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    Saturday, December 30, 2017

    Methanol Economy for India: Energy Security, Make in India and Zero Carbon foot print भारत के लिए मिथनोल अर्थव्यवस्थाः ऊर्जा सुरक्षा, मेक इन इंडिया तथा शून्य कार्बन प्रभाव: Currentaffairs 30 December 2017 - Hindi / English / Marathi

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    Currentaffairs 30 December 2017 - Hindi / English / Marathi


    Hindi

    भारत के लिए मिथनोल अर्थव्यवस्थाः ऊर्जा सुरक्षा, मेक इन इंडिया तथा शून्य कार्बन प्रभाव:

    भारत को वर्तमान में प्रतिवर्ष 2900 करोड़ लीटर पेट्रोल और 9000 करोड़ लीटर डीजल की आवश्‍यकता है, भारत विश्‍व में छठा बड़ा उपभोक्‍ता है यह खपत वर्ष 2030 तक दोगुनी हो जाएगी और भारत तीसरा बड़ा उपभोक्‍ता बन जाएगा। कच्चे तेल के लिए हमारा आयात बिल लगभग 6 लाख करोड़ रुपये है।
    हाइड्रोकार्बन ईंधन ने ग्रीन हाउस गैस उत्‍सर्जन (जीएचजी) सहित पर्यावरण को भी विपरीत रूप से प्रभावित किया है। भारत विश्‍व में तीसरा बड़ा ऊर्जा संबंधी कार्बन डाइ आक्‍साइड उत्‍सर्जक देश है। प्रधानमंत्री मोदी ने देश के समक्ष वर्ष 2022 तक आयात बिल को 10% तक कम करने का लक्ष्‍य निर्धारित किया है।
    इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए भारत को ऊर्जा एवं ईंधन के लिए अन्य विकल्पों की ओर रुख करना पड़ेगा। हमें अपने स्‍वयं का ‘‘वैश्‍विक संदर्भ का भारतीय ईंधन’’ बनाने की आवश्‍यकता है।

    मेथनोल ही क्‍यों?

    मेथनोल ईंधन में विशुद्ध ज्‍वलन कण है जो परिवहन में पेट्रोल और डीजल दोनों का और रसोई ईंधन में एलपीजी, लकड़ी, मिट्टी तेल का स्थान ले सकता है। यह रेलवे, समुद्री क्षेत्र, जेनसेट्स, पावर जेनरेशन में डीजल को भी प्रतिस्‍थापित कर सकता है और मेथनोल आधारित संशोधक हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के लिए आदर्श पूरक हो सकते हैं। मेथनोल अर्थव्‍यवस्‍था संपूर्ण ‘हाइड्राजेन आधारित ईंधन प्रणालियों’ के सपने के लिए ‘सेतु’ है।
    मेथनोल सभी आंतरिक दहन ईंजनों में प्रभावशाली रूप से जलती है, कोई पार्टिकुलेट मैटर नहीं पैदा करती, कोई कालिख नहीं होती, लगभग शून्‍य एसओएक्‍स और एनओएक्‍स उत्‍सर्जन (लगभग शून्‍य प्रदूषण) होता है। मेथनोल का गैसीय रूप-डीएमई को एलपीजी के साथ मिलाया जा सकता है और यह बड़ी बसों और ट्रकों में डीजल के लिए बेहतर पर्याय हो सकता है।
    पेट्रोल में मेथनोल 15 (एम 15) प्रदूषण को 33% तक कम करेगा और मेथनोल द्वारा डीजल प्रतिस्‍थान 80% से अधिक प्रदूषण कम करेगा।

    मेथनोल के लिए विश्‍व परिदृश्‍य:

    पिछले कुछ वर्षों के दौरान, ईंधन के रूप में मेथनोल और डीएमई का उपयोग काफी बढ़ा है। मेथनोल मांग काफी रूप से सालाना 6 से 8% तक बढ़ रही है। विश्‍व ने मेथनोल की 120 एमटी की क्षमता संस्‍थापित की है और यह वर्ष 2025 तक लगभग 200 एमटी हो जाएगी।
    वर्तमान में मेथनोल चीन में परिवहन ईंधन का लगभग 9 प्रतिशत है। चीन ने लाखों वाहनों को मेथनोल पर चलने के लिए बदला है। अकेला चीन विश्‍व मेथनोल का 65 प्रतिशत का उत्‍पादन करता है और वह मेथनोल पैदा करने के लिए अपने कोयले का इस्‍तेमाल करता है। अन्य देश भी इस मेथनोल आधारित प्रौद्योगिकी को लगातार विकसित कर रहे हैं।
    वातावरण से कार्बन डाईआक्‍साइड से वापस पकड़कर नवीकरणीय मेथनोल काफी प्रसिद्ध हो रहा है और विश्‍व द्वारा इसे ‘मानवता के लिए जाने जाना वाला स्‍थायी ईंधन समाधान’ के रूप में देखा जाता है।

    भारत का लक्ष्य:

    भारत ने 2 एमटी प्रतिवर्ष की मेथनोल उत्‍पादन क्षमता संस्‍थापित की है। नीति आयोग द्वारा तैयार की गई योजना के अनुसार इंडियन हाई ऐश कोल, स्‍ट्रैंडेड गैस और बायो-मास का उपयोग करके वर्ष 2025 तक वार्षिक रूप से 20 एमटी मेथनोल का उत्‍पादन कर सकता है।
    भारत में जिसके पास 125 बिलियन टन का प्रमाणित कोल रिजर्व है और जो प्रतिवर्ष 500 मिलियन टन बायो-मास पैदा करता है और जिसके पास स्‍ट्रैंडेड और फ्लेर्ड गैसों की बहुत अधिक मात्रा है, वैकल्‍पिक फीडस्‍टोक और ईंधनों के आधार पर ईंधन सुरक्षा सुनिश्‍चित करने की बहुत अधिक संभावना है।
    नीति आयोग ने वर्ष 2030 तक अकेले मेथनोल द्वारा 10 प्रतिशत कच्चे तेल के आयात के प्रतिस्थापन के लिए एक योजना (रोड मैप) तैयार की है। इसके लिए लगभग 30 एमटी मेथनोल की आवश्‍यकता होगी। मेथनोल और डीएमई पेट्रोल और डीजल से काफी हद तक सस्‍ते हैं और भारत वर्ष 2030 तक अपना ईंधन बिल 30 प्रतिशत तक कम करने की ओर देख सकता है।

    मेथनोल अर्थव्‍यवस्‍था के लिए नीति आयोग की योजना (रोड मैप) में निम्‍नलिखित शामिल हैं:

    देशी प्रौद्योगिकी से इंडियन हाई ऐश कोल से बड़ी मात्रा में मेथनोल का उत्‍पादन और क्षेत्रीय उत्‍पादन कार्य-नीतियों को अपनाना और बड़ी मात्रा में 19 रुपये प्रति लीटर की दर से मेथनोल का उत्‍पादन।
    भारत कोयले के उपयोग को पूर्णत: पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए और सीओपी 21 के प्रति हमारी प्रतिबद्धताओं के लिए कार्बन डाइआक्‍साइड को पकड़ने की प्रौद्योगिकी को अपनाएगा।
    मेथनोल उत्‍पादन के लिए बायो-मास, स्‍ट्रैंडेड गैस और एमएसडब्‍ल्‍यू। लगभग 40% मेथनोल उत्‍पादन इन फीडस्‍टोकों से हो सकता है।

    English



    Methanol Economy for India: Energy Security, Make in India and Zero Carbon foot print

    Union Minister of Road Transport & Highways, Nitin Gadkari made a statement on Methanol in Lok Sabha. India needs around 2900 cr litres of petrol and 9000 cr litres of diesel per year currently, the 6th highest consumer in the world and will double consumption and become 3rd largest consumer  by 2030. India’s import bill on account of crude stands at almost 6 lac crore

    Methanol Use:

    Methanol is a clean burning drop in fuel which can replace both petrol & diesel in transportation & LPG, Wood, Kerosene in cooking fuel. It can also replace diesel in Railways, Marine Sector, Gensets, Power Generation and Methanol based reformers could be the ideal compliment to Hybrid and Electric Mobility.
    Methanol can be produced from Natural Gas , Indian High Ash Coal , Bio-mass, MSW , stranded and flared gases and India can achieve (through right technology adaptation} to produce Methanol @ Rs.19 a litre from Indian coal and all other feedstock. The best part world is already moving towards renewable methanol from C02 and the perpetual recycling of C02 into Methanol, say CO2 emitted from Steel plants, Geothermal energy or any other source of CO2, effectively “Air to Methanol”.

    India’s Role in methanol Production:

    India has an installed Methanol Production capacity of 2 MT per annum. As per the plan prepared by NITI Aayog, using Indian High Ash coal, Stranded gas, and Biomass can produce 20MT of methanol annually by 2025.  India, with 125 Billion Tonnes of proven Coal reserves and 500 million tones of Biomass generated every year & the huge quantities of Stranded & Flared gases has a huge potential for ensuring energy security based on alternate feedstock and fuels.

    Methanol Benefits in Different Sectors:

    • Methanol in Transpiration Sector- With Very little modifications to existing engines (vehicles) and fuel distribution infrastructure 15% of all vehicle fuels can be converted to Methanol & Di Methyl Ether (DME). India is shortly going to implement Methanol 15 % blending program with Petrol and cost of petrol is expected to come down.
    • Methanol in Marine Sector- Worldwide due to emission regulations being implemented stringently by IMO (International Maritime Organisation), marine Sector is shifting to Methanol as fuel of choice. Methanol is much cheaper than LNG and Bunker / Heavy Oil.
    • Methanol in railways: Indian Railways consumes about 3 billion litres a year and the annual diesel bill is in excess of Rs. 15000 Crores. A Methanol locomotive prototype is being implemented by Indian Railways under a grant by Department of Science & Technology.
    Make in India program will get a further boost by both producing fuel indigenously and associated growth in automobile sector adding engineering jobs and also investments in Methanol based industries (FDI and Indian). However, Coal and Stranded Gas linkages are import policy initiatives to be taken. To promote this renewable, alternate fuel a “Methanol Economy Fund” is also being contemplated.

    Marathi



    शून्य कार्बन उत्सर्जनासाठी मिथेनॉल आधारित भारतीय अर्थसत्ता – नवा भारतीय दृष्टिकोन

    भारताला वर्तमान परिस्थितीत दरवर्षी 2900 कोटी लीटर पेट्रोल आणि 9000 कोटी लीटर डिझेलची आवश्‍यकता भासते. आज याबाबतीत भारत जगातला सहावा सर्वात मोठा ग्राहक आहे. हा खप 2030 सालापर्यंत दुप्पट होणार आणि भारत तिसरा सर्वात मोठा ग्राहक बनणार. सोबतच भारताचा कच्च्या तेलाचा आयात खर्च जवळपास 6 लाख कोटी रुपये आहे. हायड्रोकार्बन इंधनामुळे हरितगृह वायूंच्या होणार्‍या उत्सर्जनात, भारत जगातला तिसरा सर्वात मोठा ऊर्जेसंबंधी कार्बनडाय ऑक्‍साइड उत्‍सर्जक देश आहे. दिल्‍ली सारख्या शहरांमध्ये जवळपास 30% प्रदूषण वाहनांपासून आहे.
    त्यामुळे NITI आयोगाने भारताला 'मिथेनॉल अर्थसत्ता' बनविण्यासाठी 2030 सालापर्यंत वार्षिक खर्चात $100 अब्ज कपात करण्याचे लक्ष्य ठेवलेले आहे. 2022 सालापर्यंत भारताचा इंधन आयात खर्च 10% पर्यंत घटविण्याचे लक्ष्‍य निर्धारित केले गेले आहे.
    मिथेनॉल इंधन आणि त्याचे महत्त्व
    मिथेनॉल इंधन स्वस्त, सुरक्षित आणि प्रदूषण मुक्त असते. मिथेनॉलचा वापर केल्यास CNG च्या तुलनेत वाहनांमध्ये कमीतकमी बदल करण्याची आवश्यकता भासणार. हे इंधन रेल्वे, सागरी क्षेत्र, जेनसेट्स, वीज निर्मिती यामध्ये वापरण्यात येणार्‍या डिझेल ला बदलण्यास वापरले जाऊ शकते आणि मिथेनॉल आधारित संशोधने हायब्रिड आणि इलेक्ट्रिक जनित वाहतुकीसाठी आदर्श पूरक ठरू शकतात.
    मिथेनॉल हे जवळपास शून्‍य SOx आणि NOx वायूंचे उत्‍सर्जन करते. या पदार्थाचा वायु रूप-DME ला LPG सोबत मिसळवले जाऊ शकते. पेट्रोलमध्ये मिथेनॉल 15 (M 15) प्रदूषणाला 33% पर्यंत कमी करणार आणि मिथेनॉलने  डिझेलला बदलल्यास 80% हून अधिक प्रमाणात प्रदूषण कमी होणार. 
    मिथेनॉलला नैसर्गिक वायु, उच्च राख प्रमाण असलेला कोळसा, जैविक पदार्थ, MSW, इतर ज्वलनशिल वायूंपासून बनविले जाऊ शकते आणि भारतीय कोळसा व सर्व अन्य इंधन-पदार्थापासून प्रति लीटर 19 रुपये या दराने मिथेनॉलचे उत्पादन घेतले जाऊ शकते. मिथेनॉलचा वापर ऊर्जा निर्मिती इंधन, वाहतूक इंधन आणि स्वयंपाकाच्या इंधनासाठी केला जाऊ शकतो, ज्यामुळे पुढील काही वर्षांमध्ये भारताचे तेलाच्या आयातीवरील खर्च अंदाजे 20% नी कमी केले जाऊ शकते.
    जागतिक दृष्टीकोन
    वर्तमानात मिथेनॉलची मागणी वाढलेली आहे, जी वर्षागणीक 6-8% पर्यंत वाढलेली आहे. जगभरात मिथेनॉलची 120 MT क्षमता प्रस्थापित केली गेली आहे आणि 2025 सालापर्यंत जवळपास 200 MT होणार.
    सध्या परिवहन क्षेत्रात जगभरात वापर होणार्‍या इंधनाच्या सुमारे 9% वाटा एकट्या चीनचा आहे. चीनने वाहनांना मिथेनॉलवर चालविण्यासाठी मोठ्या प्रमाणात पुढाकार घेतला आहे. एकटा चीन जगात उत्पादित होणार्‍या एकूण मिथेनॉलचे 65% उत्‍पादन घेतो.
    इस्रायल, इटली, जपान, कोरिया आणि ऑस्‍ट्रेलिया यासारख्या देशांनीही मिथेनॉलचा मोठ्या प्रमाणात वापर करणे सुरू केले आहे. आज मिथेनॉल जगभरात सागरी क्षेत्रात इंधन म्हणून पसंत केले जात आहे. स्‍वीडनने 1500 हून अधिक प्रवासी जहाजांना 100% मिथेनॉलवर चालवीत आहे. 11 आफ्रिकेतील देश आणि कित्येक कॅरेबियन देश स्वयंपाकगृहात मिथेनॉलचा वापर करीत आहेत. संपूर्ण जगात जेनसेट आणि औद्योगिक बॉयलर डिझेल सोडून मिथेनॉलवर चालत आहेत.
    वातावरणामधील कार्बन डायऑक्‍साइड परत घेऊन त्यापासून नवीकरणीय मिथेनॉल तयार करणे प्रसिद्ध होत आहे आणि त्यामुळे जगाने ‘मानवासाठी स्‍थायी इंधन उपाय’ म्हणून मिथेनॉलकडे बघण्यास सुरूवात केलेली आहे.
    भारतीय परिस्थिती आणि दृष्टिकोन
    भारतात सध्या वार्षिक 2 MT मिथेनॉल उत्‍पादन क्षमता प्रस्थापित झालेली आहे. NITI आयोगाच्या योजनेनुसार भारत भारतीय उच्च-राख कोळसा, वातावरणातील उत्सर्जित वायु आणि जैविक पदार्थांपासून 2025 सालापर्यंत वार्षिक रूपाने 20 MT मिथेनॉलचे उत्‍पादन घेऊ शकतो. भारतात सध्या 125 अब्ज टन वजनी प्रमाणित कोळसा साठे आहेत आणि वर्षाला 500 अब्ज टन जैविक पदार्थ निर्माण होते.
    अलीकडेच NITI आयोगाने स्वच्छ इंधनाच्या उत्पादनास आणि वापरास प्रोत्साहन देण्यासाठी 4000-5000 कोटी रुपयाचा ‘मिथेनॉल अर्थासत्ता कोष (Methanol Economy Fund)’ उभारण्याची योजना तयार करण्याचा निर्णय घेतला. योजनेंतर्गत उच्च-राख प्रमाण असणार्‍या कोळश्याला मिथेनॉलमध्ये रुपांतरित करुन इंधन तयार करण्याची योजना आहे आणि त्यासाठी निर्मिती प्रकल्प कोल इंडियामार्फत उभारले जाण्याचे अपेक्षित आहे.
    NITI आयोगाने 2030 सालापर्यंत मिथेनॉलने 10% कच्च्या तेलाच्या आयातीला पुनर्स्थापित करण्याची एक योजना तयार केलेली आहे. त्यासाठी जवळपास 30 MT मिथेनॉलची आवश्‍यकता भासणार. मिथेनॉल आणि DME पेट्रोल-डिझेल स्वस्त आहेत आणि भारत वर्ष 2030 पर्यंत आपला इंधन खर्च 30% ने कमी करण्याकडे बघू शकतो.
    क्षेत्रागणिक दृष्टिकोन -
    • परिवहन क्षेत्र - विद्यमान इंजिन (वाहने) आणि इंधन वितरण पायाभूत सुविधांमध्ये अगदी थोडे फेरबदल करावे लागणार. सर्व वाहन इंधनापैकी 15% भाग मिथेनॉल आणि आणि डाय मिथाईल इथर (DME) मध्ये रूपांतरीत केले जाऊ शकते.
    • सागरी क्षेत्र - भारत 500 जहाजे संपूर्णता मिथेनॉलवर चालविण्याची योजना करीत आहे आणि येत्या 12 महिन्यात पहिले जहाज चालण्याचे अपेक्षित आहे.
    • लोहमार्ग क्षेत्र - भारतीय रेल्वे वर्षाला 3 अब्ज लिटर डिझेल वापरते आणि त्याचा वार्षिक खर्च 15000 कोटी रुपये येतो. एकदा का सर्व 6000 डिझेल इंजिने (प्रति इंजिन 1 कोटीहून कमी खर्चाने) मिथेनॉल इंधनासाठी रुपांतरित केल्या गेल्यास, वार्षिक खर्च 50% कमी केला जाऊ शकतो. 
    • स्वयंपाकासाठी इंधन कार्यक्रम (द्रव इंधन व LPG - DME मिश्रित कार्यक्रम) - स्वयंपाकासाठी इंधन म्हणून वापरण्यात येणार्‍या LPG ला मिथेनॉल द्रव इंधन आणि LPG-DME मिश्रित इंधनाने बदलने अगदी सोपे आहे. कोणत्याही पायाभूत सुविधांमध्ये सुधारणा न करता, LPG सह 20% मिथेनॉलच्या मिश्रणातून वर्षागणीक 6000 कोटी रुपयांची बचत होणार.
    आतापर्यंत, भारताने यशस्वीरित्या दुचाकी इंजिन, जेनसेट्स, पॉवर वीडर (कृषी उपकरणे) रूपांतरित केले आहे आणि प्रामुख्याने रेल्वे आणि सागरी क्षेत्रात मिथेनॉलसाठी इंटर्नल कम्बशन इंजिनचे रूपांतरण चालू आहे. उपस्थित कंपन्यांमार्फत विविध मार्गांच्या माध्यमातून भारत 2021 सालापर्यंत मिथेनॉलची उत्पादन क्षमता किमान 5 दशलक्ष टन करण्याचे लक्ष्य ठेवणार आहे.
    किमान 20% डिझेलचा वापर पुढील 5-7 वर्षांमध्ये कमी केले जाऊ शकते आणि त्यामधून वर्षाला 26000 कोटी रुपयांची बचत होऊ शकणार. येत्या 3 वर्षात LPG मध्ये 6000 कोटी रुपयांची बचत होणार. गॅसोलीन सहित मिथेनॉल मिश्रण कार्यक्रमामधून येत्या 3 वर्षात वर्षाला किमान 5000 कोटी रुपयांची बचत होऊ शकणार. 



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