करेंट अफेयर्स ११ एप्रिल २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
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सीवीसी वार्षिक रिपोर्ट 2017: शिकायतों में 50% की कमी आयी
सेंट्रल विजिलेंस कमिशन (सीवीसी) की नवीनतम रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि बीते साल उसे भ्रष्टाचार से जुड़ी सबसे अधिक शिकायतें रेलवे और सार्वजनिक बैंकों के खिलाफ मिलीं। वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 2017 में आयोग को मिलने वाली शिकायतों में 2016 की तुलना में 52 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई।
प्रमुख तथ्य:
संसद में पेश की गई अपनी 2017 की वार्षिक रिपोर्ट में सीवीसी ने कहा है कि 2017 में कुल 23609 शिकायतें मिली हैं, जो कि वर्ष 2011 के बाद से सबसे कम हैं। वर्ष 2016 में यह आंकड़ा 49847 रहा था।
रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश शिकायतों में आरोप अस्पष्ट और गैर-सत्यापित पाए गये हैं। कमीशन को कई शिकायतें राज्य सरकार और अन्य संस्थान (जो आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं या जो प्रशासनिक प्रकृति के हैं) के सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मिली हैं।
वर्ष 2015 में सीवीसी को मिलने वाली शिकायतों की संख्या 29838 रही। वहीं,यह वर्ष 2014 में 62,362, वर्ष 2013 में 31,432 और 2012 में 37,039 के स्तर पर रही हैं। इसी तरह वर्ष 2011 में सीवीसी को भ्रष्टाचार के खिलाफ मिलने वाली शिकायतों की संख्या 16929 रही हैं।
सीवीसी को सीधे तौर पर शिकायत करने के अतिरिक्त, करीब 60 हजार शिकायतें विभिन्न विभागों के चीफ विजिलेंस ऑफिर्स को भी की गई हैं। विस्तृत जानकारी देते हुए सीवीसी ने बताया कि सबसे ज्यादा 12089 शिकायतें रेलवे कर्मचारियों के खिलाफ की गई हैं। रेलवे कर्मचारियों के खिलाफ कुल 1037 शिकायतें छह महीनों से भी ज्यादा समय से लंबित हैं।
सीवीसी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि कुल 8243 भ्रष्टाचार संबंधित शिकायतें दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी), नॉर्थ, ईस्ट और साउथ दिल्ली सिविक बॉडी और नई दिल्ली मुनिसिपल काउंसिल (एनडीएमसी) के खिलाफ मिली है। वहीं, 8018 शिकायतें विभिन्न बैंकों के अधिकारियों के खिलाफ मिली हैं।
केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सेंट्रल विजिलेंस कमिशन):
भारत का केन्द्रीय सतर्कता आयोग भारत सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों/कर्मचारियों से सम्बन्धित भ्रष्टाचार नियंत्रण की सर्वोच्च संस्था है। इसकी स्थापना सन् 1964 में की गयी थी।
इस आयोग के गठन की सिफारिश संथानम समिति (1962-64) द्वारा की गयी थी जिसे भ्रष्टाचार रोकने से सम्बन्धित सुझाव देने के लिए गठित किया गया था। केन्द्रीय सतर्कता आयोग सांविधिक दर्जा (statutory status) प्राप्त एक बहुसदस्यीय संस्था है।
केन्द्रीय सतर्कता आयोग किसी भी कार्यकारी प्राधिकारी के नियन्त्रण से मुक्त है तथा केन्द्रीय सरकार के अन्तर्गत सभी सतर्कता गतिविधियों की निगरानी करता है। यह केन्द्रीय सरकारी संगठनो मे विभिन्न प्राधिकारियों को उनके सतर्कता कार्यों की योजना बनाने, निष्पादन करने, समीक्षा करने तथा सुधार करने मे सलाह देता है।
केन्द्रीय सतर्कता आयोग विधेयक संसद के दोनो सदनों द्वारा वर्ष 2003 में पारित किया गया जिसे राष्ट्रपति ने 11 सितम्बर 2003 को स्वीकृति दी। इसमें एक केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त जो कि अध्यक्ष होता है तथा दो अन्य सतर्कता आयुक्त (सदस्य जो दो से अधिक नही हो सकते) होते हैं।
आयोग में एक अध्यक्ष व दो सतर्कता आयुक्त होते हैं जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक तीन सदस्यीय समिति की सिफारिश पर होती है। इस समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता व केन्द्रीय गृहमंत्री होते हैं। इनका कार्यकाल 4 वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो), तक होता है। अवकाश प्राप्ति के बाद आयोग के ये पदाधिकारी केन्द्र अथवा राज्य सरकार के किसी भी पद के योग्य नहीं होते हैं।
इंग्लिश
CVC Annual Report 2017: Complaints fall by 50%
There has been an over 52% decline in the number of corruption complaints received by the Central Vigilance Commission (CVC) in 2017 compared to 2016.
CVC Annual Report 2017
When CVC receives a complaint, the CVC calls for inquiry from appropriate agencies. There is a procedure that says agencies should send their findings within three months. However, it is usually delayed. The quality of investigation also comes in question as preliminary enquiry is very much followed in media but later findings hardly find hardly any investigation. Recently, Supreme Court criticized Central Bureau of Investigation (CBI) for poor investigations in the 2G scam.
CVC
There has been an over 52% decline in the number of corruption complaints received by the Central Vigilance Commission (CVC) in 2017 compared to 2016.
CVC Annual Report 2017
- Most of the complaints were registered against the railway and government owned banks.
- CVC received only 23, 609 complaints in 2017. It’s a 52% drop from last year as there were 49, 847 complaints in 2016.
- The highest of 12,089 such complaints were against railway employees.
- As many as 8,018 complaints were against officials of various banks.
- According to CVC officials, the complaints have decreased due to improved system for weeding out duplication of complaints.
- According to whistle-blowers and civil organizations, there is requirement to study if the public is losing trust in public investigation agencies.
When CVC receives a complaint, the CVC calls for inquiry from appropriate agencies. There is a procedure that says agencies should send their findings within three months. However, it is usually delayed. The quality of investigation also comes in question as preliminary enquiry is very much followed in media but later findings hardly find hardly any investigation. Recently, Supreme Court criticized Central Bureau of Investigation (CBI) for poor investigations in the 2G scam.
CVC
- It has the status of an autonomous and statutory body, free of control from any executive authority, charged with monitoring all vigilance activity under the Central Government of India, advising various authorities in central Government organizations in planning, executing, reviewing and reforming their vigilance work.
- They are appointed by the president on recommendations of a committee of PM, Home minister and leader of opposition Lok Sabha.
- Removal is done by President on grounds of bankruptcy, unsound mind, infirmity of body or mind, sentenced to imprisonment for a crime, or engages in paid employment or has acquired financial or other interest that might affect his judgment.
मराठी
CVC चा वार्षिक अहवाल 2017: तक्रारींमध्ये सुमारे 52% कमतरता आली
केंद्रीय दक्षता आयोग (CVC) च्या ताज्या अहवालामधून असे स्पष्ट झाले आहे की, मागील वर्षात त्यांना भ्रष्टाचाराशी संबंधित सर्वाधिक तक्रारी रेल्वे आणि सार्वजनिक बँकांच्या विरुद्ध प्राप्त झाल्या.वार्षिक अहवालानुसार 2017 साली आयोगाला प्राप्त होणार्या तक्रारींमध्ये 2016 सालाच्या तुलनेत 52% हून अधिक कमतरता आली आहे.
ठळक बाबी
- 2017 साली एकूण 23609 तक्रारी प्राप्त झाल्या. ही संख्या 2011 सालानंतर सर्वात कमी आहे. 2016 साली हा आंकडा 49847 इतका होता.
- बहुतांश तक्रारींमध्ये आरोप अस्पष्ट आणि गैर-सत्यापित बघितले गेले आहे. प्राप्त तक्रारी राज्य शासन आणि अन्य संस्था (जे आयोगाच्या अधिकार क्षेत्रात येत नाहीत किंवा जे प्रशासनाखाली येतात) यांच्या शासकीय कर्मचार्यांविरुद्ध आहेत.
- सन 2015 मध्ये प्राप्त तक्रारींची संख्या 29838 इतकी होती. तर याचे प्रमाणे 2014 साली 62362, 2013 साली 31432 आणि 2012 साली 37039 एवढे होते. 2011 साली भ्रष्टाचाराविरुद्ध मिळालेल्या तक्रारींची संख्या 16929 इतकी होती.
- जवळजवळ 60 हजार तक्रारी विभिन्न विभागांच्या मुख्य दक्षता अधिकार्यांना देखील प्राप्त झाल्या आहेत.
- 12089 एवढ्या सर्वात जास्त तक्रारी रेल्वे कर्मचार्यांच्या विरोधात प्राप्त झाल्या. रेल्वे कर्मचार्यांच्या विरोधातल्या एकूण 1037 तक्रारी सहा महिन्यांहून अधिक काळापासून प्रलंबित आहेत.
- एकूण 8243 भ्रष्टाचार संबंधित तक्रारी दिल्ली जल मंडळ (DJB), उत्तर, पूर्व आणि दक्षिण दिल्ली नागरी पालिका आणि नवी दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) विरुद्ध प्राप्त झाल्या आहेत. तर, 8018 तक्रारी विविध बँकांच्या अधिकार्यांच्या विरोद्धत प्राप्त झाल्या.
भारताचे केंद्रीय दक्षता आयोग (CVC) भारत सरकारच्या विभिन्न विभागांच्या अधिकारी/कर्मचारी यांच्या संबंधित भ्रष्टाचार नियंत्रणाची सर्वोच्च संस्था आहे. याची स्थापना सन 1964 मध्ये केली गेली.
ही कोणत्याही कार्यकारी अधिकारांच्या नियंत्रणापासून मुक्त आहे आणि केंद्र सरकाराच्या अंतर्गत सर्व दक्षता कृतींवर देखरेख ठेवते.
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