दैनिक सामान्य ज्ञान | Daily General Knowledge:
गोलन हाईट
राष्ट्रपती डोनाल्ड ट्रम्प यांनी मांडलेला प्रस्ताव अमेरिकेच्या संसदेनी मंजूर करीत गोलन हाईट या विवादीत प्रदेशावर इस्राएलचे सार्वभौमत्व मान्य केले.गोलन हाईट
गोलन हाईट हे मोठे खडकाळ पठार असून ते सिरियाच्या नैऋत्य दिशेला आहे.
हा मध्य पूर्व प्रदेशातल्या लेवेंतमधील एक विवादित क्षेत्र आहे, हा भाग जवळपास 1,800 चौ. किलोमीटरच्या क्षेत्रात पसरलेला आहे. याच्या दक्षिणेकडे यर्मोक नदी, पश्चिमेकडे गलील समुद्र आणि हुला घाटी, उत्तरेकडे हर्मन पर्वत आहे. हा परिसर उंचावर असल्याने त्याचा लष्कराच्या दृष्टीने महत्त्व मोठे आहे. शिवाय हा परिसर जॉर्डन नदीसाठी पाणलोट क्षेत्र आहे.
1967 साली जे सहा दिवसांचे युद्ध झाले, त्यावेळी इस्राएलने हा भाग सिरियाकडून स्वतःच्या ताब्यात घेतला. युद्धसंधीनंतर हा भाग इस्राएलच्या ताब्यात गेला.
1973 साली युद्धाविरामानंतर या ठिकाणी संयुक्त राष्ट्रसंघाचे निरीक्षक नेमण्यात आले आहेत. 1981 साली इस्राएलने एकतर्फी हा प्रदेश स्वतःच्या ताब्यात घेतला आहे. याला आंतरराष्ट्रीय मान्यता नाही. या भागात जवळपास 20 हजार ज्यू नागरिक आणि तितकेच सिरियाचे नागरिक आहेत.
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Golan Heights
US President Donald Trump has said the United States should acknowledge Israeli sovereignty over the hotly-contested Golan Heights. There was also quick approval from the senior Republican in the US Senate.US called the Golan - a strategic area seized from Syria and annexed in a move never recognised by the international community.
What are the Golan Heights?
Golan Heights is a hilly area overlooking the upper Jordan River valley on the west.
Geographically, the Golan is bounded by the Jordan River and the Sea of Galilee on the west, Mount Hermon on the north, the seasonal Wadi Al-Ruqqād (a north-south branch of the Yarmūk River) on the east, and the Yarmūk River on the south.
The region is located about 60 km south-west of the Syrian capital, Damascus, and covers about 1,200 sq km (400 sq miles).
Political View
Israel occupied the Golan Heights, West Bank, East Jerusalem and the Gaza Strip in the 1967 Six-Day War (Middle East war). Israel seized most of the Golan from Syria during war.
The two countries agreed a disengagement plan the following year that involved the creation of a 70km-long (44-mile) demilitarised zone patrolled by a United Nations observer force. But they remained technically in a state of war.
In 1981, Israel's parliament passed legislation applying Israeli "law, jurisdiction, and administration" to the Golan, in effect annexing the territory. But the UN Security Council did not recognise the move and maintained that the Golan was occupied Syrian territory.
There are more than 30 Israeli settlements in the Golan, which are home to an estimated 20,000 people.
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गोलन हाइट्स
डोनल्ड ट्रंप ने गोलन पहाड़ियों को इसराइली इलाक़े के रूप में मान्यता दी
आलोचकों ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के रणनीतिक ‘गोलन हाइट्स’ पर इज़राइल की संप्रभुता को मान्यता देने के समय पर सवाल उठाए हैं जबकि गौरतलब है कि वहां कुछ सप्ताह में ही चुनाव होने वाले हैं।ट्रम्प ने 21 मार्च को एक ट्वीट में कहा था, ‘‘ 52 वर्ष बाद अमेरिका के ‘गोलन हाइट्स’ पर इज़राइल की संप्रभुता को मान्यता देने का समय आ गया है, जो कि इज़राइल और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण रणनीतिक एवं सुरक्षा के लिहाज से अहम है।’’
इसराइल ने 1981 में इस इलाक़े पर अपना दावा बताते हुए गोलन पहाड़ियों में अपना प्रशासन और क़ानून लागू किया था, लेकिन दुनियाभर के देशों ने इसे मान्यता नहीं दी थी।
ट्रम्प ने ऐसे समय में यह घोषणा की है जब नौ अप्रैल को होने वाले आम चुनाव में इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को बड़ी टक्कर का सामना करना पड़ेगा। नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार के कई आरोप भी लगे हैं।
गोलन हाइट्स
गोलन हाइट्स मध्य पूर्व के लेवेंत में एक विवादित क्षेत्र है , यह लगभग 1,800 वर्ग किलोमीटर (690 वर्ग मील) फैला हुआ है।1967 में सीरिया के साथ युद्ध के दौरान इसराइल ने गोलन पहाड़ियों को अपने क़ब्जे़ में ले लिया था. तभी से दोनों देशों के बीच इस इलाक़े को लेकर विवाद चला आ रहा है।
यह भी पढ़े : इसराइल और अरब में संघर्ष
अरब और इसराइल के संघर्ष की छाया मोरक्को से लेकर पूरे खाड़ी क्षेत्र पर है। इस संघर्ष का इतिहास काफ़ी पुराना है। 14 मई 1948 को पहला यहूदी देश इसराइल अस्तित्व में आया।
यहूदियों और अरबों ने एक-दूसरे पर हमले शुरू कर दिए, लेकिन यहूदियों के हमलों से फ़लस्तीनियों के पाँव उखड़ गए और हज़ारों लोग जान बचाने के लिए लेबनान और मिस्र भाग खड़े हुए।
1948 में इसराइल के गठन के बाद से ही अरब देश इसराइल को जवाब देना चाहते थे।
जनवरी 1964 में अरब देशों ने फ़लस्तीनी लिबरेशन ऑर्गनाइज़ेशन, पीएलओ नामक संगठन की स्थापना की। 1969 में यासिर अराफ़ात ने इस संगठन की बागडोर संभाल ली। इसके पहले अराफ़ात ने 'फ़तह' नामक संगठन बनाया था जो इसराइल के विरुद्ध हमले कर काफ़ी चर्चा में आ चुका था।
यह युद्ध 5 जून से 11 जून 1967 तक चला और इस दौरान मध्य-पूर्व संघर्ष का स्वरूप बदल गया। इसराइल ने मिस्र को ग़ज़ा से, सीरिया को गोलन पहाड़ियों से और जॉर्डन को पश्चिमी तट और पूर्वी येरुशलम से धकेल दिया। इसके कारण पाँच लाख और फ़लस्तीनी बेघर हो गए थे।
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