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    Saturday, June 9, 2018

    Government of India’s new Initiative-State of Nutrition Report भविष्य के स्वास्थ्य संकट 'ओबेसिटी' को रोकने हेतु कार्ययोजना की आवश्यकता: भारत सरकारचा नवा पुढाकार – ‘स्टेट ऑफ न्यूट्रिशन’ अहवाल

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    Current Affairs 9 June 2018
    करेंट अफेयर्स 9 जून 2018 हिंदी/ इंग्लिश/मराठी

    Government of India’s new Initiative-State of Nutrition Report

    भविष्य के स्वास्थ्य संकट 'ओबेसिटी' को रोकने हेतु कार्ययोजना की आवश्यकता:

    भारत सरकारचा नवा पुढाकार – ‘स्टेट ऑफ न्यूट्रिशन’ अहवाल

    Hindi | हिंदी

    भविष्य के स्वास्थ्य संकट 'ओबेसिटी' को रोकने हेतु कार्ययोजना की आवश्यकता:
    मार्च 2018 में, सरकार ने घोषणा की कि वह सालाना "पोषण की स्थिति" रिपोर्ट जारी करेगी, जिसमें भारत में स्टंटिंग, कुपोषण के स्तर का आकलन किया जायेगा और पोषण को बढ़ाने के लिए राज्यों के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं की सुविधा प्रदान करेगी।
    यह स्पष्ट है कि पोषण से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को बहुत अधिक प्रयास करने की जरूरत है। भारत में 26 मिलियन बच्चे 'वेस्टिंग' (वजन और लम्बाई का कम अनुपात) से जूझ रहे हैं जोकि किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक है।
    इसके बावजूद भी, भारत में दुनिया में मोटापे से ग्रसित बच्चों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या पायी जाती है। चीन में सर्वाधिक 15.3 मिलियन बच्चे और भारत में 14.4 मिलियन बच्चे मोटापे की समस्या से घिरे हुए हैं।
    भारत को अधिक वजन और मोटापे से लड़ने के अपने प्रयासों को उतना ही तेज करना चाहिए जैसे कि वेस्टिंग और स्टंटिंग के साथ किया जा रहा है। वर्ष 1980 और 2015 के बीच, मोटापे से ग्रस्त बच्चों की संख्या दोगुनी हो गयी और वयस्कों में तीन गुनी। वर्ष 2025 तक भारत में नए 2.6 मिलियन बच्चे मोटापे से ग्रस्त होंगे।
    कुपोषण की समस्या को हल करते समय हमें उचित पोषण का भी ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए हमें अपनी नीति प्रतिक्रिया को "खाद्य सुरक्षा" से "पोषण सुरक्षा" में स्थानांतरित करना है।
    मोटापे की समस्या:
    मोटापा (ओबेसिटी) वह स्थिति होती है, जब अत्यधिक शारीरिक वसा शरीर पर इस सीमा तक एकत्रित हो जाती है कि वो स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालने लगती है। यह आयु संभावना को भी घटा सकता है।
    मोटापा बहुत से रोगों से जुड़ा हुआ है, जैसे हृदय रोग, मधुमेह, निद्रा कालीन श्वास समस्या, कई प्रकार के कैंसर। मोटापे का प्रमुख कारण अत्यधिक कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन, शारीरिक गतिविधियों का अभाव, आनुवांशिकी का मिश्रण हो सकता है। हालांकि मात्र आनुवांशिक, चिकित्सकीय या मानसिक रोग के कारण बहुत ही कम संख्या में पाये जाते हैं।
    डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट:
    बेतरतीब शहरीकरण के कारण पैदल चलने के लिए फुटपाथ की कमी हो रही है और खेल के मैदान घट रहे हैं। इससे बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ रही है। बच्चों में यह मोटापा वयस्क होने तक उनमें डायबिटीज, हाइपरटेंशन और हृदय रोग का खतरा बढ़ा देता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) पर बनाए गए एक स्वतंत्र आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है।
    फिनलैंड के राष्ट्रपति साउली निनिस्तो और श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना समेत पांच सदस्यों वाले इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मोटापे की समस्या मध्यम आयवर्ग और निम्न आयवर्ग के देशों में विकसित देशों के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ रही है।
    मोटापा न सिर्फ बच्चों में वयस्क होने पर डायबिटीज, हाइपरटेंशन और हृदय रोग का खतरा बढ़ाता है, बल्कि जीवन प्रत्याशा को बढ़ाने वाले कई कारकों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। मोटापा समेत अन्य एनसीडी के बेतरतीब शहरीकरण से जुड़ाव के कई साक्ष्य मिले हैं। खराब तरीके से बनाई गई सड़कों और यातायात का भारी दवाब पैदल चलने वालों और साइकिल चलाने वालों को हतोत्साहित करता है।
    खेल के मैदानों में कमी के चलते बच्चे घरों के अंदर खेलने को विवश होते हैं। इन सबसे शारीरिक परिश्रम में कमी आती है और मोटापे का स्तर बढ़ता है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सरकार को इस मामले में अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए कदम उठना चाहिए।
    रिपोर्ट के अनुसार, मध्यम आयवर्ग और निम्न आयवर्ग के देश एनसीडी के लिए किफायती उपाय अपना रहे हैं। डब्ल्यूएचओ के बिजनेस केस का हवाला देते हुए आयोग ने अनुमान लगाया है कि आज के समय में एनसीडी पर प्रति व्यक्ति एक डॉलर (67.01 रुपये) का खर्च करने पर ये देश वर्ष 2030 तक प्रति व्यक्ति सात डॉलर का निवेश हासिल करने में सफल होंगे।
    आयोग ने रिपोर्ट में कहा है कि गैर-संचारी रोगों की वजह से असामयिक मौतों का खतरा विकसित देशों की तुलना में मध्य एवं अल्प आय वाले देशों में लगभग दोगुना होता है। इसका कारण जागरूकता में कमी और इलाज के लिए बेहतर विकल्प न होना है।





    English | इंग्लिश

    Government of India’s new Initiative-State of Nutrition Report
    Why it is part of D.N.A - The government announced that it would release an annual “state of nutrition” report.
    Why it is important –
    India has a lot to do to tackle nutrition challenges — 26 million children suffer from wasting (a low weight-for-height ratio), more than in any other country.
     The country has the second highest number of obese children in the world — 15.3 million in China and 14.4 million in India. While tackling undernutrition through assurance of adequate nutrition (usually interpreted as dietary calories), we need to ensure that it is also about appropriate nutrition (the right balance of nutrients). Our policy response has to move from “food security” to “nutrition security”.
    India must step up its efforts to fight overweight and obesity just as it has been doing with wasting and stunting. Between 1980and 2015, obesity doubled for children and tripled for adults; an additional 2.6 million children will be obese in India by 2025, a trend that will not reverse without action.
    Over-nutrition: Becoming an emergency
    What is ironic is that over-nutrition is emerging as an emergency in India.
    As per the recent findings of the National Family Health Survey-4 (2015-16), the Body Mass Index (BMI) of 15.5% of urban women was found to be less than 18.5 kg/m2, whereas 31.3% of urban women were in the category of overweight or obese (BMI of or more than 25.0 kg/m2).
    Around 15% of urban men were underweight, while 26.3% belonged to the category of overweight and obese.
    Reason– Dramatic changes in lifestyle and dietary patterns in recent decades have contributed to an increasing prevalence of non-communicable diseases.
    The potent combination of Indian children eating more junk food while becoming increasingly sedentary puts them at an even greater risk. Research has shown that early warning signs for the fatty liver disease can be found in children as young as eight. The Sustainable Development Goal-2, which aims to “end hunger, achieve food security and improved nutrition and promote sustainable agriculture”, is a priority area for India. India should link obesity and undernutrition and treat them as twinned challenges to be jointly addressed under the universal health coverage umbrella.








    Marathi | मराठी

    भारत सरकारचा नवा पुढाकार – ‘स्टेट ऑफ न्यूट्रिशन’ अहवाल

    भारत सरकारने प्रथमच ‘स्टेट ऑफ न्यूट्रिशन’ (पोषणाची स्थिती) अहवाल नुकताच प्रसिद्ध केला आहे.
    या अहवालात हे स्पष्ट झाले आहे की, पोषणविषयक आव्हानांना तोंड देण्यासाठी भारताला अजून खूप काही करणे बाकी आहे.
    ठळक बाबी
    • 26 दशलक्ष मुले कमी वजन-ते-उंची यांचे गुणोत्तर असलेल्या समस्येला तोंड देत आहेत, जी संख्या अन्य कोणत्याही देशापेक्षा अधिक आहे.
    • मुलांमधील लठ्ठपणा या बाबतीत भारत जगात दुसऱ्या क्रमांकाचा देश आहे. चीनमध्ये 15.3 दशलक्ष तर भारतात 14.4 दशलक्ष मुले लठ्ठ आहेत.
    • एक नवीन समस्या समोर आली आहे, ती म्हणजे अधिक वजन आणि लठ्ठपणा. सन 1980-2015 या दरम्यान, लठ्ठपणा असलेल्या मुलांची संख्या दुप्पट झाली आणि प्रौढांसाठी तिप्पट झाली. याला पाहता भविष्यात सन 2025 पर्यंत अतिरिक्त 2.6 दशलक्ष मुले लठ्ठ असतील.
    • वाढत्या लठ्ठपणामुळे हृदयरोग, मधुमेह आणि काही कर्करोग (असंसर्गजन्य रोगही) यांसारख्या तीव्र स्वरुपाच्या आजारांचा धोका वाढत आहे.
    • लठ्ठपणातील वजन वाढ हा एक गंभीर विषय आहे, कारण त्या व्यक्तीला आयुष्यभराच्या आरोग्यविषयक समस्यांना तोंड द्यावे लागते आणि त्याचे जास्ती वजन असलेले बालपण देखील असते.
    • भारतीय मुलांमध्ये जंक फूड खाण्याचे प्रमाण वाढले आहे, त्यामुळे त्यांना आणखी जास्त धोका असतो. संशोधनामध्ये असे आढळून आले आहे की लठ्ठ यकृतामुळे लहान मुलांमध्ये आजारांची लक्षणे आठव्या वर्षी देखील आढळू शकतात.







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