6 December/६ दिसम्बर
चालू घडामोडी/current affairs
This Information also available
चालू घडामोडी/current affairs
This Information also available
केंद्र सरकार ने विदेश व्यापार नीति की मध्यावधि समीक्षा जारी की:
केन्द्र ने वर्ष 2015 से 2020 तक की विदेश व्यापार नीति की मध्यावधि समीक्षा जारी की, जिसमें देश से समान और सेवाओं का निर्यात बढ़ाने तथा रोजगार के अवसरों में वृद्धि पर जोर दिया गया है।
नई दिल्ली में मध्यावधि समीक्षा जारी करते हुए वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि देश में नई कर व्यवस्था लागू होने से निर्यात क्षेत्र को बढावा देने में मदद मिलेगी। प्रभु ने कहा कि किसानों की आमदनी दुगनी करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच को साकार करने के लिए विदेश व्यापार नीति में कृषि निर्यात पर जोर दिया गया है।
प्रमुख तथ्य:
- नई नीति को जारी करते हुए सुरेश प्रभु ने कहा कि निर्यात में प्रोत्साहन के कारण पिछले 14 में से 13 महीने में बढ़त दर्ज हुई है।
- प्रभु ने कहा कि एफटीपी का उद्देश्य एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट्स पर केंद्रित नीति के माध्यम से किसानों की इनकम में बढ़ोत्तरी को आसान बनाना है।
- निर्यात प्रोत्साहन स्कीम्स को जारी रखते हुए उनमें सुधार करना।
- ऐसे छोटे बिजनेस को 2 फीसदी का इनसेंटिव देना जिनमें रोजगार के ज्यादा अवसर हों।
- ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप की समय सीमा को बढ़ाकर 24 महीने करना।
- सालाना प्रोत्साहन राशि 34 प्रतिशत से बढ़कर 8,450 करोड़ रुपये हुई।
- लाजिस्टिक क्षेत्र के एकीकृत विकास को प्रोत्साहित करने के लिए नया लाजिस्टिक्स प्रकोष्ठ बनेगा।
विदेशी व्यापार नीति में कई बातों का ध्यान रखा गया है। इसमें निर्यातों को कैसे जीएसटी का पूरा लाभ मिले और निर्यात में आने वाली दिक्कतों को तुरंत दूर करने के लिए एक कार्यप्रणाली बनाने पर जोर दिया गया है।
इसके अलावा विदेश व्यापार में ईज ऑफ डूइंग से लेकर कृषि निर्यात को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।
मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट फ्राम इंडिया स्कीम (MEIS) में इनसेंटिव में 2 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। यह 2 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया गया है। इसके अलावा देश से होने वाले सर्विस एक्सपोर्ट पर भी 2 फीसदी का इनसेंटिव बढ़ाया गया है।
टिप्पणी:
पहले मध्यावधि समीक्षा 1 जुलाई से पहले जारी होनी थी, जब जीएसटी को लाया गया था, लेकिन इसे आगे बढ़ा दिया गया क्योंकि सरकार इसमें एक्सपोर्टर्स का जीएसटी पर फीडबैक भी चाहती थी। अप्रैल 2015 में पांच साल की विदेश व्यापार नीति की घोषणा हुई थी, जिसमें भारतीय सेवाओं व वस्तुओं के निर्यात को 2020 तक 900 अरब अमेरिकी डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया था।
English
Centre unveils Mid term Foreign Trade Policy review
Key policymakers led by Commerce Minister Suresh Prabhu unveiled the mid-term review of the foreign trade policy on 5 December, which is likely to address exporters’ concerns to arrest the declining trend of shipments.
The mid-review of the much-awaited policy will be released at an event graced by Prabhu, along with top officials, including the Directorate General of Foreign Trade, Atul Chaturvedi, Commerce Secretary Rita Teaotia, and Revenue Secretary Hasmukh Adhia.
Exporters have been voicing concerns about the challenges on account of implementation of GST, even suggesting that they be kept out of the ambit of the new indirect tax regime and the drawback refund be expedited as it was blocking their working capital.
The mid-term review was earlier supposed to be released before July 1, in line with the introduction of GST. However, it was put off as the government wanted to factor in the feedback from exporters based on their experience with GST. Exports entered the negative terrain after over a year, contracting 1.12 per cent in October, primarily due to liquidity problems being faced by exporters following the rollout of GST.
The five-year FTP, which was announced on April 1, 2015, has set an ambitious target of India’s goods and services exports touching $900 billion by 2020.
Aim:
- It also aims at increasing the country's share of world exports to 3.5 per cent from 2 per cent.
- Job creation, improving trade logistics are likely to be key focus areas in the mid-term Foreign Trade Policy review and may also seek to address GST- related concerns of exporters.
Marathi
केंद्र शासनाने मध्यावधी विदेश व्यापार धोरण आढावा जाहीर केला
केंद्र शासनाने वर्ष 2015 पासून ते वर्ष 2020 पर्यंतच्या विदेश व्यापार धोरणाच्या मध्यावधी आढावा जाहीर केला आहे, ज्यामध्ये देशातून वस्तु आणि सेवांची निर्यात वाढविणे तसेच रोजगाराच्या संधि वाढविण्यावर भर दिला गेला आहे.
मुख्य बाबी
- शासनाच्या वस्तू व सेवांच्या निर्यातीला प्रोत्साहन देण्याच्या निर्णयामुळे वर्षाला सुमारे 8,450 कोटी रूपयांचा अतिरिक्त भार सहन करावा लागणार आणि या वित्त वर्षांच्या उर्वरित महिन्यांमध्ये 2,816 कोटी रुपयांचा अतिरिक्त खर्च करावा लागणार.
- भारतापासून वस्तु निर्यात योजना (MEIS) अंतर्गत वस्त्रोद्योगाच्या तयार कपडे आणि मेडअप्स या दोन उपक्षेत्रांसाठी प्रोत्साहन दराला दुप्पट म्हणजेच 2% वरुन 4% करण्यात आले आहे. यामध्ये अतिरिक्त वार्षिक प्रोत्साहन 2743 कोटी रुपयांचे दिले जाणार.
- विदेश व्यापार धोरण अंतर्गत चर्मद्योग क्षेत्राला 749 कोटी रुपयांचे अतिरिक्त वार्षिक प्रोत्साहन मिळणार. हाताने विणलेली रेशमी गालीचा, नारळाचे धागे आणि ज्यूट उत्पादनांसाठी 921 कोटी रुपये, कृषी उत्पादनांसाठी 1354 कोटी रुपये समुद्री उत्पादों के लिए 759 कोटी रुपये, दूरसंचार व इलेक्ट्रॉनिक उपकरणांचे भाग या क्षेत्रासाठी 369 कोटी रुपये आणि वैद्यकीय उपकरण क्षेत्रासाठी 193 कोटी रुपयांचे अतिरिक्त प्रोत्साहन दिले जाणार.
- मोठ्या प्रमाणात रोजगार देणार्या सूक्ष्म, लघु आणि मध्यम उद्योग क्षेत्राला प्रोत्साहन देण्यासाठी या उपक्रमांमध्ये उत्पादित सर्व वस्तूंसाठी प्रोत्साहन दराला 2% वाढविण्यात आले आहे.
- रोजगाराभिमुख उद्योग आणि MSME क्षेत्राला वार्षिक 4,567 कोटी रुपयांचे अतिरिक्त प्रोत्साहन दिले जाणार. भारतापासून सेवा निर्यात योजना (SEIS) प्रोत्साहनालाही 2% वाढविण्यात आले आहे, ज्याचा उद्देश न्याय, लेखा, वास्तुकला, शिक्षण आणि अन्य सेवांच्या निर्यातला प्रोत्साहन देणे आहे. या क्षेत्रांना वार्षिक 1,140 कोटी रुपयांचे प्रोत्साहन दिले जाणार.
- सिक्युरिटीजच्या हस्तांतरण आणि विक्रीवर लागणार्या GST दराला 12% वरुन घटवत शून्य करण्यात आले तसेच त्यांची वैधता अवधी उपस्थित 18 महिन्यांवरून वाढवत 24 महीने केले गेले.
No comments:
Post a Comment