Current affairs 31 December 2017 - Hindi / English / Marathi
लोकसभा ने दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) संशोधन बिल 2017 पारित किया:
लोकसभा में 29 दिसंबर 2017 को दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) में संशोधन विधेयक 2017 पारित कर दिया गया, ताकि इस विधेयक की कमियों को दूर किया जा सके और जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवाले बकाएदार खुद की परिसंपत्तियों की बोली नहीं लगा सकें।
दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक, 2017 वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पेश किया। यह पहले पारित अध्यादेश की जगह लेगा।
आईबीसी का क्रियान्वयन कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है, जिसे 2016 के दिसंबर से लागू किया गया है, जो समयबद्ध दिवालिया समाधान प्रक्रिया प्रदान करता है। प्रस्तावित परिवर्तनों से तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए खरीदारों का चयन करने की प्रक्रिया को सरल बनाने में मदद मिलेगी। उदाहरण के लिए, वर्तमान संहिता में यह निर्धारित नहीं किया गया है कि दिवालियापन प्रक्रिया के तहत तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए कौन बोली लगा सकता है।
प्रमुख तथ्य:
विधेयक में कॉरपोरेट गारंटरों के लिए नियमों को नरम बनाए जाने का प्रस्ताव है।
विधेयक में अध्यादेश के कुछ प्रावधानों को पूर्वप्रभावी बनाया गया है। उदाहरण के लिए, इसमें प्रस्ताव रखा गया है कि ऋणदाताओं की समिति उस स्थिति में नए आवेदन आमंत्रित करेगी जब दिवालिया कंपनियों के लिए आवेदन करने वाले प्रवर्तकों को अध्यादेश द्वारा अयोग्य माना गया हो।
विधेयक में दिवालिया कंपनियों के प्रवर्तकों को बकाया चुका कर अपने ऋणों को स्टैंडर्ड परिसंपत्तियां बनाने के लिए 30 दिन का समय देने का प्रस्ताव है। वहीं दूसरी तरफ प्रवर्तक को अयोग्य घोषित करने के लिए मानकों को सख्त बनाए जाने की भी संभावना पर जोर दिया गया है।
यदि 30 दिन की अवधि पर सख्ती से अमल नहीं किया जाता है तो एक साल से अधिक की एनपीए से जुड़े किसी भी प्रवर्तक को आवेदन से अयोग्य माना जाएगा।
मूल कानून में वर्ष की गणना परिसंपत्तियों को एनपीए घोषित किए जाने से आवेदन के आमंत्रण तक की अवधि को ध्यान में रखकर की गई है। विधेयक में इसकी गणना दिवालियापन के आवेदन को नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल द्वारा स्वीकार किए जाने तक की अवधि को ध्यान में रखकर किए जाने पर जोर दिया गया है।
विधेयक में कहा गया है कि ऋणदाताओं की समिति द्वारा प्रवर्तक को अपनी एनपीए को स्टैंडर्ड परिसंपत्तियों के तौर पर घोषित करने के लिए बकाया भुगतान के लिए 30 दिन तक का समय दिया जाएगा।
Lok Sabha passes Insolvency and Bankruptcy (Amendments) Bill, 2017
The Lok Sabha passed a Bill that seeks to amend the Insolvency and Bankruptcy Code (IBC) to plug potential loopholes and prohibit "certain persons", such as wilful defaulters, from submitting resolution plans to let them take charge of the company.
आता लोकसभेत मंजूरी मिळाल्याने ‘नादारी व दिवाळखोरी संहिता (दुरूस्ती) विधेयक-2017’ ला कायद्याचे स्वरूप प्राप्त झाले आहे.
बेईमान वा धोकादायक व्यक्तींकडून या कायद्याच्या तरतुदीचा दुरुपयोग टाळण्याच्या उद्देशाने हे विधेयक आहे. जाणीवपूर्वक कर्ज बुडवणे, थकीत कर्जदार असणे, कर्जफेड करण्यास टाळाटाळ करणे अशा कृत्यात सहभागी असणाऱ्या व्यक्तींना कंपनी दिवाळखोरीच्या प्रक्रियेपासून दूर ठेवण्याचा या दुरुस्तीचा उद्देश आहे. त्यामुळे औपचारिक अर्थव्यवस्था बळकट होण्यास तसेच प्रामाणिक व्यापाराला प्रोत्साहन मिळण्यास मदत होणार. ही प्रक्रिया भारतीय नादारी व दिवाळखोरी मंडळ (IBBI) मार्फत चालवली जाते.
विधेयकाद्वारे कायद्याच्या कलम 2, 5, 25, 30, 35 आणि 240 यांमध्ये दुरुस्त्या करण्यात आल्या असून 29(अ), 235(अ) या नव्या कलमांचा समावेश करण्यात आला आहे.
भारतीय नादारी व दिवाळखोरी मंडळ (IBBI) भारतात दिवाळखोरीसंबंधी कारवाई आणि भारतातील इन्सोल्वंसी प्रॉफेश्नल एजन्सी (IPA), इन्सोल्वंसी प्रॉफेश्नल्स (IP) आणि इन्फॉर्मेशन यूटिलिटिज (IU) सारख्या संस्थांना नियमित करतात. हे 1 ऑक्टोबर 2016 रोजी स्थापन झाले आणि याला नादारी आणि दिवाळखोरी नियमावलीद्वारे वैधानिक अधिकार दिले गेले. IBBI मध्ये वित्त व कायदा मंत्रालय आणि भारतीय रिझर्व्ह बँक यातील प्रतिनिधीसह 10 सभासद असतात.
Hindi
लोकसभा ने दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) संशोधन बिल 2017 पारित किया:
लोकसभा में 29 दिसंबर 2017 को दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) में संशोधन विधेयक 2017 पारित कर दिया गया, ताकि इस विधेयक की कमियों को दूर किया जा सके और जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवाले बकाएदार खुद की परिसंपत्तियों की बोली नहीं लगा सकें।
दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक, 2017 वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पेश किया। यह पहले पारित अध्यादेश की जगह लेगा।
आईबीसी का क्रियान्वयन कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है, जिसे 2016 के दिसंबर से लागू किया गया है, जो समयबद्ध दिवालिया समाधान प्रक्रिया प्रदान करता है। प्रस्तावित परिवर्तनों से तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए खरीदारों का चयन करने की प्रक्रिया को सरल बनाने में मदद मिलेगी। उदाहरण के लिए, वर्तमान संहिता में यह निर्धारित नहीं किया गया है कि दिवालियापन प्रक्रिया के तहत तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए कौन बोली लगा सकता है।
प्रमुख तथ्य:
विधेयक में कॉरपोरेट गारंटरों के लिए नियमों को नरम बनाए जाने का प्रस्ताव है।
विधेयक में अध्यादेश के कुछ प्रावधानों को पूर्वप्रभावी बनाया गया है। उदाहरण के लिए, इसमें प्रस्ताव रखा गया है कि ऋणदाताओं की समिति उस स्थिति में नए आवेदन आमंत्रित करेगी जब दिवालिया कंपनियों के लिए आवेदन करने वाले प्रवर्तकों को अध्यादेश द्वारा अयोग्य माना गया हो।
विधेयक में दिवालिया कंपनियों के प्रवर्तकों को बकाया चुका कर अपने ऋणों को स्टैंडर्ड परिसंपत्तियां बनाने के लिए 30 दिन का समय देने का प्रस्ताव है। वहीं दूसरी तरफ प्रवर्तक को अयोग्य घोषित करने के लिए मानकों को सख्त बनाए जाने की भी संभावना पर जोर दिया गया है।
यदि 30 दिन की अवधि पर सख्ती से अमल नहीं किया जाता है तो एक साल से अधिक की एनपीए से जुड़े किसी भी प्रवर्तक को आवेदन से अयोग्य माना जाएगा।
मूल कानून में वर्ष की गणना परिसंपत्तियों को एनपीए घोषित किए जाने से आवेदन के आमंत्रण तक की अवधि को ध्यान में रखकर की गई है। विधेयक में इसकी गणना दिवालियापन के आवेदन को नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल द्वारा स्वीकार किए जाने तक की अवधि को ध्यान में रखकर किए जाने पर जोर दिया गया है।
विधेयक में कहा गया है कि ऋणदाताओं की समिति द्वारा प्रवर्तक को अपनी एनपीए को स्टैंडर्ड परिसंपत्तियों के तौर पर घोषित करने के लिए बकाया भुगतान के लिए 30 दिन तक का समय दिया जाएगा।
English
Lok Sabha passes Insolvency and Bankruptcy (Amendments) Bill, 2017
The Lok Sabha passed a Bill that seeks to amend the Insolvency and Bankruptcy Code (IBC) to plug potential loopholes and prohibit "certain persons", such as wilful defaulters, from submitting resolution plans to let them take charge of the company.
- It will replace an ordinance promulgated earlier. The changes proposed are expected to help streamline the process of selecting buyers for stressed assets.
- The bill redefines resolution applicant mentioned in code as a person who submits a resolution plan after receiving an invite by the insolvency professional to do so.
- The Bill seeks to facilitate phased implementation of the provisions of the code to incorporate persons, individuals and partnership firms.
- It also seeks to provide clarity about the persons who can submit a resolution plan in response to an invitation made by the resolution professional.
Marathi
लोकसभेत ‘नादारी व दिवाळखोरी संहिता (दुरूस्ती) विधेयक’ मंजूर झाले
नादारी आणि दिवाळखोरी संहिता-2016 मध्ये दुरूस्ती करणार्या अध्यादेशाला राष्ट्रपती राम नाथ कोविंद यांनी नोव्हेंबर 2017 मध्ये मंजूरी दिली होती.आता लोकसभेत मंजूरी मिळाल्याने ‘नादारी व दिवाळखोरी संहिता (दुरूस्ती) विधेयक-2017’ ला कायद्याचे स्वरूप प्राप्त झाले आहे.
बेईमान वा धोकादायक व्यक्तींकडून या कायद्याच्या तरतुदीचा दुरुपयोग टाळण्याच्या उद्देशाने हे विधेयक आहे. जाणीवपूर्वक कर्ज बुडवणे, थकीत कर्जदार असणे, कर्जफेड करण्यास टाळाटाळ करणे अशा कृत्यात सहभागी असणाऱ्या व्यक्तींना कंपनी दिवाळखोरीच्या प्रक्रियेपासून दूर ठेवण्याचा या दुरुस्तीचा उद्देश आहे. त्यामुळे औपचारिक अर्थव्यवस्था बळकट होण्यास तसेच प्रामाणिक व्यापाराला प्रोत्साहन मिळण्यास मदत होणार. ही प्रक्रिया भारतीय नादारी व दिवाळखोरी मंडळ (IBBI) मार्फत चालवली जाते.
विधेयकाद्वारे कायद्याच्या कलम 2, 5, 25, 30, 35 आणि 240 यांमध्ये दुरुस्त्या करण्यात आल्या असून 29(अ), 235(अ) या नव्या कलमांचा समावेश करण्यात आला आहे.
- कलम 29(अ) अन्वये काही विशेष व्यक्तींना उत्तरासाठी अर्जदार बनण्यास अपात्र घोषित केले जाऊ शकते. मुद्दाम डिफॉल्टर बनणारी व्यक्ती/कंपनी; एक वर्षाहून अधिक कालावधीपासून खात्याला अकार्यक्षम संपत्ती (NPA) म्हणून वर्गीकृत केले आहे अशी संबंधित व्यक्ती/कंपनी आणि दिवाळखोरी निराकरण प्रक्रियेमधील इतर व्यक्ती/कंपनी यांचा यात समावेश होईल.
- कलम 235(अ) अन्वये कायद्याचा दुरुपयोग केल्यास शिक्षा म्हणून एक लाख रुपयांपेक्षा अधिकचा दंड आकाराला जाऊ शकतो.
भारतीय नादारी व दिवाळखोरी मंडळ (IBBI) भारतात दिवाळखोरीसंबंधी कारवाई आणि भारतातील इन्सोल्वंसी प्रॉफेश्नल एजन्सी (IPA), इन्सोल्वंसी प्रॉफेश्नल्स (IP) आणि इन्फॉर्मेशन यूटिलिटिज (IU) सारख्या संस्थांना नियमित करतात. हे 1 ऑक्टोबर 2016 रोजी स्थापन झाले आणि याला नादारी आणि दिवाळखोरी नियमावलीद्वारे वैधानिक अधिकार दिले गेले. IBBI मध्ये वित्त व कायदा मंत्रालय आणि भारतीय रिझर्व्ह बँक यातील प्रतिनिधीसह 10 सभासद असतात.
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