करेंट अफेयर्स २६ जनवरी २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
India ranked lowly 177 in Environment Performance Index 2018
According to a biennial report by Yale and Columbia Universities along with the World Economic Forum I India is among the bottom five countries on the Environmental Performance Index 2018. While India is at the bottom of the list in the environmental health category, it ranks 178 out of 180 as far as air quality is concerned.
Environment Condition In India
Environmental Performance Index (EPI):
Environmental Performance Index (EPI) is calculated on the basis of data gathered from 24 individual metrics of environmental performance. These 24 individual metrics are then aggregated into a hierarchy that begins with 10 major environmental issues categories.
10 श्रेणीत विविध 24 मुद्द्यांवर संशोधन करून हा अहवाल तयार केला गेला आहे. यामध्ये वायूची गुणवत्ता, जल व स्वच्छता, कार्बन उत्सर्जन तीव्रता (GDP च्या प्रति संयंत्र उत्सर्जन), जंगलतोड आणि सांडपाण्यावर उपचार प्रक्रिया या बाबींचा समावेश आहे.
ठळक बाबी
हा निर्देशांक शासनाद्वारे त्याच्या क्षेत्रात राबवविलेल्या पर्यावरण सुधारणा कार्यक्रम आणि त्याच्याशी संबंधित धोरणांचे आकलन करते. हा अहवाल पहिल्यांदा वर्ष 2002 मध्ये प्रकाशित करण्यात आला होता.
हा अहवाल येल विद्यापीठ आणि कोलंबिया विद्यापीठ यांच्याद्वारे तयार केला जातो. यामध्ये जागतिक आर्थिक मंच (WEF) आणि जॉइंट रिसर्च सेंटर ऑफ यूरोपियन कमिशन देखील सामील असतात.
हिंदी
भारत वैश्विक पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक 2018 में 177वें स्थान पर:
स्विट्ज़रलैंड के दावोस में जारी किये गए वैश्विक पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई) रिपोर्ट में भारत विश्व के कई देशों के मुकाबले निचले स्तर पर है। इस सूचकांक में कुल 180 देशों को शामिल किया गया जिसमें भारत अंतिम पांच देशों की सूची में शामिल है।
वर्ष 2016 में 141वें स्थान के मुकाबले भारत के स्थान में 36 अंकों की गिरावट आयी है। येल और कोलंबिया विश्वविद्यालयों की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी।
प्रमुख तथ्य:
वैश्विक पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक की रिपोर्ट में 10 श्रेणियों के अलग-अलग 24 मुद्दों पर रिसर्च करके तैयार की गई है। इसमें वायु की गुणवत्ता, जल एवं स्वच्छता, कार्बन उत्सर्जन तीव्रता (जीडीपी के प्रति इकाई उत्सर्जन), जंगलों की कटाई और अपशिष्ट जल उपचार शामिल हैं।
भारत पर्यावरण स्वास्थ्य वर्ग की सूची में सबसे निचले स्थान पर है, जबकि उसने वायु गुणवत्ता के मामले में 180 में से 178वां स्थान हासिल किया। उसकी कुल मिलाकर कम रैंकिंग (180 में से 177वां स्थान) पर्यावरण स्वास्थ्य नीति और वायु प्रदूषण से मौत वर्गों में खराब प्रदर्शन को लेकर है।
इसमें कहा गया कि अतिसूक्ष्म पीएम 2.5 प्रदूषक के कारण मरने वालों की संख्या बीते दशक में बढ़ी है। एक अनुमान के अनुसार, यह भारत में 16 लाख 40 हजार 113 सालाना है।
एनवायरन्मेंटल परफॉरमेंस इंडेक्स में स्विट्जरलैंड पहले नंबर पर है। इसके बाद फ्रांस, डेनमार्क, माल्टा और स्वीडन का नंबर है। सूचकांक की रिपोर्ट में कहा गया है कि पब्लिक हेल्थ के लिए खराब पर्यावरण सबसे बड़ा खतरा है।
येल और कोलंबिया विश्वविद्यालय की ओर से संयुक्त रूप से तैयार की गई इस द्विवार्षिकी रिपोर्ट में भारत और बंग्लादेश, बुरुंडी, कांगो गणराज्य और नेपाल के साथ सूची में निचले स्तर के पांच देशों में शामिल है। इस सूची में चीन 120वें पायदान पर है, जबकि पाकिस्तान 169वें स्थान पर।
वैश्विक पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक:
यह सूचकांक राज्य द्वारा उस क्षेत्र में किये गये पर्यावरण सुधार कार्यक्रमों तथा उससे संबंधित नीतियों का आकलन करता है। इस रिपोर्ट का पहली बार वर्ष 2002 में प्रकाशन हुआ था तथा उन लक्ष्यों की पूर्ति का आकलन किया गया जिन्हें संयुक्त राष्ट्र ने सतत विकास के लक्ष्यों में निर्धारित किया है।
स्विट्ज़रलैंड के दावोस में जारी किये गए वैश्विक पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई) रिपोर्ट में भारत विश्व के कई देशों के मुकाबले निचले स्तर पर है। इस सूचकांक में कुल 180 देशों को शामिल किया गया जिसमें भारत अंतिम पांच देशों की सूची में शामिल है।
वर्ष 2016 में 141वें स्थान के मुकाबले भारत के स्थान में 36 अंकों की गिरावट आयी है। येल और कोलंबिया विश्वविद्यालयों की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी।
प्रमुख तथ्य:
वैश्विक पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक की रिपोर्ट में 10 श्रेणियों के अलग-अलग 24 मुद्दों पर रिसर्च करके तैयार की गई है। इसमें वायु की गुणवत्ता, जल एवं स्वच्छता, कार्बन उत्सर्जन तीव्रता (जीडीपी के प्रति इकाई उत्सर्जन), जंगलों की कटाई और अपशिष्ट जल उपचार शामिल हैं।
भारत पर्यावरण स्वास्थ्य वर्ग की सूची में सबसे निचले स्थान पर है, जबकि उसने वायु गुणवत्ता के मामले में 180 में से 178वां स्थान हासिल किया। उसकी कुल मिलाकर कम रैंकिंग (180 में से 177वां स्थान) पर्यावरण स्वास्थ्य नीति और वायु प्रदूषण से मौत वर्गों में खराब प्रदर्शन को लेकर है।
इसमें कहा गया कि अतिसूक्ष्म पीएम 2.5 प्रदूषक के कारण मरने वालों की संख्या बीते दशक में बढ़ी है। एक अनुमान के अनुसार, यह भारत में 16 लाख 40 हजार 113 सालाना है।
एनवायरन्मेंटल परफॉरमेंस इंडेक्स में स्विट्जरलैंड पहले नंबर पर है। इसके बाद फ्रांस, डेनमार्क, माल्टा और स्वीडन का नंबर है। सूचकांक की रिपोर्ट में कहा गया है कि पब्लिक हेल्थ के लिए खराब पर्यावरण सबसे बड़ा खतरा है।
येल और कोलंबिया विश्वविद्यालय की ओर से संयुक्त रूप से तैयार की गई इस द्विवार्षिकी रिपोर्ट में भारत और बंग्लादेश, बुरुंडी, कांगो गणराज्य और नेपाल के साथ सूची में निचले स्तर के पांच देशों में शामिल है। इस सूची में चीन 120वें पायदान पर है, जबकि पाकिस्तान 169वें स्थान पर।
वैश्विक पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक:
यह सूचकांक राज्य द्वारा उस क्षेत्र में किये गये पर्यावरण सुधार कार्यक्रमों तथा उससे संबंधित नीतियों का आकलन करता है। इस रिपोर्ट का पहली बार वर्ष 2002 में प्रकाशन हुआ था तथा उन लक्ष्यों की पूर्ति का आकलन किया गया जिन्हें संयुक्त राष्ट्र ने सतत विकास के लक्ष्यों में निर्धारित किया है।
इंग्लिश
India ranked lowly 177 in Environment Performance Index 2018
According to a biennial report by Yale and Columbia Universities along with the World Economic Forum I India is among the bottom five countries on the Environmental Performance Index 2018. While India is at the bottom of the list in the environmental health category, it ranks 178 out of 180 as far as air quality is concerned.
Environment Condition In India
- Due to poor performance in the environment health policy and deaths due to air pollution categories, India is overall low ranking — 177 among 180 countries. India’s low scores are influenced by poor performance in in the Environmental Health policy objective.
- Deaths attributed to ultra-fine PM2.5 pollutants have risen over the past decade and are estimated at 1,640,113 annually in India.
- Despite government action, pollution from solid fuels, coal and crop residue burning, and emissions from motor vehicles continue to severely degrade the air quality for millions of Indians.
- Overall, India (at 177) and Bangladesh (179) come in near the bottom of the rankings, with Burundi, Democratic Republic of the Congo and Nepal rounding out the bottom five.
- Switzerland leads the world in sustainability, followed by France, Denmark, Malta and Sweden in the EPI, which found that air quality is the leading environmental threat to public health.
Environmental Performance Index (EPI):
Environmental Performance Index (EPI) is calculated on the basis of data gathered from 24 individual metrics of environmental performance. These 24 individual metrics are then aggregated into a hierarchy that begins with 10 major environmental issues categories.
मराठी
‘एनवायर्नमेंट परफॉर्मन्स इंडेक्स-2018’ मध्ये भारताचा 177 वा क्रमांक
वैश्विक एनवायर्नमेंट परफॉर्मन्स इंडेक्स (EPI-2018) अहवालानुसार, याबाबतीत भारत यादीच्या तळाशी आढळून आला आहे. यादीत एकूण 180 देशांना समाविष्ट केले गेले आहे, ज्यामध्ये भारत 177 व्या स्थानी आहे.10 श्रेणीत विविध 24 मुद्द्यांवर संशोधन करून हा अहवाल तयार केला गेला आहे. यामध्ये वायूची गुणवत्ता, जल व स्वच्छता, कार्बन उत्सर्जन तीव्रता (GDP च्या प्रति संयंत्र उत्सर्जन), जंगलतोड आणि सांडपाण्यावर उपचार प्रक्रिया या बाबींचा समावेश आहे.
ठळक बाबी
- पर्यावरणाच्या संरक्षणासाठी नियमित प्रयत्न करणार्या देशांमध्ये स्वित्झर्लंड प्रथम स्थानी आहे. त्यानंतर फ्रांस, डेनमार्क, माल्टा आणि स्वीडन यांचे शीर्ष 5 मध्ये स्थाने आहे.
- यादीत शेवटच्या पाच देशांमध्ये भारत, बांग्लादेश, बुरुंडी, कांगो प्रजासत्ताक आणि नेपाळ यांचा समावेश आहे.
- भारताच्या शेजारी राष्ट्रांचा - चीन आणि पाकिस्तानचा क्रम यादीत अनुक्रमे 120 आणि 169 वा आहे.
- चीन आणि भारतासारख्या उदयोन्मुख अर्थव्यवस्थांमध्ये पर्यावरणावर लोकसंख्या वाढीचा भार आणि वेगाने वाढणार्या आर्थिक परिस्थितीचा भार दिसून येत आहे.
- वायूची गुणवत्ता हे सार्वजनिक आरोग्यासाठी एक प्रमुख कारण म्हणून उदयास आले आहे. वर्ष 2016 मध्ये, इन्स्टिट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स अँड इव्हॅल्यूएशन यांच्या अहवालानुसार, संपूर्ण वर्षभरात पर्यावरणाशी संबंधित मृत्यू आणि आलेले अपंगत्व यांच्या प्रमाणामध्ये वायू प्रदूषनामुळे झालेल्या मृत्युचे प्रमाण जवळपास दोन तृतीयांश इतके आहे.
- अतिसूक्ष्म PM2.5 कणामुळे मरणार्यांची संख्या गेल्या दशकात वाढलेली आहे. एका अंदाजानुसार, भारतात वायू प्रदूषणामुळे 16,40,113 मृत्यू वर्षाला होतात.
- भारत सरकारची कारवाई असूनही, घन इंधनापासून होणारे प्रदूषण, कोळसा आणि पीकांचे अवशेष जाळण्यामुळे होणारे प्रदूषण आणि मोटार वाहनांमधून होणाऱ्या उत्सर्जनामुळे देशातील हवेची गुणवत्ता खालावलेली आहे. भारताच्या पर्यावरण मंत्रालयाकडून कोणतीही त्वरित प्रतिक्रिया उपलब्ध नाही.
हा निर्देशांक शासनाद्वारे त्याच्या क्षेत्रात राबवविलेल्या पर्यावरण सुधारणा कार्यक्रम आणि त्याच्याशी संबंधित धोरणांचे आकलन करते. हा अहवाल पहिल्यांदा वर्ष 2002 मध्ये प्रकाशित करण्यात आला होता.
हा अहवाल येल विद्यापीठ आणि कोलंबिया विद्यापीठ यांच्याद्वारे तयार केला जातो. यामध्ये जागतिक आर्थिक मंच (WEF) आणि जॉइंट रिसर्च सेंटर ऑफ यूरोपियन कमिशन देखील सामील असतात.
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