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    Friday, March 30, 2018

    कैबिनेट ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) अधिनियम में संशोधन का अनुमोदन किया: Amendments to National Medical Commission (NMC) Bill approved ‘राष्ट्रीय वैद्यकीय आयोग (NMC)’ विधेयकात दुरुस्ती करण्यास मंजुरी

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    करेंट अफेयर्स ३० मार्च २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी




    हिंदी

    कैबिनेट ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) अधिनियम में संशोधन का अनुमोदन किया:
    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) अधिनियम में संशोधन का अनुमोदन किया। ये संशोधन लोकसभा में दिनांक 2 जनवरी 2018 को विचार करने तथा इसके बाद विभाग से संबंधित संसदीय समिति को विचार के लिए भेजने की पृष्ठभूमि में किये गये हैं।
    सरकार ने संसदीय समिति द्वारा संसद में दिनांक 20 मार्च 2018 को प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुमोदनों पर और चिकित्सा छात्रों तथा चिकित्सा पेशा से जुड़े लोगों द्वारा दिये गये विचारों/सलाहों पर विचार किया है।
    यह संशोधन निम्नलिखित हैं:
    • कैबिनेट ने फाइनल एमबीबीएस परीक्षा को ही पूरे देश में सामान्य परीक्षा का दर्जा देने की मंजूरी दी है और यह एग्जिट टेस्ट के रूप में कार्य करेगा तथा इसे राष्ट्रीय एग्जिट टेस्ट (एनईएक्सटी) कहा जाएगा।
    • इस प्रकार चिकित्सा-छात्रों को लाइसेंस प्राप्त करने के लिए कोई अन्य परीक्षा नहीं देनी होगी। एनईएक्सटी उन डॉक्टरों के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट के रूप में कार्य करेगा जिनके पास विदेशी चिकित्सा डिग्री है और वे भारत में चिकित्सा पेशा करने के इच्छुक हैं।
    • आयुष पेशेवरों द्वारा आधुनिक चिकित्सा का पेशा करने के लिए आवश्यक ब्रिज पाठ्यक्रम के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है। यह जिम्मेदारी राज्य सरकारों को दी गयी है कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रोत्साहन देने के लिए आवश्यक कदम उठाये।
    • निजी चिकित्सा संस्थानों तथा मानद विश्वविद्यालयों के शुल्क नियमन की अधिकतम सीमा को 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त यह भी स्पष्ट किया जाता है कि शुल्क में कॉलेजों द्वारा लिये जाने वाले अन्य सभी शुल्क शामिल होंगे।
    • एनएमसी में राज्यों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की मांग पर विचार करते हुए एनएमसी में राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों के नामित सदस्यों की संख्या 3 से बढ़ाकर 6 कर दी गयी है। एनएमसी में कुल 25 सदस्य होंगे और इनमें से 21 डॉक्टर होंगे।
    • विचार विमर्श करने के दौरान हितधारकों ने आर्थिक दंड पर चिंता व्यक्त की। कॉलेजों द्वारा नियम नहीं मानने पर किसी बैच से प्राप्त किये गये कुल शुल्क के आधे से 10 गुने तक आर्थिक दंड का प्रावधान है।
    • इस उपनियम के स्थान पर एक अन्य प्रावधान जोड़ा गया है। नये प्रावधान में चेतावनी के विभिन्न विकल्प, सामान्य आर्थिक दंड, नामांकन पर रोक तथा मान्यता समाप्त करना शामिल है।
    • सरकार नागरिकों के लिए उपलब्ध चिकित्सा सुविधा की गुणवत्ता व उनकी सुरक्षा के प्रति गंभीर है। अयोग्य व नीम हकीम चिकित्सकों को लिए सख्त दंड का प्रावधान किया गया है। अनधिकृत चिकित्सा सेवा देने पर एक साल के कारावास तथा 5 लाख रुपये तक के अर्थ दंड का प्रावधान किया गया है। 


    इंग्लिश

    Amendments to National Medical Commission (NMC) Bill approved
    Central government on March 29 approved amendments to the National Medical Commission (NMC) including removal of the contentious provision of bridge course which would have allowed practitioners of alternative medicines to pursue allopathy.
    Following are the amendments approved by the cabinet:
    1. Final Examination to be held as a common across the country and would serve as an exit test is called the National Exit Test (NET).
    2. Provision of Bridge course of AYUSH practisers to practice modern medicine removed.
    3. Fee regulation for 50 percent seats in private medical institutions and deemed universities. The maximum limit of 40 percent seats for which fee would be regulated in private medical institutions and deemed universities has been increased to 50% seats.
    4. Responding to the demands from states to increase the representation in the National Medical Council, the nominees of states and UTs in the NMC have been increased from 3 to 6.
    5. Monetary penalty for non-compliance to a medical college has been replaced with provision of different penalty options. The different options can be warning, reasonable monetary penalty, reducing intake, etc.
    6. The government is concerned about the quality and safety of healthcare being made available to the citizens and the need to act strictly against unqualified practitioners. That’s why, the punishment has been increased to one year jail and financial penalty of Rs. 5 lakh.


    मराठी

    ‘राष्ट्रीय वैद्यकीय आयोग (NMC)’ विधेयकात दुरुस्ती करण्यास मंजुरी

    पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या अध्यक्षतेखाली केंद्रीय मंत्रिमंडळाच्या बैठकीत ‘राष्ट्रीय वैद्यकीय आयोग (National Medical Commission -NMC)’ विधेयकामध्ये दुरुस्ती करण्यास मंजुरी देण्यात आली आहे.
    केंद्र शासनाने विधेयकातील या दुरुस्त्यांसाठी संसदीय समितीद्वारे संसदेत 20 मार्च 2018 रोजी सादर केलेल्या शिफारशी आणि वैदयकीय विद्यार्थी आणि संबंधित लोकांनी केलेल्या सूचना विचारात घेतल्या आहेत.
    या दुरुस्त्या पुढीलप्रमाणे आहेत -
    • अंतिम MBBS परीक्षा संपूर्ण देशात सामायिक परीक्षा म्हणून  घेतली जाईल आणि एक्सिट परीक्षेप्रमाणे याचे नाव नॅशनल एक्जिट टेस्ट (NEXT) असे असेल.
    • एक्सिट परीक्षेमुळे वैद्यकीय विद्यार्थ्यांना परवाना मिळवण्यासाठी अन्य कोणतीही परीक्षा द्यावी लागणार नाही. ही परीक्षा अशा चिकित्सकांसाठी स्क्रिनिंग परीक्षेच्या स्वरूपाची असेल, ज्यांच्याकडे परदेशातील वैद्यकीय पदवी आहे आणि भारतात वैद्यकीय व्यवसाय करण्यास उत्सुक आहेत.
    • AYUSH चिकित्सकांना आधुनिक वैद्यकीय व्यवसाय करता यावा, त्यासाठी आवश्यक ब्रिज अभ्यासक्रमाची तरतूद रद्द करण्यात आली आहे.
    • ग्रामीण भागात प्राथमिक आरोग्य सुविधांना प्रोत्साहन देण्यासाठी आवश्यक पावले उचलण्याची जबाबदारी राज्य शासनांवर सोपवण्यात आली आहे.
    • खासगी वैद्यकीय संस्था आणि अभिमत विदयापीठांमध्ये 50% जागांसाठी शुल्क नियमन करण्यात येईल. खासगी वैद्यकीय संस्था आणि अभिमत विदयापीठांमध्ये  शुल्क नियमनाची कमाल मर्यादा 40% वरून वाढवून 50% करण्यात आली आहे. या शुल्कात महाविदयालयांकडून घेण्यात येणारे अन्य सर्व शुल्क समाविष्ट असतील.
    • NMC मध्ये राज्ये आणि केंद्रशासित प्रदेशांकडून नामनिर्देशित सदस्यांची संख्या 3 वरून 6 पर्यंत वाढविण्यात आली आहे. NMC मध्ये एकूण 25 सदस्य असतील आणि यापैकी किमान 21 चिकित्सक असतील.
    • वैद्यकीय महाविद्यालयांनी नियम न पाळल्यास आर्थिक दंडाऐवजी विविध दंड पर्यायांची तरतूद करण्यात आली आहे.
    • महाविद्यालयांनी नियम न पाळल्यास त्या बॅचकडून मिळालेल्या एकूण शुल्काच्या 1.5-10 पट दंडाची तरतूद आहे. या ऐवजी विविध सुचना पर्याय, सामान्य आर्थिक दंड, प्रवेशावर बंदी आणि मान्यता रद्द करणे इत्यादी अन्य तरतूदी आहेत.
    • अपात्र वैद्यकीय व्यावसायिकांसाठी कठोर शिक्षेची तरतूद केली आहे. अवैध वैद्यकीय सेवा दिल्यास 1 वर्षाचा तुरुंगवास आणि 5 लक्ष रुपयांपर्यंत दंडाची तरतूद आहे.




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