकों के कारण पांच अन्य देश इस सूची में शामिल हैं। वहीं चीन को इस सूची में इसलिए डाला गया है क्योंकि अमेरिका के व्यापार घाटे में उसका बड़ा हिस्सा है।
ट्रेजरी विभाग के निष्कर्ष तीन प्रमुख मानदंडों पर आधारित हैं: (1) संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष, (2) एक भौतिक चालू खाता अधिशेष, और (3) विदेशी मुद्रा बाजार में लगातार एक तरफा हस्तक्षेप।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत का संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय माल व्यापार अधिशेष है, जो कुल 2017 में 23 अरब डॉलर था।
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्टीवन नूचिन ने कहा कि सरकार इस व्यापार घाटे के सुधार के लिए काम करेगी। अनुचित मुद्रा नीतियों पर नजर रखेगी जाएगी और उनसे निपटा जाएगा।
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने भारत को 13 अप्रैल 2018 को उस निगरानी सूची में डाल दिया है, जिसमें ऐसे देश शामिल हैं, जिनकी विनिमय दर नीति पर उसे संदेह है। इस सूची में चीन समेत चार अन्य देश भी शामिल हैं।
प्रमुख तथ्य:
अमेरिका ट्रेजरी ने कहा कि निगरानी सूची में उन देशों को शामिल गया जाता है, जो बड़े व्यापारिक साझेदार हैं और जिनकी विनिमय दर पर ध्यान देने की जरूरत है। इसमें भारत को जोड़ा गया है। जबकि पिछले साल अक्तूबर में अर्ध वार्षिक रिपोर्ट के वक्त कांग्रेस ने इसमें चीन, जापान, जर्मनी, कोरिया और स्विट्जरलैंड शामिल किए थे।
अमेरिका दो रिपोर्ट तक इस सूची में देशों को रखता है, जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि देशों के प्रदर्शन में सुधार अस्थाई नहीं बल्कि स्थाई कारणों से है।
हालांकि अमेरिका का कहना है कि उन्हें कोई बड़ा व्यापारिक साझेदारी देश नहीं मिला है, जिसने अपनी मुद्रा से छेड़छाड़ की है, लेकिन दो अन्य मानकों के कारण पांच अन्य देश इस सूची में शामिल हैं। वहीं चीन को इस सूची में इसलिए डाला गया है क्योंकि अमेरिका के व्यापार घाटे में उसका बड़ा हिस्सा है।
ट्रेजरी विभाग के निष्कर्ष तीन प्रमुख मानदंडों पर आधारित हैं: (1) संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष, (2) एक भौतिक चालू खाता अधिशेष, और (3) विदेशी मुद्रा बाजार में लगातार एक तरफा हस्तक्षेप।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत का संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय माल व्यापार अधिशेष है, जो कुल 2017 में 23 अरब डॉलर था।
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्टीवन नूचिन ने कहा कि सरकार इस व्यापार घाटे के सुधार के लिए काम करेगी। अनुचित मुद्रा नीतियों पर नजर रखेगी जाएगी और उनसे निपटा जाएगा।
इंग्लिश
US puts India on Currency Watch list
The US Treasury has recently announced that Indian currency will be included in their Currency Watchlist. The US Treasury has sighted two reasons for that; trade surplus and increased purchase of foreign currency. The USA has included 6 countries including India in the watchlist; China, Japan, South Korea and Switzerland.
Currency Watchlist
The US treasury includes the currency in their Currency Wathclist on three criteria:
- A bilateral trade surplus of at least $20 billion
- A current account surplus of 3 percent of gross domestic product or more
- Foreign exchange intervention of at least 2 percent of GDP in the past year.
- Although India enjoys a trade surplus with the U.S. Overall, India has Current Account Deficit.
- It’s also been running a current account shortfall for more than a decade and hence fails to meet this criteria.
- India has seen large foreign exchange inflows over the past few years given the relatively high yields on its assets and a pickup in foreign direct investment. That’s enabled the Reserve Bank of India to build reserves to more than $420 billion.
- The central bank conducted net purchases of foreign exchange to the tune of $56 billion in 2017. It accounts for 2.2% of GDP. SO it falls under the criteria of Currency watchlist.
- India has bi-lateral trade surplus with the US at $28 billion.
- While India meets this criteria, its addition to the currency watchlist comes at a time when trade relations between China and the U.S. are under strain.
- India raised tariffs on a number of imports in its budget presented in February 2018, while the U.S. has approached the World Trade Organization against India’s export subsidy program apart from threatening tit-for-tat reprisals on tariffs.
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