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    Tuesday, December 5, 2017

    विश्व मृदा दिवस: 5 दिसंबर / World Soil Day/जागतिक मृदा दिवस

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    विश्व मृदा दिवस: 5 दिसंबर

    5 दिसंबर, 2017 को संपूर्ण विश्व में ‘विश्व मृदा दिवस’ (World Soil Day) मनाया गया। इस दिवस को मनाने का उदेश्य किसानों और आम लोगों को मिट्टी की महत्ता के बारे में जागरूक करना है। 05 दिसंबर, 2014 को प्रथम ‘‘विश्व मृदा दिवस’’ संपूर्ण विश्व में मनाया गया था।
    विश्व मृदा दिवस 2017 की थीम (विषय) "केयरिंग फॉर  प्लेनेट स्टार्टस फ्रॉम ग्राउंड" है।

    इतिहास:

    सर्वप्रथम अंतर्राष्ट्रीय मृदा संघ ने वर्ष 2002 में प्राकृतिक प्रणाली के महत्वपूर्ण घटक के रूप में तथा मानव भलाई में मृदा के योगदान के प्रति आभार व्यक्त करने के उद्देश्य से 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाने का प्रस्ताव किया था। दिसंबर, 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 68वीं सामान्य सभा की बैठक में पारित संकल्प के द्वारा 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाने का संकल्प लिया।
    वर्ष 2016 में इस दिवस का मुख्य विषय ‘मिट्टी और दालें, जीवन के लिए एक सहजीव’ (Soils and Pulses, a Symbiosis for life) था।

    भारत में मिट्टी कल्याण के लिए योजना:

    मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2015 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (एसएचसी) की शुरूआत की थी। इसके लिए भारत सरकार के कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय ने पूरे देश में 14 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) जारी करने का लक्ष्य रखा था। इसके लिए अलग से 568 करोड़ रूपये का बजट भी रखा गया था।
    वित्तीय वर्ष 2015-16 में राज्य सरकार के सहयोग से इसकी शुरूआत करते हुए प्रत्येक तीन वर्षों में 253 लाख मिट्टी के नमूनों की जांच की जाएगी जिसके फलस्वरूप करीब 14 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) जारी किए जा सकेंगे।

    ● English

    World Soil Day: 5 December

    World Soil Day was observed at the headquarters of UN food agency Food and Agricultural Organisation (FAO) in Rome on December 5, 2017.

    Theme for World Soil Day 2017

    The theme for World Soil Day 2017, as dedicated by the Global Soil Partnership, is "Caring for the Planet starts from the Ground".
    Soil is a finite natural resource; on a human time-scale it is non-renewable. However, despite the essential role that soil plays in human livelihoods, there is a worldwide increase in degradation of soil resources due to inappropriate management practices, population pressure driving unsustainable intensification and inadequate governance over this essential resource.

    Background

    World Soil Day (WSD) is held annually on 5 December as a means to focus attention on the importance of healthy soil and advocating for the sustainable management of soil resources.
    An international day to celebrate Soil was recommended by the International Union of Soil Sciences (IUSS) in 2002. Under the leadership of the Kingdom of Thailand and within the framework of the Global Soil Partnership, FAO has supported the formal establishment of WSD as a global awareness raising platform.
    The FAO Conference unanimously endorsed World Soil Day  in June 2013 and requested its official adoption at the 68th UN General Assembly. In December 2013 the UN General Assembly responded by designating 5 December 2014 as the first official World Soil Day.
    The date of 5 December for WSD was chosen because it corresponds with the official birthday of King Bhumibol Adulyadej, the King of Thailand, who officially sanctioned the event.
    In 2016 this day was officially recognized in memory and with respect for this beloved monarch who passed away in October 2016 after seven decades as head of state.


    जागतिक मृदा दिवस: 5 डिसेंबर

    संयुक्त राष्ट्रसंघाच्या रोम स्थित अन्न व कृषी संघटना (Food and Agriculture Organisation- FAO) च्या नेतृत्वात 5 डिसेंबर 2017 रोजी जगभरात जागतिक मृदा दिवस (World Soil Day) साजरा केला जात आहे.
    या वर्षी "केयरिंग फॉर द प्लॅनेट स्टार्ट्स फ्रॉम द ग्राऊंड" या विषयाखाली हा दिवस साजरा करण्यात येत आहे.
    उद्दिष्ट - अन्न सुरक्षा, निरोगी पर्यावरण आणि मानव कल्याणासाठी मृदेच्या गुणधर्मांचे महत्त्व पट‍वून देणारे संदेश पसरवणे.
    मृदा हे एक मर्यादित नैसर्गिक स्त्रोत आहे. मानवी कालखंडात मृदा पुनर्निर्मित केली जाऊ शकत नाही. तथापि, मानवी जीवनामध्ये मृदेची भूमिका महत्त्वाची असूनही, अनुचित व्यवस्थापन पद्धतीमुळे मृदेचा कस कमी होण्यामध्ये जागतिक स्तरावर वाढ होत आहे.
    पार्श्वभूमी
    हवामानातील बदल, दारिद्र्य निर्मूलन आणि शाश्वत विकास यादृष्टीने कार्य करण्यासह अन्नसुरक्षा, कृषी यासाठी मृदाचे महत्त्व यासंबंधी जागरूकता निर्माण करण्याच्या उद्देशाने हा दिवस पाळला जातो.
    जून 2013 मध्ये ‘वैश्विक मृदा भागीदारी’ च्या चौकटीत FAO परिषदेकडून प्रस्तावित प्रस्तावादाखल, डिसेंबर 2013 मध्ये 68 व्या संयुक्त राष्ट्रसंघाच्या आमसभेत 5 डिसेंबर 2014 रोजी प्रथम अधिकृत ‘जागतिक मृदा दिवस’ साजरा करण्याचे मान्य केले गेले. प्रत्यक्षात ही कल्पना 2002 साली इंटरनॅशनल युनियन ऑफ सॉइल सायंसेस (IUSS) द्वारा प्रस्तावित केली गेली होती.

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