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Hindi
आईएसए संधि-आधारित अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन बनेगा:गिनी द्वारा 15वें देश के रूप में 6 नवम्बर, 2017 को समझौते के प्रारूप के अनुमोदन के बाद अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन 06 दिसम्बर, 2017 से एक संधि आधारित अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन बन जाएगा। इसका मुख्यालय भारत में होगा। संगठन का सचिवालय हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान के परिसर में स्थापित किया गया है।आईएसए का गठन:आईएसए की स्थापना भारत की पहल के उपरांत हुई है। इसकी शुरुआत संयुक्त रूप से पेरिस में 30 नवम्बर, 2015 को संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के दौरान सीओपी-21 से अलग भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति ने की थी।उद्देश्य:इस संगठन का उद्देश्य सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करना है। साथ ही ऐसे देश जो पूरी तरह या आंशिक तौर पर कर्क रेखा और मकर रेखा के मार्ग में पड़ते है एवं सौर ऊर्जा के मामले में समृद्ध हैं, उनसे बेहतर तालमेल के जरिए सौर ऊर्जा की मांग को पूरा करना है। आईएसए के समझौता प्रारूप पर अब तक 46 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं एवं 19 देशों ने इसका अनुमोदन किया है।हस्ताक्षर करने वाले देश:ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, बेनिन, ब्राजील, बुर्किना फासो, कंबोडिया, चिली, कोस्टा रिका, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, कोमोरोस, कोत दिव्वार, जिबूती, क्यूबा, डोमिनिकन गणराज्य, इथोपिया, इक्वेटोरियल गयाना, फिजी, फ्रांस, गैबॉन गणराज्य, घाना, गिनी, गिनी बिसाउ, भारत, किरिबाती, लाइबेरिया, मेडागास्कर, मलावी, माली, मॉरीशस, नाउरू, नाइजर, नाइजीरिया, पेरू, रवांडा, सेनेगल, सेशेल्स, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सूडान, तंज़ानिया, टोंगा, टोगोलीज़ गणराज्य, तुवालु, संयुक्त अरब अमीरात, वानूअतू और वेनेजुएला।अनुमोदन करने वाले देश:भारत, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, कोमोरोस, क्यूबा, फिजी, गिनी, घाना, मलावी, माली, मॉरीशस, नाउरू, नाइजर, पेरू, सेशेल्स, सोमालिया, दक्षिण सूडान और तुवालु।आईएसए के अंतरिम सचिवालय ने 25 जनवरी, 2016 को काम करना शुरू कर दिया था। इसके तहत कृषि के क्षेत्र में सौर ऊर्जा का प्रयोग, व्यापक स्तर पर किफायती ऋण, सौर मिनी ग्रिड की स्थापना ये तीन कार्यक्रम प्रारंभ किए गए थे। इन कार्यक्रमों से सदस्य देशों में सौर ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करना एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।तीन मौजूदा कार्यक्रमों के अलावा आईएसए की योजना दो और कार्यक्रमों को प्रारंभ करने की है। ये कार्यक्रम हैं- छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्रों को बढ़ावा देना और सौर ऊर्जा का भंडारण तथा ई-गतिशीलता। भारत ने आईएसए सचिवालय के शुरूआती 5 वर्षों के खर्च को वहन करने का प्रस्ताव दिया है।फ्रांस की सरकार ने आईएसए सदस्य देशों में सौर संबंधी परियोजनाओं के लिए 300 मिलियन यूरो का सॉफ्ट लोन निर्धारित किया है।
English
ISA becomes a Treaty-based International Intergovernmental organization
In terms of its Framework Agreement, with ratification by Guinea as the 15th country on 6th November 2017, the International Solar Alliance (ISA) will become a treaty-based international intergovernmental organization tomorrow on 6th December 2017. The ISA, headquartered in India, has its Secretariat located in the campus of National Institute of Solar Energy, Gwalpahari, Gurgaon, Haryana.
ISA:
The ISA is an Indian initiative, jointly launched by the Prime Minister of India, Narendra Modi and the President of France on 30th November 2015 in Paris, on the sidelines of COP-21, the UN Climate Conference. It aims at addressing obstacles to deployment at scale of solar energy through better harmonization and aggregation of demand from solar rich countries lying fully or partially between the Tropic of Cancer and Tropic of Capricorn.
ISA Interim Secretariat has been operational as a de-facto organization since 25th January, 2016. Three programmes - Scaling Solar Applications for Agriculture Use, Affordable Finance at Scale, and Scaling Solar Mini-grids - have been launched. These programmes will help in achieving the overall goal of increasing solar energy deployment in the ISA member countries for achieving universal energy access and speeding up economic development. In addition to the existing 3 programmes, ISA has initiated plans to launch two more programmes: Scaling Solar Rooftops and Scaling Solar E-mobility and Storage.
ISA has also been developing a Common Risk Mitigating Mechanism (CRMM) for de-risking and reducing the financial cost of solar projects in the ISA member countries. The instrument will help diversify and pool risks on mutual public resources and unlock significant investments. An international expert group has been working on the blue print of the mechanism and it will be rolled out by December 2018.
The Paris Declaration establishing ISA states that the countries share the collective ambition to undertake innovative and concerted efforts for reducing the cost of finance and cost of technology for immediate deployment solar generation assets. This will help pave the way for future solar generation, storage and good technologies for each prospective member countries’ individual needs, by effectively mobilizing more than US$1000 billion in investments that will be required by 2030.
Ratifying Countries (19):
India, France, Australia, Bangladesh, Comoros, Cuba, Fiji, Guinea, Ghana, Malawi, Mali, Mauritius, Nauru, Niger, Peru, Seychelles, Somalia, South Sudan, and Tuvalu.
In terms of its Framework Agreement, with ratification by Guinea as the 15th country on 6th November 2017, the International Solar Alliance (ISA) will become a treaty-based international intergovernmental organization tomorrow on 6th December 2017. The ISA, headquartered in India, has its Secretariat located in the campus of National Institute of Solar Energy, Gwalpahari, Gurgaon, Haryana.
ISA:
The ISA is an Indian initiative, jointly launched by the Prime Minister of India, Narendra Modi and the President of France on 30th November 2015 in Paris, on the sidelines of COP-21, the UN Climate Conference. It aims at addressing obstacles to deployment at scale of solar energy through better harmonization and aggregation of demand from solar rich countries lying fully or partially between the Tropic of Cancer and Tropic of Capricorn.
ISA Interim Secretariat has been operational as a de-facto organization since 25th January, 2016. Three programmes - Scaling Solar Applications for Agriculture Use, Affordable Finance at Scale, and Scaling Solar Mini-grids - have been launched. These programmes will help in achieving the overall goal of increasing solar energy deployment in the ISA member countries for achieving universal energy access and speeding up economic development. In addition to the existing 3 programmes, ISA has initiated plans to launch two more programmes: Scaling Solar Rooftops and Scaling Solar E-mobility and Storage.
ISA has also been developing a Common Risk Mitigating Mechanism (CRMM) for de-risking and reducing the financial cost of solar projects in the ISA member countries. The instrument will help diversify and pool risks on mutual public resources and unlock significant investments. An international expert group has been working on the blue print of the mechanism and it will be rolled out by December 2018.
The Paris Declaration establishing ISA states that the countries share the collective ambition to undertake innovative and concerted efforts for reducing the cost of finance and cost of technology for immediate deployment solar generation assets. This will help pave the way for future solar generation, storage and good technologies for each prospective member countries’ individual needs, by effectively mobilizing more than US$1000 billion in investments that will be required by 2030.
Ratifying Countries (19):
India, France, Australia, Bangladesh, Comoros, Cuba, Fiji, Guinea, Ghana, Malawi, Mali, Mauritius, Nauru, Niger, Peru, Seychelles, Somalia, South Sudan, and Tuvalu.
Marathi
ISA संधि आधारित एक आंतरराष्ट्रीय आंतरसरकारी संघटना बनणार
6 नोव्हेंबर 2017 रोजी 15 व्या देशाच्या रूपाने गिनियाकडून मंजुरी घेऊन, आंतरराष्ट्रीय सौर संघ (International Solar Alliance -ISA) संधि आधारित एक आंतरराष्ट्रीय आंतरसरकारी संघटना म्हणून उदयास येत आहे. म्हणजेच ही संघटना एक वैधानिक उपक्रम बनणार.
ISA संधिवर स्वाक्षरी केलेल्या 46 देशांची नावे - ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, बेनिन, ब्राझील, बुर्किना फसो, कंबोडिया, चिली, कोस्टा रिका, काँगो प्रजासत्ताक, कोमोरोस, कोटे डी'आयव्होर, जिबूती, क्यूबा, डॉमिनिक प्रजासत्ताक, इथिओपिया, इक्वेटोरियल गयाना, फिजी, फ्रान्स, गबॉन प्रजासत्ताक, घाना, गिनीया, गिनीया बिसाऊ, भारत, किरिबाती, लायबेरिया, मादागास्कर, मलावी, माली, मॉरिशस, नाउरु, नायजर, नायजेरिया, पेरू, रवांडा, सेनेगल, सेशेल्स, सोमालिया, दक्षिण सुदान, सुदान, टांझानिया, टोंगा, टोगोलीझ प्रजासत्ताक, तुवालु, UAE, वानुआटु आणि व्हेनेझुएला.
ISA संधिला मंजूरी दिलेल्या 19 देशांची नावे - भारत, फ्रान्स, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, कोमोरोस, क्यूबा, फिजी, गिनीया, घाना, मलावी, माली, मॉरिशस, नाउरु, नायजर, पेरू, सेशेल्स, सोमालिया, दक्षिण सुदान आणि तुवालु.
ISA अंतर्गत चालविलेली कार्ये
- ‘स्केलिंग सोलर अॅप्लिकेशन फॉर अॅग्रिकल्चरल यूज, स्केलिंग सोलर मिनी-ग्रिड आणि अफोर्डेबल फायनॅन्स अॅट स्केल हे तीन उपक्रम सुरू केले आहेत. विद्यमान 3 उपक्रमांव्यतिरिक्त, ISA ने अजून दोन कार्यक्रम सुरू करण्याची योजना आखली आहे, ते आहेत - स्केलिंग सोलर रूफटॉप्स आणि स्केलिंग सोलर ई-मोबिलिटी अँड स्टोरेज.
- ISA सदस्य देशांमधील सौर-प्रकल्पांचा आर्थिक खर्च कमी करण्यासाठी आणि जोखीम कमी करण्यासाठी ‘कॉमन रिस्क मिटीगेटींग मेकॅनिजम (CRMM)’ विकसित करीत आहे. हे साधन समन्वयित सार्वजनिक संसाधनांवरील विविधता आणि जोखीम करण्यास मदत करणार आणि लक्षणीय गुंतवणूकीला सुलभता प्रदान करणार.
- ‘डिजिटल इन्फॉपीडिया’ हा एक प्रमुख पुढाकार स्थापित करण्यात आला आहे, ज्याद्वारे ISA देशांचे धोरण निर्माते, मंत्री आणि व्यावसायिक नेत्यांना एकमेकांशी संवाद, संपर्क व सहयोग साधण्यास एक व्यासपीठ उपलब्ध झाले. हे व्यासपीठ 18 मे 2017 ला कार्यान्वित करण्यात आले.
आंतरराष्ट्रीय सौर संघ (ISA) बद्दल
फ्रान्सची राजधानी पॅरिसमध्ये हवामान बदलावरील संयुक्त राष्ट्रसंघाची परिषद (UNFCCC) COP21 (कांफ्रेन्स ऑफ पार्टीज-21) दरम्यान भारतीय पंतप्रधान नरेंद्र मोदी आणि फ्रान्सचे तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष फ्रांस्वा ओलोंद यांनी 30 नोव्हेंबर 2015 ला संयुक्त रूपाने आंतरराष्ट्रीय सौर संघ (ISA) ला सुरुवात केली होती.
ISA उष्णकटिबंधीय प्रदेशातील संपूर्णता वा आंशिक रूपाने 121 संभावित सौर-संपन्न सदस्य राष्ट्रांची संधि-आधारित युती आहे. याचा उद्देश्य जागतिक स्तरावर सौर ऊर्जासंबंधी विकास आणि वापराला प्रोत्साहन देणे हा आहे. आतापर्यंत 45 देशांनी ISA संधिवर स्वाक्षरी केलेली आहे. आणखी 15 देशांनी यास 30 नोव्हेंबर 2017 पर्यंत मंजूरी दिलेली आहे.
ISA याचे मुख्यालय भारतात असून नॅशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी, ग्वाल्पाहारी (गुडगाव, हरियाणा) संस्थेच्या परिसरांत स्थित त्याचे सचिवालय आहे. ISA अंतरिम सचिवालय 25 जानेवारी 2016 पासून संघटना म्हणून कार्यरत आहे. भारताने ISA कोषसाठी आणि प्रथम पाच वर्षात ISA सचिवालयाच्या खर्चासाठी 175 कोटी रुपयांचे योगदान दिले आहे.
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