करेंट अफेयर्स १६ एप्रिल २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी
हिंदी
स्मार्ट ऊर्जा विकल्पों में पानी का महत्व:
जलवायु परिवर्तन पृथ्वी के अस्तित्व के लिए एक बड़े खतरे को प्रस्तुत करता है। लेकिन इसे कम करने के लिए अपनाया गया मौजूदा दृष्टिकोण, जो एकमात्र CO2 उत्सर्जन को कम करने पर ध्यान केंद्रित करता है, जलवायु परिवर्तन से प्रभावी ढंग से लड़ने में बहुत अधिक मदद नहीं करेगा।
ऊर्जा क्षेत्र जल संसाधनों का उपयोग करता है और यह वर्तमान समय की आवश्यकता है कि नीति निर्माता को समझना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन संबधी बातचीत में जल को शामिल करना चाहिए।
नेशनल रिसोर्स कौंसिल, यूएसए द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, जल जलवायु परिवर्तन के कारणों और प्रभाव के दिल में है।
जिस प्रकार से वायुमंडलीय क्षेत्र में कार्बन जमा होने से जलवायु परिवर्तन में योगदान होता है, ठीक उसी प्रकार से जल संसाधनों में गिरावट और कमी होने से भी जलवायु परिवर्तन होता है। और ये प्रक्रियाएं पारस्परिक रूप से एक दूसरे को मजबूत कर रही हैं।
ऊर्जा क्षेत्र द्वारा जल उपभोग:
इस समस्या को कैसे हल किया जाए?
देशों को स्मार्ट ऊर्जा विकल्प बनाना चाहिए, जो न केवल कम कार्बन उत्सर्जन करे बल्कि पानी की भी कम खपत करे।
सौर और पवन ऊर्जा संभावित रूप से दो पावर जनरेटिंग तंत्र हैं जहां पानी की आवश्यकता नहीं है।
बिजली संयंत्रों को ताजे पानी के स्रोतों पर भी नहीं बनाया जाना चाहिए। इन संयंत्रों को खारे पानी अथवा निम्नीकृत पानी के स्रोतों पर बनाया जाना चाहिए।
तटीय क्षेत्रों पर स्थित परमाणु ऊर्जा संयंत्र एक स्वागत योग्य कदम हैं क्योंकि ये समुद्र के पानी पर अधिक निर्भर होंगे।
जलवायु परिवर्तन पृथ्वी के अस्तित्व के लिए एक बड़े खतरे को प्रस्तुत करता है। लेकिन इसे कम करने के लिए अपनाया गया मौजूदा दृष्टिकोण, जो एकमात्र CO2 उत्सर्जन को कम करने पर ध्यान केंद्रित करता है, जलवायु परिवर्तन से प्रभावी ढंग से लड़ने में बहुत अधिक मदद नहीं करेगा।
ऊर्जा क्षेत्र जल संसाधनों का उपयोग करता है और यह वर्तमान समय की आवश्यकता है कि नीति निर्माता को समझना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन संबधी बातचीत में जल को शामिल करना चाहिए।
नेशनल रिसोर्स कौंसिल, यूएसए द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, जल जलवायु परिवर्तन के कारणों और प्रभाव के दिल में है।
जिस प्रकार से वायुमंडलीय क्षेत्र में कार्बन जमा होने से जलवायु परिवर्तन में योगदान होता है, ठीक उसी प्रकार से जल संसाधनों में गिरावट और कमी होने से भी जलवायु परिवर्तन होता है। और ये प्रक्रियाएं पारस्परिक रूप से एक दूसरे को मजबूत कर रही हैं।
ऊर्जा क्षेत्र द्वारा जल उपभोग:
- ऊर्जा निष्कर्षण, प्रसंस्करण (रिफाइनिंग सहित) और उत्पादन प्रक्रिया में अत्यधिक जल का प्रयोग होता है।
- ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर अन्य विकसित देशों में ताजे पानी का सबसे बड़ा उपभोक्ता क्षेत्र ऊर्जा क्षेत्र है, जबकि विकासशील देशों में कृषि क्षेत्र ताजे पानी का मुख्य उपभोक्ता क्षेत्र है।
- यूरोपीय संघ में, हर साल बिजली का उत्पादन करने वाले संयंत्र अकेले कुल ताजे पानी का 44% हिस्सा प्रयोग करते हैं। जबकि अमेरिका में यह आंकड़े 41 प्रतिशत है।
इस समस्या को कैसे हल किया जाए?
देशों को स्मार्ट ऊर्जा विकल्प बनाना चाहिए, जो न केवल कम कार्बन उत्सर्जन करे बल्कि पानी की भी कम खपत करे।
सौर और पवन ऊर्जा संभावित रूप से दो पावर जनरेटिंग तंत्र हैं जहां पानी की आवश्यकता नहीं है।
बिजली संयंत्रों को ताजे पानी के स्रोतों पर भी नहीं बनाया जाना चाहिए। इन संयंत्रों को खारे पानी अथवा निम्नीकृत पानी के स्रोतों पर बनाया जाना चाहिए।
तटीय क्षेत्रों पर स्थित परमाणु ऊर्जा संयंत्र एक स्वागत योग्य कदम हैं क्योंकि ये समुद्र के पानी पर अधिक निर्भर होंगे।
इंग्लिश
Making Water Smart Energy Choices
Climate change presents an existential threat to the planet. But the current approach to mitigating it, which reflects a single minded focus on cutting CO2 emissions wouldn’t help in fighting climate change effectively. Energy sector uses water resources for and it needs to be reinstated in the policy makers that water should be also incorporated in the climate change discourse.
According to a report published by National Resource Council, USA; water is at the heart of both the causes and effects of climate change. Just as the accumulation of carbon in the atmosphere contributes to climate change, so does the degradation and depletion of water resources. And these processes are mutually reinforcing, with each propelling and intensifying the other.
Water Consumption by energy sector
- Energy extraction, production and production is highly water intensive.
- The energy sector is the largest consumer of fresh water in developed countries except Australia and developing countries where agriculture is the main consumer of fresh water.
- In the European Union, electricity generating power plants alone account for freshwater consumed each year. In the US, it accounts for 41%.
As the water resources are becoming scarier the energy companies are digging deep to extract the water from earth. Even the clean energy power generation from bio-fuel will create a heavy stress on the water.
How to tackle it?
- Countries must make smart energy choices which are not only less carbon intensive but also less water intensive.
- Previously, understood as clean energy sources such as clean coal involving carbon capture along with nuclear power plants are also at the top of the water intensity chart.
- Solar and Wind energy are probably two power generating mechanism where water is not required.
- Power plants also should not be located on the freshwater resources. It should be located and dependent on saline, brackish and degraded water.
- Nuclear power plants located on the coastal areas are a welcome move as it will depend more on the sea water.
- There is a need to have a comprehensive water and energy policy which can balance the both.
मराठी
स्मार्ट ऊर्जा पर्यायांमध्ये पाण्याचे महत्त्व
वातावरणातील बदलामुळे पृथ्वीसाठी धोका निर्माण झाला आहे. याबाबत घेतले जाणारे सर्व पुढाकार कार्बन डायऑक्साइडच्या उत्सर्जनावर नियंत्रण ठेवण्यासंबंधी केंद्रित आहे. परंतु, या समस्येशी परिणामकारकपणे लढण्यास पाण्याचाही विचार होणे आवश्यक ठरते.ऊर्जा क्षेत्राकडून जलस्रोतांचा मोठ्या प्रमाणात वापर केला जातो आणि त्यामुळे धोरण तयार करताना धोरण निर्मात्यांना जलस्त्रोतांना पुनर्संचयित करण्याबाबत विचार करणे अत्यावश्यक आहे.
अमेरिकेच्या नॅशनल रिसोर्स कौन्सिलने प्रकाशित केलेल्या एका अहवालानुसार, पाणी हे दोन्ही हवामानातील बदलांची कारक आणि परिणाम असे दोन्ही आहे. ज्याप्रमाणे वातावरणातील कार्बन साठल्याने वातावरणातील बदल घडतात, तसंच जलस्रोतांची हानीही होते. या प्रक्रियेमध्ये ते एकमेकांना वाढवतात.
जगभरात पाण्याचा होणारा वापर
विकसित देशांमध्ये ऊर्जा क्षेत्र ताज्या पाण्याचे सर्वात मोठे ग्राहक आहे, तर ऑस्ट्रेलिया आणि विकसनशील देशांमध्ये कृषी क्षेत्रात मोठ्या प्रमाणात पाण्याचा वापर होतो. युरोपीय संघामध्ये दरवर्षी वीज निर्मिती करण्यास सर्वाधिक ताजे पाणी वापरले जाते. त्यानंतर अमेरिकेत याबाबत असलेले प्रमाण 41% आहे.
भुजलस्रोतांचा वापर करण्यासाठी ऊर्जा कंपन्या खोलवर खोदत आहेत. जरी जैव-इंधनपासून स्वच्छ ऊर्जेची निर्मिती केली जाते तरीही पाण्यावर प्रचंड ताण निर्माण होणारच.
ही समस्या कशी हाताळावी?
- देशांनी स्मार्ट ऊर्जा पर्यायाची निवड करणे आवश्यक आहे, जी केवळ कमी कार्बन केंद्रीत नसेल तर पाण्याच्या बाबतीत संवेदनशील असणार.
- पूर्वीच्या धारणेनुसार, स्वच्छ ऊर्जेचे स्रोत, जसे की क्लिन कोल तसेच अणुप्रकल्प, पाण्याबाबत संवेदनशील अश्या प्राथमिकतेमध्ये अग्रभागी असावेत.
- संभवत: सौर आणि पवन ऊर्जा या अश्या दोन ऊर्जा निर्मिती यंत्रणा आहेत जेथे पाण्याची आवश्यकता नाही.
- वीज प्रकल्प गोड्या पाण्याच्या स्त्रोतांच्या ठिकाणी नसावेत. ते खारेपाणी, क्षारयुक्त पाणी आणि निकृष्ट पाणी यावर अवलंबून असावेत.
- सागरी किनारपट्टीच्या भागात असलेले अणुऊर्जा प्रकल्प हा एक स्वागतार्ह पुढाकार आहे, कारण ते समुद्राच्या पाण्यावर अधिक अवलंबून असणार.
- पाणी आणि ऊर्जा धोरण असण्याची आवश्यकता आहे, ज्यामुळे दोन्हीमध्ये समतोल साधू शकता येणार.
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