करेंट अफेयर्स ३० जनवरी २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
Union Budget 2017-18 Series 3: Key Takeaways from Economic Survey 2017
Union Finance Minister Arun Jaitley presented the Economic Survey 2017-18 in the Parliament. The Survey providing panorama of Indian economy condition in the previous year, estimates the economic growth for the fiscal year 2018-19 between 7% and 7.5% while flagging concerns over rising crude oil price.
Macroeconomic Indicators
ठळक बाबी
हिंदी
केंद्रीय बजट 2017-18 सीरीज 3: आर्थिक सर्वेक्षण 2017 के मुख्य बिंदु:
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने 29 जनवरी 2018 को संसद के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 प्रस्तुत किया। पिछले वर्ष के दौरान किए गए अनेक प्रमुख सुधारों से इस वित्त वर्ष में जीडीपी बढ़कर 6.75 प्रतिशत और 2018-19 में 7.0 से 7.5 प्रतिशत होगी, जिसके कारण भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में पुन:स्थापित होगी।
इसका उल्लेख आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में किया गया है जिसे माननीय वित्त और कारपोरेट मामले मंत्री, अरुण जेटली ने आज संसद में प्रस्तुत किया था। सर्वेक्षण में यह उल्लेख किया गया है कि 2017-18 में किए गए सुधारों को 2018-19 में और अधिक सुदृढ़ किया जा सकता है।
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट से जुड़े प्रमुख बिंदु:
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने 29 जनवरी 2018 को संसद के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 प्रस्तुत किया। पिछले वर्ष के दौरान किए गए अनेक प्रमुख सुधारों से इस वित्त वर्ष में जीडीपी बढ़कर 6.75 प्रतिशत और 2018-19 में 7.0 से 7.5 प्रतिशत होगी, जिसके कारण भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में पुन:स्थापित होगी।
इसका उल्लेख आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में किया गया है जिसे माननीय वित्त और कारपोरेट मामले मंत्री, अरुण जेटली ने आज संसद में प्रस्तुत किया था। सर्वेक्षण में यह उल्लेख किया गया है कि 2017-18 में किए गए सुधारों को 2018-19 में और अधिक सुदृढ़ किया जा सकता है।
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट से जुड़े प्रमुख बिंदु:
- रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा वित्तीय वर्ष में जीडीपी की रफ्तार 6.75 फीसद रह सकती है, जबकि सरकारी अनुमान 6.5 प्रतिशत था।
- इस साल चालू खाता घाटा (करंट अकाउंट डेफिसिट) 1.5 से लेकर 2 फीसद तक रह सकता है।
- 2017-18 में कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्रों में क्रमश: 2.1 प्रतिशत, 4.4 प्रतिशत और 8.3 प्रतिशत दर की वृद्धि होने की उम्मीद है।
- सर्वेक्षण में यह वर्णन किया गया है कि भारत को विश्व में सबसे अच्छा निष्पादन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक माना जा सकता है, क्योंकि पिछले तीन वर्षों के दौरान औसत विकास दर वैश्विक विकास दर की तुलना में लगभग 4 प्रतिशत अधिक है और उभरते बाजार एवं विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में लगभग 3 प्रतिशत अधिक है।
- सर्वेक्षण यह दर्शाता है कि 2014-15 से 2017-18 की अवधि के लिए जीडीपी विकास दर औसतन 7.3 प्रतिशत रही है, जो कि विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में सर्वाधिक है।
- 018 में विश्व विकास दर में मामूली सुधार आने की संभावना के साथ जीएसटी में बढ़ते स्थायित्व, निवेश स्तरों में संभावित रिकवरी तथा अन्य बातों के साथ चालू ढांचागत सुधारों से उच्च विकास दर प्राप्त किए जाने की संभावना है। समग्र रूप से, देश की अर्थव्यवस्था के निष्पादन में 2018-19 में सुधार आना चाहिए।
- 2017-18 के दौरान देश में मुद्रास्फीति की दर मध्यम रही। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर 3.3 फीसदी रही, जो कि पिछले छह वर्षों में सबसे कम है।
- वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए राजकोषीय घाटा 3.2 फीसद रहने का अनुमान। बजट पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में यह भी कहा गया है कि कुल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आवक में 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई अर्थात यह पिछले वर्ष के 55.56 बिलियन डॉलर की तुलना में 2016-17 के दौरान 60.08 बिलियन डॉलर हो गया।
- 2017-18 (अप्रैल-सितंबर) में कुल एफडीआई की आवक 33.75 बिलियन डॉलर की रही।
- लघु अवधि फसल ऋण पर किसानों को प्रदान की जाने वाली ब्याज सहायता से उत्पन्न होने वाली विभिन्न देयताओं को पूरा करने के लिए 2017-18 में भारत सरकार द्वारा 20,339 करोड़ रुपये की धनराशि अनुमोदित की गई है।
- भारत के सेवा क्षेत्र ने वर्ष 2016-17 में 5.7 प्रतिशत की निर्यात वृद्धि दर दर्ज की थी। वर्ष 2017-18 की अप्रैल-सितंबर अवधि के दौरान सेवा निर्यात और सेवा आयात में क्रमश: 16.2 तथा 17.4 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई।
- 2017-18 (अप्रैल-अक्टूबर) के दौरान सेवा क्षेत्र में एफडीआई इक्विटी प्रवाह में 15.0 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
- अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- निर्यात में शीर्ष एक प्रतिशत भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी केवल 38 प्रतिशत आंकी गई है।
- सर्वेक्षण 2017-18 में पाया गया है कि अनेक आयामों विशिष्ट रूप से रोजगार और प्रतिवर्ती गर्भनिरोधक के प्रयोग पर भारत को अन्य देशों के समान होने के लिए कुछ सुधार करना पड़ेगा।
इंग्लिश
Union Budget 2017-18 Series 3: Key Takeaways from Economic Survey 2017
Union Finance Minister Arun Jaitley presented the Economic Survey 2017-18 in the Parliament. The Survey providing panorama of Indian economy condition in the previous year, estimates the economic growth for the fiscal year 2018-19 between 7% and 7.5% while flagging concerns over rising crude oil price.
Macroeconomic Indicators
- The GDP growth rate for the fiscal year 2017-2018 is pegged at 6.75% while the government estimate was at 6.5%.
- The Indian economy is expected to grow between 7% and 7.5% according to the survey and the International Monetary Fund (IMF) estimated India’s growth at 7.4% in the current year 2018.
- Services growth for FY18 is pegged to be 8.3%, Agriculture growth is pegged at 2.1%, while the Industry growth rate was pegged at 4.4%.
- Current account deficit is expected to be 1.5-2% of the GDP this fiscal and export growth is pegged at 12.1%.
- The Survey noted that five States — Maharashtra, Gujarat, Karnataka, Tamil Nadu and Telangana — account for 70% of India’s exports.
- The Economic Survey notes that Investment infrastructure by 2049 would be of order US $4.5 trillion
- On the Goods and Service Tax (GST) implementation, the survey indicates 50% increase in number of indirect taxpayers, besides a large increase in voluntary registrations, especially by small enterprises that buy from large enterprises and want to avail themselves of Input Tax Credits (ITCs).
- There were 9.8 million unique GST registrants, an increase by 3.4 million compared to the previous tax regime.
- While Maharashtra, UP, Tamil Nadu and Gujarat have the maximum number of GST registrants, West Bengal has seen the largest increase in the number of tax registrants.
- While the share of renewables has trebled in the last 10 years, it stands only at 18% in the total installed capacity of electricity in the country.
- The Survey blames four factors for rising pollution in the National Capital Region — crop residue and biomass burning, vehicular emissions, redistributed road dust from industries and power plants, and winter temperature inversion due to lack of humidity and absence of wind.
- The Survey suggests short-, medium- and long-term solutions to combat air pollution. The suggestions range from levying fines to improving public transport to using technologies such as Happy Seeder machines and satellite mapping.
- The Survey has observed that the growing rural to urban migration by men has led to ‘feminisation’ of the agriculture sector. There has been a substantial rise in the number of women in multiple roles as cultivators, entrepreneurs, and labourers.
- An ‘inclusive transformative agricultural policy’ should aim at gender-specific intervention to raise productivity of small farm holdings, integrate women as active agents in rural transformation, and engage men and women in extension services with gender expertise.
- Expanding judicial capacity in lower courts to reduce the burden in higher judiciary.
- Tax department can exercise greater self-restraint by limiting appeals.
- Increasing state expenditure on the judiciary, especially on modernisation and digitisation.
- Creation of subject- or stage-specific Benches in High Court just like Supreme Court.
- Prioritising stayed cases and imposing stricter timelines.
- Improving Courts Case Management and Court Automation Systems.
- The quality of hygiene and sanitation had a significant impact on improving the health outcomes. The Swachh Bharat Mission has increased the sanitation coverage in rural India from 39% in 2014 to 76% in January 2018.
- Eight States and two Union Territories have been declared Open Defecation Free (ODF). Today, more than 90% of individuals have access to toilets.
- Quoting a UNICEF report, the Survey has said a household in an ODF village saves up to Rs. 50,000 every year.
मराठी
केंद्रीय अर्थसंकल्प शृंखला भाग-3: आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18
केंद्रीय वित्त व कॉरपोरेट व्यवहार मंत्री अरुण जेटली यांनी 29 जानेवारी 2018 रोजी संसदेपुढे आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 सादर केले.ठळक बाबी
- वित्त वर्ष 2017-18 मध्ये सकल देशांतर्गत उत्पन्न (GDP) वाढून 6.75% आणि वर्ष 2018-19 मध्ये 7.0-7.5% इतका असणार. त्यामुळे भारत जगातली वेगाने वाढणारी प्रमुख अर्थव्यवस्था म्हणून पुन्हा एकदा उदयास येणार.
- स्थायी प्राथमिक किंमतीवर सकल मूल्यवर्धन (GVA) मध्ये वर्ष 2016-17 मधील 6.6% च्या तुलनेत वर्ष 2017-18 मध्ये 6.1% दराने वाढ होण्याचा अंदाज आहे. याप्रकारे वर्ष 2017-18 मध्ये कृषी, उद्योग आणि सेवा क्षेत्रात अनुक्रमे 2.1%, 4.4% आणि 8.3% दराने वाढ होण्याचा अंदाज आहे.
- दोन वर्ष नकारात्मक स्तरावर असूनही, वर्ष 2016-17 दरम्यान निर्यातीमध्ये वाढ सकारात्मक स्तरावर आली होती आणि वर्ष 2017-18 मध्ये यामध्ये वेगाने वाढ अपेक्षित केले गेले. मात्र, आयातीमध्ये किंचित वाढ दिसूनही वस्तू आणि सेवा यांच्या शुद्ध निर्यातीमध्ये वर्ष 2017-18 मध्ये घट होण्याचा अंदाज आहे.
- मागील तीन वर्षांमध्ये सरासरी विकास दर जागतिक विकास दराच्या तुलनेत जवळपास 4% अधिक आहे आणि उदयोन्मुख बाजारपेठ आणि विकसनशील अर्थव्यवस्थांच्या तुलनेत जवळपास 3% अधिक आहे.
- वित्त वर्ष 2014-15 ते वित्त वर्ष 2017-18 या कालावधीसाठी GDP विकास दर सरासरी 7.3% राहिला आहे, जो जगातील प्रमुख अर्थव्यवस्थांच्या तुलनेत सर्वाधिक आहे.
- वित्त वर्ष 2017-18 दरम्यान देशामध्ये महागाई दर मध्यम आहे. ग्राहक मूल्य निर्देशांक (CPI) वर आधारित महागाई दर 3.3% होता, जो मागील सह वर्षांमध्ये सर्वाधिक कमी आहे.
- औद्योगिक उत्पादन निर्देशांक (IIP), जो की 2011-12 च्या आधारभूत वर्षासोबत एक घनफळ प्रकारचा निर्देशांक आहे, वित्त वर्ष 2017-18 दरम्यान एप्रिल-नोव्हेंबर दरम्यान औद्योगिक उत्पादनात 3.2% ची वाढ दर्शवली गेली. IIP ने 10.2% च्या विनिर्माण वृद्धीसह 8.4% चा 25 महिन्यांचा उच्च वृद्धीदर नोंदवला.
- कोळसा, कच्चे तेल, नैसर्गिक वायू, पेट्रोलियम, रिफाइनरी उत्पादने, खाते, पोलाद, सीमेंट आणि वीज या आठ प्रमुख उद्योगांमध्ये एप्रिल 17 - नोव्हेंबर 17 दरम्यान 3.9% एकत्र वृद्धी नोंदवली गेली.
- वर्ष 2017-18 मध्ये एकूण थेट विदेशी गुंतवणूक (FDI) आवकमध्ये 8% वृद्धी झाली, जे वर्ष 2016-17 मधील $55.56 अब्जच्या तुलनेत वर्ष 2016-17 दरम्यान $60.08 अब्ज झाले. वर्ष 2017-18 (एप्रिल-सप्टेंबर) दरम्यान एकूण FDI आवक $33.75 अब्ज झाली.
- रेल्वेच्या बाबतीत, वर्ष 2017-18 (सप्टेंबर 2017 पर्यंत) दरम्यान भारतीय रेल्वेने 558.10 दशलक्ष टन मालाची वाहतूक केली, जी तुलनेने मागील वर्षी समान कालावधीत 531.23 दशलक्ष टन एवढी होती. वर्तमानात 425 किलोमीटर लांबीची मेट्रो रेल प्रणाली कार्यरत आहे आणि विविध क्षेत्रात 684 किलोमीटर मेट्रो रेल रुळाचे काम चालू आहे. सागरमाला योजनेंतर्गत 2.17 लाख कोटी रुपये खर्चाची 289 प्रकल्प बांधकामाच्या विविध टप्प्यांवर आहेत.
- दूरसंचार क्षेत्रात ‘भारत नेट’ आणि ‘डिजिटल इंडिया’ यासारख्या कार्यक्रमांच्या माध्यमातून सप्टेंबर 2017 पर्यंत एकूण मोबाइल जोडणी संख्या 1207.04 दशलक्ष होती. त्यामध्ये 501.99 दशलक्ष ग्रामीण क्षेत्रात आणि 705.05 दशलक्ष शहरी क्षेत्रात आहेत.
- हवाई वाहतूक क्षेत्रात, वर्ष 2017-18 मध्ये देशांतर्गत हवाई प्रवाश्यांची संख्या 57.5 दशलक्ष होती, जी मागील वर्षाच्या तुलनेत 16% अधिक आहे.
- ऊर्जा क्षेत्रात, भारताची ऊर्जा क्षमता 3,30,860.6 MW झालेली आहे. सप्टेंबर 2017 मध्ये एक नवी योजना सौभाग्य (प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना) चा शुभारंभ केला गेला. या योजनेसाठी 16,320 कोटी रुपयांचा निधी निश्चित केला गेला आहे.
- वर्ष 2009-14 या कालावधीत वार्षिक वैज्ञानिक प्रकाशनाचा वृद्धीदर जवळपास 14% होता. SCOPUS माहितीच्या अनुसार, यामध्ये वर्ष 2009-14 या कालावधीत जागतिक प्रकाशनांमध्ये भारताची भागीदारी 3.1% वरुन 4.4% झाली. WIPO अनुसार, भारत जगातला 7 वा मोठा पेटेंट फाइलिंग ऑफिस आहे. वर्ष 2015 मध्ये भारतात 45,658 पेटेंट नोंदवले गेलेत.
- वस्तू व सेवा कर (GST) च्या बाबतीत, अप्रत्यक्ष करदात्यांच्या संख्येत 50% नी वाढ झाली, भारतातील औपचारिक क्षेत्रात वाढ झाली, स्वेच्छा नोंदणीमध्ये मोठी वाढ झाली, निर्यात संबंधी प्रदर्शन आणि राज्यांमधील जीवनमान यांच्यात मजबूत समन्वयित संबंध आढळून आले. वर्ष 2017-18 मध्ये सामाजिक सेवांवर खर्च 6.6% आहे. चालू खात्यातील तूट GDP च्या 1.5-2% अपेक्षित आहे.
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