Current affairs 31 December 2017 - Hindi / English / Marathi
Hindi
सरकार ने 6 संकटग्रस्त सार्वजनिक बैंकों में धन का निवेश किया:
संकटग्रस्त बैंको को बचाने के लिए सरकार ने कई कमजोर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 7,577 करोड़ रुपए का निवेश किया है। यह पूंजी निवेश उचित समय पर किया गया है और यह इन बैंकों को पूंजी पर्याप्ता को बढ़ाने में मदद करेगा ताकि वे दिसंबर तिमाही के लिए अपनी बुक को स्वस्थ्य हालत में प्रस्तुत कर सकें।
सरकार ने 2,257 करोड़ रुपए का निवेश बैंक ऑफ इंडिया में किया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस बैंक को हाल ही में तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के तहत निगरानी में रखा है। इस नए पूंजी निवेश में दूसरा सबसे ज्यादा फायदा आईडीबीआई बैंक को हुआ है। सरकार ने इसमें 2,729 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को सरकार से 323 करोड़ रुपए की मदद मिली है। देना बैंक को सरकार से ताजा पूंजी निवेश चक्र में 243 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं। वहीं यूको बैंक, जो एक अन्य कमजोर सरकारी बैंक है, को सरकार से 1375 करोड़ रुपए की मदद मिली है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र को सरकार से इस ताजा चरण में 650 करोड़ रुपए की पूंजी प्राप्त हुई है।
ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉई एसोसिएशन (एआईबीईए) के जनरल सेक्रेटरी सीएच व्यंकटचलम ने इन छह सरकारी बैंकों को पूंजी दिए जाने के सरकार के इस कदम पर कहा कि यह पूंजी मदद इन कमजोर बैंकों को तत्काल समस्या से निपटने में मदद करेगी।
कितनी न्यूनतम नियामक पूंजी की आवश्यकता है?
बैंकों को न्यूनतम 9% पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सीएआर) और 2.5% का पूंजी संरक्षण बफर (सीसीबी) बनाए रखना अनिवार्य है। सीएआर के भीतर, मिनिमम कॉमन इक्विटी टियर I (सीईटी 1) पूंजी अनुपात (कैपिटल रेश्यो) को 5.5% पर निर्धारित किया गया है।
पृष्ठभूमि:
सरकार ने 24 अक्तूबर को एनपीए की मार झेल रहे सार्वजनिक बैंकों को मजूबत करने के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपए की पूंजी बैंकों में डालने की घोषणा की थी। यह पूंजी दो सालों में डाली जाएगी, इसमें रिकैपिटलाइजेशन बॉन्ड और बजटीय सहायता शामिल है।
English
Centre ijects funds into 6 public banks
The Centre has released the much-required equity capital to six stressed public sector banks (PSBs) as some of these lenders were on the verge of breaching minimum capital norms on December 31, 2017.
The PSBs are Bank of India (₹2,257 crore), Central Bank of India (₹323 crore), Dena Bank (₹243 crore), IDBI Bank (₹ 2,729 crore), Bank of Maharashtra (₹650 crore) and UCO Bank (₹1,375 crore). These lenders would be asked to improve on parameters such as bad loans and recovery to which effect a communication would be sent shortly.
According to bankers, some of these lenders could have breached the minimum regulatory capital requirement, as mandated by the RBI, at the end of the third quarter.
Aim:
- With this move, the government wants to give a strong signal to the public that it will not allow its banks to go down,” said a senior banker from a PSB.
There were rumours circulated on social media, after PCA was imposed on banks, that due to poor financial health, some of them could be closed down. Both, the RBI and the Centre, strongly denied these claims.
Marathi
केंद्र शासनाने 6 आपत्तीग्रस्त सार्वजनिक बँकांना निधी पुरविला
बँकिंग क्षेत्रात वाढत्या अकार्यक्षम मालमत्तेमुळे निर्माण झालेल्या आर्थिक आपत्तीचे निवारण करण्याच्या उद्देशाने, केंद्र शासनाकडून 6 आपत्तीग्रस्त सार्वजनिक बँकांसाठी आवश्यक असा पुरेसा निधी पुरविण्यात आला आहे.यासाठी एकूण 7,577 कोटी रूपयांचा निधि गुंतविण्यात आला आहे. त्यामुळे या बँकांची संपत्ती वाढविण्यास मदत होणार, जेणेकरून डिसेंबरच्या तिमाहीसाठी आपला अहवाल सुधारू शकणार.
त्या बँका आहेत –
- IDBI बँक (2729 कोटी रुपये), बँक ऑफ इंडिया (2257 कोटी रुपये), यूको बँक (1375 कोटी रुपये), बँक ऑफ महाराष्ट्र (650 कोटी रुपये), सेंट्रल बँक ऑफ इंडिया (323 कोटी रुपये), देना बँक (243 कोटी रुपये).
बँकांना किमान 9% कॅपिटल अॅडेक्वेसी रेशीयो (CAR) आणि 2.5% या प्रमाणात कॅपिटल कंजर्वेशन बफर (CCB) राखून ठेवणे अनिवार्य असते. CAR च्या खाली, किमान कॉमन इक्विटी टियर-I (CET-1) कॅपिटल प्रमाण 5.5% एवढे निर्धारित केले गेले आहे.
RBI च्या ताज्या आकडेवारीनुसार, 30 सप्टेंबरपर्यंत या सहा PSB यांचा कॅपिटल अॅडेक्वेसी रेशीयो (CAR) 12.2% होता, तर कॉमन इक्विटी टियर-I (CET-1) कॅपिटल प्रमाण 4.7% होते.
पार्श्वभूमी
केंद्र शासनाने 24 ऑक्टोबरला NPA ने प्रभावित सार्वजनिक बँकांना बळकटी आणण्यासाठी 2.11 लक्ष कोटी रुपयांची गुंतवणूक बँकांमध्ये करण्याची घोषणा केली गेली होती. ही मालमत्ता दोन वर्षांमध्ये गुंतविण्यात येणार आहे, यामध्ये पुनर्पुंजीकरण बॉन्ड आणि अर्थसंकल्पीय मदत समाविष्ट आहे.
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