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    Saturday, January 27, 2018

    सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पुनर्पूंजीकरण एवं इसके प्रभाव: Recapitalisation of Public Sector Banks and it's implication करेंट अफेयर्स २७ जनवरी २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी

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    करेंट अफेयर्स २७ जनवरी २०१८ हिंदी/ इंग्लिश/मराठी


    हिंदी

    सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पुनर्पूंजीकरण एवं इसके प्रभाव:
    सरकार ने पूंजी के अभाव से जूझ रहे सार्वजनिक क्षेत्र के 20 बैंकों में 88,139 करोड़ रुपये की पूंजी डालने की घोषणा की है। इसमें सबसे ज्यादा 10,610 करोड़ रुपये की पूंजी आईडीबीआई बैंक को दी जायेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि उनके मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डालने को लेकर विस्तृत विचार विमर्श के बाद योजना तैयार की है।
    सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 2.1 लाख करोड़ रुपये की नई पूंजी डालने की योजना पिछले साल अक्तूबर में घोषित की गई थी। इस योजना का क्रियान्वयन दो वित्त वर्षों 2017-18 और 2018-19 में किया जायेगा। जेटली ने यह घोषणा करते हुये कहा कि बैंकों की उच्च मानकों वाली संचालन व्यवस्था बनाने के लिये कदम उठाने की जरूरत है. बैंकों की पिछली स्थिति नहीं दोहराई जाये यह सुनिश्चित करने के लिये संस्थागत प्रणाली की जरूरत है।
    पुनर्पूंजीकरण सुदृढ़ सुधार पैकेज जिसमें छ: मूल विषय शामिल हैं, जिनमें 30 कार्य बिन्‍दुओं में अं‍कलित किया गया है। सुधार एजेंडा नवम्‍बर 2017 में हुए पीएसबी मंथन, जिसमें पीएसबी के वरिष्‍ठ प्रबंधन तथा सरकार के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था, मे की गई सिफारिशों पर आधारित है।
    सुधार एजेंडा ईएएसई (EASE) – ग्राहक के प्रति उत्‍तरदायित्‍व के छ: मूल विषय उत्‍तरदायी बैंकिंग, ऋण बढ़ोत्‍तरी, उद्यमी मित्र के रूप में पीएसबी, वित्‍तीय समावेशन, डिजिटलाइजेशन तथा ब्रांड पीएसबी के लिए कार्मिकों के तैयार करने पर लक्षित है। सुधार एजेंडे की व्‍यापक संरचना ‘’प्रभावी तथा उत्‍तरदायी पीएसबी’’ है।
    सरकार द्वारा पूंजी का निवेश सुधार के संबंध में पीएसबी के कार्यनिष्‍पादन के अनुरूप होगा। पीएसबी के पूर्णकालिक निदेशकों को कार्यान्‍वयन हेतु उद्देश्‍य-वार सुधार सौंपे जाएंगे। इस संबंध में उनके कार्यनिष्‍पादन का मूल्‍यांकन बैंक बोर्ड द्वारा किया जाएगा।
    पुनर्पूंजीकरण के प्रभाव:
    यह सुधार पैकेज वित्तीय समावेशन को मजबूत बनाने के बारे में गहनता से विचार करता है। दशकों में, वित्तीय समावेशन का बोझ पीएसबी पर काफी अधिक बढ़ गया है, जबकि निजी क्षेत्र के बैंक, मेट्रो और शहरी केंद्रों पर ही ग्राहकों की सेवा के लिए केंद्रित रहे हैं।
    यह सुधार पैकेज एमएसएमई को समर्थन देने के लिए बैंकों की जरूरतों के बारे में बातचीत करता है। नए मानदंडों ने बैंकों व इनके निदेशक मंडल पर प्रदर्शन का दबाव बढ़ाया है ताकि ऐसे संकट का दोहराव न हो। साथ ही इन बैंकों को ठीक ठाक पूंजी मिलेगी।
    साथ ही उम्मीद है कि फंसे कर्ज वाले बड़े खाते का समाधान और परिचालन में सुधार से प्रोफाइल बेहतर होगा और उन्हें बेहतर कीमत मिल पाएगी।
    सरकार ने स्पष्ट कहा है कि वह सुनिश्चित करेगी कि सभी बैंक न्यूनतम नियामकीय पूंजी की जरूरतों को पूरा करें। स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स की भारतीय सहायक क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक कृष्णन सीताराम ने कहा, पुनर्पूंजीकरण की योजना क्रेडिट के लिहाज से सकारात्मक है और इसकी सेवा शर्तें व निगरानी कारोबार में और अनुशासन ला सकती है।
    ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा कि इससे जोखिम घटाने में मदद मिलेगी, जिसका सामान भारतीय सरकारी बैंक कमजोर संपत्ति गुणवत्ता व कमजोर आय के चलते कर रहे हैं। हालांकि पूरा जोखिम समाप्त होने में वक्त लगेगा।


    इंग्लिश


    Recapitalisation of Public Sector Banks and it's implication
    The government has unveiled details of its bank recapitalization plan with a capital infusion of over Rs 88,000 crore in the current financial year for 20 state-run banks and linked it to a six point reform agenda to restore their health and step up lending to aid growth. According to government's plan, over the next two years it will use recapitalisation bonds worth Rs 1.35 lakh crore. It will also provide support of Rs 18,000 crore and the remaining Rs 58,000 crore will be raised by banks.
    The government expects that the measures undertaken will help additional credit off take capacity of state-run banks by more than Rs 5 lakh crore.
    The reform agenda is aimed at EASE (enhanced access and service excellence) and focuses on six themes of customer responsiveness, responsible banking, credit offtake, UdyamiMitra for small and medium enterprises, deepening financial inclusion and digitalisation and developing personnel.
    Implications:
    • Higher burden to support financial inclusion initiatives: The reform package talks about deepening of financial inclusion. Over the decades, the burden of financial inclusion fell on the PSBs, while private sector remained focused on metro and urban centres to serve the creamy customers.
    • Lower ticket size loans: The reform package talks about the need for banks to reorient themselves to support MSMEs. The banks today focus on all sorts of customers from large ones to very small ones like Mudra loan customers.
    • No universal banking for PSBs: The reform package says that bank should not get into all activities. They must concentrate on core strengths. They need to identify non- core assets to monetize. While the private sector banks like ICICI, Kotak and other banks are looking to expand in the financial services space, the government wants them to be narrowly focused on the banking business.
    • No word yet on HR reforms and incentives or variable pay: The root cause of the problem in PSBs is the archaic performance management systems. There is no proper appraisal system. Nor there are variable pay to reward the performers.
    • No more than 6-7 banks in a consortium: Most of the private banks today are retail banks and focus on working capital loans. The entire private banking industry has a market share of about 15 per cent. The PSBs are corporate banks.
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    मराठी

    सार्वजनिक क्षेत्रातील बँकांचे पुनर्भांडवलीकरण आणि त्याचा व्यवस्थेवर प्रभाव

    भारत सरकारने सार्वजनिक क्षेत्रातल्या 20 बँकांची परिस्थिती सुधारण्यासाठी सुमारे 88,100 कोटी रुपयांचे भांडवल गुंतवण्याची योजना तयार केली आहे.
    सार्वजनिक क्षेत्रातील बँकांचे (PSB) पुनर्भांडवलीकरण करण्याच्या उद्देशाने या भांडवळचा मोठा हिस्सा कमजोर पडलेल्या बँकांना वैश्विक भांडवल आवश्यकता सुनिश्चित करण्यासाठी मिळणार आहे. यामुळे कर्ज वृद्धी आणि अर्थव्यवस्थेत तेजी येण्यास मदत मिळणार.
    ज्या 11 बँकांना भारतीय रिजर्व्ह बँकेने त्वरित सुधारणा कृती (PCA) करण्यासाठी निवडले आहे, त्यांना 52,300 कोटी रुपये मिळणार आणि उर्वरित रक्कम बँकांना पुनर्भांडवलीकरण बॉन्डच्या माध्यमातून 82,800 कोटी रुपये मिळणार.  
    IDBI बँकेची अकार्यक्षम मालमत्ता (NPA) सर्व बँकांमध्ये सर्वाधिक जवळपास 25% आहे. त्यामुळे या बँकेला पुनर्भांडवलीकरण बॉन्डच्या माध्यमातून प्राप्त सर्वाधिक 10,600 कोटी रुपये मिळणार. त्यानंतर बँक ऑफ इंडियाला 9,200 कोटी रुपये, भारतीय स्टेट बँकला 8,800 कोटी रुपये, पंजाब नॅशनल बँकला 5,470 कोटी रुपये आणि बँक ऑफ बडौदाला 5,370 कोटी रुपये मिळणार.
    शासन 10 आणि 15 वर्षे दरम्यान 6 विविध परिपक्वता कालावधीचे बॉन्ड प्रस्तुत करणार. यावर व्याज त्रैमासिक स्वरुपात (सरकारी सेक्युरिटीजचे) आणि स्प्रेड मिळून दिले जाणार, परंतु ते 8% हून अधिक नसणार. बॉन्डचा दर्जा संवैधानिक तरलता गुणोत्तर (SLR) चे नसणार. SLR बँकांना जमा करण्याचा तो हिस्सा असतो, ज्याला सरकारी सेक्युरिटीजमध्ये गुंतविण्याची आवश्यकता असते.
    धोरण वर्धित प्रवेश आणि सेवा उत्कृष्टता (EASE)
    सुधारणा धोरण वर्धित प्रवेश आणि सेवा उत्कृष्टता (EASE) यावर लक्षित आहे. शासनाद्वारे भांडवलाच्या गुंतवणूक सुधारणा संबंधित PSB च्या प्रदर्शनारूप असणार. PSB च्या पूर्णकालिन निदेशकांना अंमलबाजवणीसाठी उद्देश्‍य निहाय सुधारणा सोपवले जाणार. या संबंधात त्यांच्या प्रदर्शनाचे मूल्‍यांकन बँकेच्या संचालक मंडळाद्वारे केले जाणार.
    प्रवेश आणि सेवा उत्कृष्ठतेसंबंधी लोकांच्या विचारांचे आकलन करण्यासाठी EASE संबंधी एक सर्वेक्षण स्‍वतंत्र संस्थेद्वारे केले जाईल. सर्वेक्षणाचे परिणाम दरवर्षी सार्वजनिक केले जातील.
    सुधारणांचा प्रभाव काय पडणार?
    या गुंतवणुकीमुळे बँकांची विनियमित आवश्यकता पूर्ण होण्यास मदत मिळणार आणि बँका अधिक कर्ज देण्यासही सक्षम होतील. बँकांना वित्तीय समावेशन आणि MSME वृद्धीवर लक्ष केंद्रित करत जबाबदार बनण्यास बांधिलकी पूर्ण करण्यास यामुळे मदत होईल.
    सार्वजनिक क्षेत्रातल्या बँकांमधील सुधारणांचा भाग म्हणून कर्जदातांच्या समूहाचा आकार कमी केला जाणार आणि प्रत्येक भागीदार बँकेला किमान 10% योगदान करावे लागणार. यापूर्वी कर्जदातांच्या समूहात 20-22 संस्था पर्यंत राहायच्या. मात्र नव्या सुधारणांमुळे आता मोठ्या कंपन्यांना कर्ज देणार्‍या समूहात 6-7 बँकाच राहतील.
    तसेच, बँकाना 250 कोटी रुपयांवरील कर्जाचा पाठपुरावा करण्यासाठी विशेष संनियंत्रण संस्थेसोबत जुडणे आवश्यक आहे. मोठ्या समूहाच्या कर्जासाठी, किमान प्रदर्शन 10% असावे लागणार. बँकाना एक थकीत मालमत्ता व्यवस्थापन व्यवस्था स्थापन करावी लागणार. शिवाय त्यांना एक मुख्य जोखीम अधिकारी नियुक्त करावा लागणार.

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