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    Thursday, March 29, 2018

    चीन में भारतीय दल ने दोनों देशों में बहने वाली नदियों पर सहयोग के संबंध में अपने चीनी समकक्षों से बातचीत की:करेंट अफेयर्स २९ मार्च २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी

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    करेंट अफेयर्स २९ मार्च २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी




    हिंदी

    चीन में भारतीय दल ने दोनों देशों में बहने वाली नदियों पर सहयोग के संबंध में अपने चीनी समकक्षों से बातचीत की:
    भारत के जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारियों ने दोनों देशों में बहने वाली नदियों पर सहयोग के संबंध में अपने चीनी समकक्षों से बातचीत की। ब्रह्मपुत्र नदी के जल प्रवाह पर चीन द्वारा पिछले वर्ष से आंकड़े उपलब्ध कराना बंद किये जाने के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली नदी वार्ता है।
    दोनों देशों में बहने वाली नदियों के संबंध में भारत-चीन विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र (ईएलएम) की 11वीं बैठक 26 मार्च 2018 को चीन के हांगझोऊ शहर में समाप्त हुई। यह वार्ता दो दिन चली थी।
    भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व जल संसाधन मंत्रालय में आयुक्त के पद पर कार्यरत तीरथ सिंह मेहरा ने किया। वहीं चीनी दल का नेतृत्व जल संसाधन मंत्रालय के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मामलों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग विभाग के काउंसल यु शिंगजुंग ने किया।
    बैठक में ईएलएम शुरू होने से अभी तक उसमें हुई प्रगति और पनबिजली संबंधी जानकारी उपलब्ध कराने तथा दोनों देशों में बहने वाली नदियों से उत्पन्न होने वाली आपातस्थिति में सहयोग करने पर चर्चा हुई।
    अधिकारियों ने ब्रह्मपुत्र (Yarlong Zangbo) और सतलुज (Langqen Zangbo) नदियों में बाढ़ के मौसम में पनबिजली से जुड़े चीन और भारत के आंकड़ों का भी विश्लेषण किया। ईएलएम की शुरूआत 2006 में हुई। इस समझौते के तहत चीन 15 मई से 15 अक्टूबर के बीच ब्रह्मपुत्र नदी के बाढ़ के आंकड़े भारत को उपलब्ध कराता है।
    ज्ञात रहे कि जब पिछले साल भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद बढ़ा था, उस दौरान चीन ने ब्रह्मपुत्र से जुड़े आंकड़ों को साझा नहीं किया था। उस दौरान इस प्रकार की खबरें आ रही थीं कि चीन भारत पर पानी के जरिए हमला कर सकता है।
    बरसात के मौसम में लगातार पड़ोसी देश एक-दूसरे से नदियों में बढ़ते जलस्तर और बांधों से कितना पानी छोड़ा जा रहा है, इस बारे में आंकड़े सार्वजनिक किए जाते हैं, ताकि अगर बाढ़ जैसे हालात हों तो उससे निपटने की तैयारी की जा सके।


    इंग्लिश

    Indian team in China holds talks on trans-border Rivers
    A team of officials of India’s Ministry of Water resources held talks with Chinese counterparts on the cooperation of trans-border rivers. The two day talks on the 11th meeting of the India China Expert level Mechanism on Trans Border rivers were conducted from March 26 to March 27. The meeting was held in Chinese city of Hangzhou.
    The Indian side was led by Teerath Singh Mehta, Commissioner of Ministry of Water Resources.
    Brahmaputra
    • It is known as Yarlung Tsangpo in China.
    • The Brahmaputra is identified as the flow downstream of the meeting of three tributaries, namely Luhit, Dibang and Dihang, near Sadiya.
    • Brahmaputra originates from the Angsi glacier near Mt. Kailash.
    • Out of the total length of the Brahmaputra of 2,880 km, 1,625 km is in Tibet flowing as Yarlung Tsangpo, 918 km is in India known as Siang, Dihang and Brahmaputra and the rest 337 km in Bangladesh has the name Jamuna till it merges into Padma near Goalando.
    Review of Report on Hydrological Data
    The Indian officials reviewed the data utilisation report upon provision of hydrological information provided by China to India in flood season of Brahmaputra and Sutlej rivers.
    Under the arrangement, China provides flood season data of the Brahmaputra river between May 15 and October 15 every year.
    India’s concerns
    • China has been building major dams on Brahmaputra river to generate hydroelectricity.
    • Currently, China has built Zangmu hydroelectric project in 2015 and 3 more are under construction.
    • China and Bangladesh have raised concerns over the water shortage.



    मराठी


    चीनमध्ये भारतीय पथकाने सीमावर्ती नद्यांविषयी चर्चा आयोजित केली

    26 आणि 27 मार्चला दोन्ही देशांनी ‘भारत-चीन सीमावर्ती नद्यांवरील तज्ञ स्तरीय यंत्रणा’ याच्या 11 व्या बैठक बैठकीचे आयोजन हंगझोऊ शहरात करण्यात आले होते.
    भारत सरकारच्या जलसंपदा मंत्रालयाच्या अधिकार्‍यांच्या पथकाने सीमावर्ती नद्यांच्या सहकाराविषयी चीनी समकक्षांशी चर्चा केली. जलसंपदा मंत्रालयाचे आयुक्त तिरथ सिंग मेहता यांनी भारतीय पथकाचे नेतृत्व केले.
    बैठकीत ब्रह्मपुत्रा आणि सतलज नद्यांच्या पूर परिस्थितीत भारताला चीनकडून प्राप्त झालेल्या जलशास्त्रासंबंधी माहितीबाबत अहवालाच्या वापराबाबत आढावा घेण्यात आला.
    बैठकीत वर्तवण्यात आलेली चिंता
    जलविद्युत निर्मितीसाठी चीन ब्रह्मपुत्रा नदीवर मोठी धरणे बांधत आहेत. 2015 साली चीनने झँगमु जलविद्युत प्रकल्प बांधला आहे आणि आणखी 3 बांधकाम अवस्थेत आहेत. शिवाय चीन आणि बांग्लादेश यांनी पाणी टंचाईबाबत चिंता व्यक्त केली आहे.
    ब्रह्मपुत्रा नदी बाबत
    ब्रह्मपुत्रा चीनमध्ये ‘यार्लंग त्संग्पो’ या नावाने ओळखले जाते. ब्रह्मपुत्रा नदीचे उगम स्थान ‘कैलाश’ पर्वताच्या आंगसी बर्फक्षेत्रात होतो. ब्रह्मपुत्रेला सादियाजवळ तीन उपनद्या मिळतात. त्या नद्या आहेत - लुहित, दिबांग आणि दिहांग.
    ब्रह्मपुत्राच्या पात्राची एकूण लांबी 2,880 किलोमीटर असून त्यापैकी 1,625 किलोमीटरचे पात्र तिबेटमध्ये ‘यार्लंग त्संग्पो’ म्हणून आहे आणि 919 किलोमीटरचे पात्र भारतात 'सियांग', 'दिहांग' आणि 'ब्रह्मपुत्रा' म्हणून ओळखले जाते आणि उर्वरित 337 किलोमीटरचे पात्र बांग्लादेशात गोलंडोजवळील पद्मा नदीत विलीन होण्याआधी ‘जमूना’ म्हणून ओळखले जाते.
    भारत-चीन सीमावर्ती नद्यांवरील तज्ञ स्तरीय यंत्रणा (ELM) बाबत
    तज्ञ स्तरीय यंत्रणा (ELM) च्या संस्थात्मक यंत्रणेची 2006 साली स्थापना करण्यात आली, ज्यामधून सीमावर्ती नद्यांसंबंधित विविध मुद्द्यांवर चर्चा केली जाते. करारांतर्गत चीन पूरजन्य हंगामाच्या काळात ब्रह्मपुत्रा नदी (यार्लंग झांगबो) आणि सतलज नदी (लाँगकेन झांगबो) यांची जलशास्त्रासंबंधी माहिती भारताला पुरवितो.
    दोन्ही देशात स्थापित यंत्रणेमधून चीन दरवर्षी 15 मे आणि 15 ऑक्टोबर या कालावधीत ब्रह्मपुत्रा नदीची पूरजन्य माहिती भारतापुढे सादर करतो.
    न्यायपूर्ण परिस्थितीत पाणी समस्या आणि त्यावरून उद्भवणार्‍या तंट्यांना टाळण्यासाठी दरवर्षी माहितीचा आढावा घेतला जातो.


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