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    Monday, December 18, 2017

    Currentaffairs 18 December 2017 -(चालू घडामोडी) Hindi / English / Marathi

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    Currentaffairs 18 December 2017 - Hindi / English / Marathi

    Hindi

    इरडा द्वारा गठित समिति ने जीवन बीमा क्षेत्र में कई बदलाव करने के सुझाव दिए:
    भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) द्वारा गठित एक समिति ने 'जीवन बीमा' क्षेत्र में कई बदलाव करने के सुझाव दिए हैं जिनमें कोष पर प्रतिफल को बेहतर करने के लिए निवेश नियमों में सुधार लाने का सुझाव भी शामिल है।
    बीमा क्षेत्र के नियामक इरडा ने फरवरी 2013 में इरडा (असंबद्ध बीमा उत्पाद) विनियमन-2013 और इरडा (संबद्ध बीमा उत्पाद) विनियमन-2013 को अधिसूचित किया था।
    इरडा ने बदलती अर्थव्यवस्था और बाजार के माहौल को देखते हुए इन नियमनों की समीक्षा की जरुरत महसूस होने के बाद इस साल जनवरी में एक आठ सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति ने इन नियमनों में बदलाव करने की अपनी सिफारिशें सौंप दी हैं।
    प्रमुख सिफारिशें:
    समिति के अनुसार, बीमा के तहत जुटने वाले कोष के निवेश नियमों में ‘महत्वपूर्ण’ बदलाव की जरुरत है, ताकि इस पर मिलने वाले प्रतिफल को और बेहतर किया जा सके। रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में परंपरागत व्यावसाय में निवेश के नियम काफी कड़े हैं।
    इससे पॉलिसीधारक के लिये प्रतिस्पर्धात्मक प्रतिफल पाना असंभव नहीं तो मुश्किल जरूर हो जाता है। मौजूदा निवेश नियमनों में केवल कुछ वर्ग की संपत्तियों में ही निवेश का अधिकार दिया गया है इससे पॉलिसीधारक के लिये बेहतर प्रतिफल पैदा करना सीमित रह जाता है।
    इसमें कहा गया है कि आमतौर पर बीमा बचत उत्पादों की तुलना बैंकों की सावधि जमा और आवर्ति जमा योजनाओं से की जाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आमतौर पर आठ प्रतिशत सालाना प्रतिफल की उम्मीद की जाती है जबकि बीमाकर्ता की 50 प्रतिशत राशि को सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश होता है जिसमें की वर्तमान में 6.7 से 7.2 प्रतिशत सालाना प्रतिफल मिलता है।
    इसके साथ ही ब्याज दरों में गिरावट का रुख बना है इसलिये भविष्य में भी बीमा प्रीमियम पर प्रतिफल कम रहने की आशंका है। समिति के सदस्यों के बीच बीमा प्रीमियम पर प्रतिफल बढ़ाने के लिये विभिन्न उपायों को लेकर गहन चर्चा हुई जिसके बाद कई बदलावा का सुझाव दिया गया।
    पृष्ठभूमि:
    जनवरी 2017 में, आईआरडीएआई ने असंबद्ध बीमा उत्पाद विनियमन-2013 और संबद्ध बीमा उत्पा) विनियमन-2013 में आवश्यक संशोधनों पर सिफारिश करने के लिए एक आठ सदस्यीय समिति गठित की थी।
    इस आठ सदस्यीय समिति की अध्यक्षता एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक अमिताभ चौधरी ने की थी। समिति ने वर्तमान बाजार वातावरण, पॉलिसीधारक के हितों और वितरण प्रोत्साहन के प्रकाश में उत्पाद नियमों की समीक्षा की। इस समिति ने सुमित बोस समिति की सिफारिशों की भी समीक्षा की, जिसमें की कुछ अत्यधिक महत्वपूर्ण सिफारिशें दी गयी थीं।

    English

    IRDAI's Product Regulations Review Committee Report, 2017 submits report
    It was observed that there is a need to review the regulations due to changing market and economic environment, Insurance Regulatory and Development Authority. So in January 2017, IRDAI constituted an eight member committeeto make recommendations on the amendments required in the regulations. The committee constituted by the IRDAI has suggested host of changes in the life insurance sector, including in the investment norms to improve the returns generated by the funds.
    About the Committee:
    • The eight member committee will be chaired by Amitabh Chaudhry, chief executive officer and managing director, HDFC Standard Life Insurance Co. Ltd. The committee would review product regulations in light of current market environment, policyholders’ interests and distribution incentives.
    • It will also review the recommendations of the Sumit Bose Committee, which had some big bang suggestions.
    • The product committee constituted by IRDAI is expected to submit its report in 2 months and is likely to meet on 20 January to set the agenda. The committee would do well to focus on standardising costs, removing exit barriers and simplifying the investment benefits through proper disclosures.
    Highlights of the report:
    • The committee in its report among other things has recommended that the investment norms "should undergo significant change" with a view to improve the returns generated by the funds while taking account of the risks inherent in the various asset classes.
    • Currently, the report said, the investment norms governing traditional business are quite restrictive, making it difficult, if not impossible, to provide competitive returns to the policyholders.
    • The report also observed that the expectation of generating a return of at least 8 per cent per annum is a "tall order" given that at least 50 per cent of assets of the insurer are mandatorily to be backed by government securities (G-Secs), which currently yield about 6.7 per cent - 7.2 per cent annually.

    Marathi

    IRDAI चा ‘उत्पादन विनियम आढावा समिती’ अहवाल जाहीर

    विमा नियामक आणि विकास प्राधिकरण (IRDAI) च्या आढावा समितीने विमा उत्पादन क्षेत्राचे विनियम यासंबंधी आपला अहवाल जाहीर केला आहे. समितीने निधीद्वारे निर्माण होणारा परतावा सुधारण्यासाठी गुंतवणूकसंबंधी अटींच्या समावेशासह जीवन विमा क्षेत्रात बदल सुचवलेले आहेत.
    IRDAI ने फेब्रुवारी 2013 मध्ये ‘IRDAI (नॉन-लिंक्ड इन्शुरेंस प्रॉडक्ट्स) विनियम-2013’ आणि ‘IRDAI (लिंक्ड इन्शुरेंस प्रॉडक्ट्स) विनियम-2013’ अधिसूचित केले होते. तथापि, बदलते बाजार आणि आर्थिक वातावरण बघता नियमांचे पुनरावलोकन करणे आवश्यक असल्याने IRDAI ने 8 सदस्यीय समिती नेमली होती.  
    शिफारसी
    अहवालामध्ये पुढील शिफारसी केल्या गेल्या आहेत.
    • सध्याच्या अटी विमाधारकांना स्पर्धात्मक परतावा देण्यासाठी अक्षम आहे. त्यामुळे विविध मालमत्तेसंबंधी वर्गांमधील असलेल्या जोखीम लक्षात घेता निधीद्वारे निर्माण झालेला परतावा सुधारण्याच्या दृष्टीने गुंतवणुकीचे अटींमध्ये "लक्षणीय बदल हवेत".
    • दरवर्षी किमान 8% इतका सर्वोच्च परतावा देण्याची अपेक्षा असते, त्यामुळे विम्यामधील किमान 50% मालमत्ता शासकीय सिक्युरिटीजद्वारा समर्थित असणे अनिवार्य आहे जे सध्या 6.7%-7.2% वार्षिक उत्पन्न देतात.
    • उच्च परताव्यासाठी जीवन निधी आणि निवृत्तीवेतन व सामान्य अॅन्युइटी फंड्समधील शासकीय सिक्युरिटीजच्या अनिवार्य प्रमाणात घट करणे आणि पर्यायी उच्च उत्पन्न देणारी मालमत्ता (जसे की इक्विटी किंवा स्थावर मालमत्ता) किंवा हाय-रेटेड कॉरपोरेट बॉण्ड्स यामध्ये अधिकाधिक गुंतवणुकीला वाव देण्यास परवानगी देणे.
    • स्वाधीन असलेल्या व्यक्तीचे मूल्य वाढवावे आणि ही प्रक्रिया टप्प्याटप्प्याने चालवली जावी जेणेकरुन त्यामुळे येणार्‍या कोणत्याही व्यत्ययाची शक्यता कमी होईल.
    सध्या जीवन विमाधारकांबरोबर उपलब्ध असलेल्या निवृत्तीवेतनासंबंधी योजनांच्या तुलनेत पैसे काढण्यासंबंधी कलम राष्ट्रीय निवृत्तीवेतन प्रणाली (NPS) यासाठी उदार आहे. ही बाब लक्षात घेता NPS अंतर्गत स्वीकार्य प्रमाणात परिवर्तनाच्या प्रक्रियेस परवानगी देणे. सध्या जीवन विमा कंपन्यांकडून प्रदान केल्या जाणार्‍या निवृत्तीवेतनासाठी एकूण जमा केलेल्या निधीच्या एक तृतीयांश हिस्स्याशी तुलना करता एकूण संचित निधीच्या 60% परिवर्तीत केले जाऊ शकते.

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