Current affairs 4 January 2018 - Hindi / English / Marathi
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जल मार्ग विकास परियोजना को मंजूरी दी:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने अपनी बैठक में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर नौवहन क्षमता मजबूत करने के लिए जलमार्ग विकास परियोजना के क्रियान्वयन को स्वीकृति दे दी है।
5369.18 करोड रूपए लागत की यह परियोजना विश्व बैंक की तकनीकी सहायता और निवेश समर्थन से लागू की जाएगी। मार्च 2023 तक परियोजना पूरी हो जाने की आशा है।
प्रमुख प्रभाव:
पर्यावरण अनुकूल और लागत प्रभावी परिवहन की वैकल्पिक सुविधा। इस परियोजना से देश में लॉजिस्टिक लागत कम करने में मदद मिलेगी।
मल्टी-मॉडल और इंटर-मॉडल टर्मिनलों, रोल ऑन- रोल ऑफ (आरओ-आरओ) सुविधाएं, फेरी सेवाएं, नौवहन सहायता जैसे विशाल अवसंरचना विकास।
सामाजिक-आर्थिक गति: विशाल रोजगार सृजन।
लाभार्थियों की संख्या:
राष्ट्रीय जलमार्ग-1 के विकास और संचालन से प्रत्यक्ष रूप से 46 हजार रोज़गार पैदा होंगे और जहाज निर्माण उद्योग द्वारा 84 हजार लोगों को अप्रत्यक्ष रोज़गार दिया जाएगा।
कवर किए गए राज्य/जिले:
राज्य: उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल
प्रमुख जिले: वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, बक्सर, छपरा, वैशाली, पटना, बेगूसराय, खगडिया, मुंगेर, भागलपुर, साहिबगंज, मुर्शिदाबाद, पाकुड़, हुगली और कोलकाता।
धनपोषण तरीका:
फेयरवे विकास, वाराणसी में मल्टीमॉडल टर्मिनल निर्माण, साहिबगंज में मल्टीमॉडल टर्मिनल निर्माण, हल्दिया में मल्टीमॉडल टर्मिनल निर्माण, कालूघाट में इंटरमॉडल टर्मिनल निर्माण, गाजीपुर में इंटरमॉडल टर्मिनल निर्माण, फरक्का में नए नेविगेशन लॉक का निर्माण, नौवहन सहायता का प्रावधान, टर्मिनलों पर रोल ऑन- रोल ऑफ (आरो-आरो) की पांच जोडि़यों का निर्माण, एकीकृत जहाज मरम्मत तथा रख रखाव परिसर का निर्माण, नदी सूचना प्रणाली (आरआईएस) तथा जहाज यातायात प्रबंधन प्रणाली (पीटीएमएस) का प्रावधान, किनारा संरक्षण कार्य।
पृष्ठभूमि:
राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर वाणिज्यिक लाभ तथा सुरक्षित नौवहन के लिए प्रमुख समस्याओं में एक फरक्का के कम गहराई का ऊर्ध्वप्रवाह है जिसका कारण सहायक नदियों का धीरे बहना और गंगा नदी का कठिन जलीय आकृति है। इस समस्या के समाधन के लिए भारत के अंतर-देशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा इलाहाबाद-गाजीपुर लंबाई पर पायलट अध्ययन कराया गया।
इस अध्ययन के तथ्यों के आधार पर 4,200 करोड़ रुपये (700 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की अनुमानित लागत से राष्ट्रीय जलमार्ग-1 के विकास के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया गया, ताकि विश्व बैंक से तकनीकी सहायता तथा तीन चरणों में 350 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश समर्थन प्राप्त किया जा सके।
वित्त मंत्री ने जुलाई 2014 में अपने बजट भाषण में जेएमवीपी की घोषणा की थी, ताकि गंगा में कम से कम 1500 टन के जहाज वाणिज्यिक नौवहन कर सके।
धनपोषण तरीकाः
आईबीआरडी ऋण घटक: 2,512 करोड़ रूपए (375 मिलियन अमेरिकी डालर), भारत सरकार समकक्ष कोष: 2,556 करोड़ रूपए (380 मिलियन अमेरिकी डालर) इसका स्रोत बजटीय आवंटन और बांड इश्यू से प्राप्तियां हैं।
पीपीपी मोड के अंतर्गत निजी क्षेत्र भागीदारी: 301 करोड़ रूपए (45 मिलियन अमेरिकी डालर)
राष्ट्रीय राजमार्ग-1 पर नदी सूचना सेवा (आरआईएस):
आईडब्ल्यूएआई ने भारत में पहली बार राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर नदी सूचना सेवा प्रणाली स्थापित करने की तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण परियोजना शुरू की है। नदी सूचना प्रणाली (आरआईएस) उपकरण, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी सेवाएं है जिसका उद्देश्य अंतर-देशीय नौवहन में अधिकतम यातायात और परिवहन प्रक्रिया हैं।
Union Cabinet approves Jal Marg Vikas Project
The Cabinet Committee on Economic Affairs approved implementation of the Jal Marg Vikas Project (JMVP) for capacity augmentation of navigation on National Waterway-1 (NW-1) at a cost of Rs 5,369. It involves developing a 1,620-km navigable waterway between Haldia and Varanasi. The project is expected to be completed by March, 2023.
Inland Waterways Authority of India vice chairman Pravir Pandey stated that many car-makers have already approached for using this waterway to transport their vehicles. Hyundai wants to utilise this channel.
Aim:
World Bank Helped for the project:
World Bank has sanctioned a loan that would fund 50 per cent of the project cost, efforts were on to raise resources which may then minimise the loan requirement.
या योजनेंतर्गत इलाहाबाद ते हल्दिया दरम्यान 1620 किलोमीटर लांब जलमार्ग विकसित केला जाणार आहे. या मार्गावर कमीतकमी 1500-2000 टन वजनी भार असणारे मालवाहू जहाजे चालणार.
ही योजना भारतीय आंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरणकडून राबविण्यात येणार आहे. 5369.18 कोटी रुपयांच्या या प्रकल्पाला जागतिक बँकेकडून तांत्रिक आणि गुंतवणूक मदत प्राप्त होणार आहे. मार्च 2023 पर्यंत प्रकल्प पूर्ण होण्याचे अपेक्षित आहे.
ठळक बाबी
फेयर-वे विकास; वाराणसी, साहिबगंज, हल्दिया या ठिकाणी बहू-रचना टर्मिनल निर्मिती; कालूघाट, गाजीपुर या ठिकाणी आंतर-रचना टर्मिनल निर्मिती; फरक्कामध्ये नवीन नेव्हिगेशन लॉकची निर्मिती; जलवाहतुकीस मदतीची तरतूद; टर्मिनलवर RO-RO च्या 5 जोडींची बांधणी; एकात्मिक जहाज दुरूस्ती व देखरेख परिसराची निर्मिती; नदी माहिती प्रणाली (RIS) आणि जहाज रहदारी व्यवस्थापन प्रणाली (PTMS) ची तरतूद; तट संरक्षण कार्य अश्या बाबींचा समावेश आहे.
वर्तमानात देशात कार्यरत 5 राष्ट्रीय जलमार्ग आहेत आणि 106 मार्गांचा अभ्यास केला जात आहे –
Hindi
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जल मार्ग विकास परियोजना को मंजूरी दी:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने अपनी बैठक में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर नौवहन क्षमता मजबूत करने के लिए जलमार्ग विकास परियोजना के क्रियान्वयन को स्वीकृति दे दी है।
5369.18 करोड रूपए लागत की यह परियोजना विश्व बैंक की तकनीकी सहायता और निवेश समर्थन से लागू की जाएगी। मार्च 2023 तक परियोजना पूरी हो जाने की आशा है।
प्रमुख प्रभाव:
पर्यावरण अनुकूल और लागत प्रभावी परिवहन की वैकल्पिक सुविधा। इस परियोजना से देश में लॉजिस्टिक लागत कम करने में मदद मिलेगी।
मल्टी-मॉडल और इंटर-मॉडल टर्मिनलों, रोल ऑन- रोल ऑफ (आरओ-आरओ) सुविधाएं, फेरी सेवाएं, नौवहन सहायता जैसे विशाल अवसंरचना विकास।
सामाजिक-आर्थिक गति: विशाल रोजगार सृजन।
लाभार्थियों की संख्या:
राष्ट्रीय जलमार्ग-1 के विकास और संचालन से प्रत्यक्ष रूप से 46 हजार रोज़गार पैदा होंगे और जहाज निर्माण उद्योग द्वारा 84 हजार लोगों को अप्रत्यक्ष रोज़गार दिया जाएगा।
कवर किए गए राज्य/जिले:
राज्य: उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल
प्रमुख जिले: वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, बक्सर, छपरा, वैशाली, पटना, बेगूसराय, खगडिया, मुंगेर, भागलपुर, साहिबगंज, मुर्शिदाबाद, पाकुड़, हुगली और कोलकाता।
धनपोषण तरीका:
- आईबीआरडी ऋण घटक: 2,512 करोड़ रूपए (375 मिलियन अमेरिकी डालर)
- भारत सरकार समकक्ष कोष: 2,556 करोड़ रूपए (380 मिलियन अमेरिकी डालर) इसका स्रोत बजटीय आवंटन और बांड इश्यू से प्राप्तियां हैं।
- पीपीपी मोड के अंतर्गत निजी क्षेत्र भागीदारी: 301 करोड़ रूपए (45 मिलियन अमेरिकी डालर)
फेयरवे विकास, वाराणसी में मल्टीमॉडल टर्मिनल निर्माण, साहिबगंज में मल्टीमॉडल टर्मिनल निर्माण, हल्दिया में मल्टीमॉडल टर्मिनल निर्माण, कालूघाट में इंटरमॉडल टर्मिनल निर्माण, गाजीपुर में इंटरमॉडल टर्मिनल निर्माण, फरक्का में नए नेविगेशन लॉक का निर्माण, नौवहन सहायता का प्रावधान, टर्मिनलों पर रोल ऑन- रोल ऑफ (आरो-आरो) की पांच जोडि़यों का निर्माण, एकीकृत जहाज मरम्मत तथा रख रखाव परिसर का निर्माण, नदी सूचना प्रणाली (आरआईएस) तथा जहाज यातायात प्रबंधन प्रणाली (पीटीएमएस) का प्रावधान, किनारा संरक्षण कार्य।
पृष्ठभूमि:
राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर वाणिज्यिक लाभ तथा सुरक्षित नौवहन के लिए प्रमुख समस्याओं में एक फरक्का के कम गहराई का ऊर्ध्वप्रवाह है जिसका कारण सहायक नदियों का धीरे बहना और गंगा नदी का कठिन जलीय आकृति है। इस समस्या के समाधन के लिए भारत के अंतर-देशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा इलाहाबाद-गाजीपुर लंबाई पर पायलट अध्ययन कराया गया।
इस अध्ययन के तथ्यों के आधार पर 4,200 करोड़ रुपये (700 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की अनुमानित लागत से राष्ट्रीय जलमार्ग-1 के विकास के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया गया, ताकि विश्व बैंक से तकनीकी सहायता तथा तीन चरणों में 350 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश समर्थन प्राप्त किया जा सके।
वित्त मंत्री ने जुलाई 2014 में अपने बजट भाषण में जेएमवीपी की घोषणा की थी, ताकि गंगा में कम से कम 1500 टन के जहाज वाणिज्यिक नौवहन कर सके।
धनपोषण तरीकाः
आईबीआरडी ऋण घटक: 2,512 करोड़ रूपए (375 मिलियन अमेरिकी डालर), भारत सरकार समकक्ष कोष: 2,556 करोड़ रूपए (380 मिलियन अमेरिकी डालर) इसका स्रोत बजटीय आवंटन और बांड इश्यू से प्राप्तियां हैं।
पीपीपी मोड के अंतर्गत निजी क्षेत्र भागीदारी: 301 करोड़ रूपए (45 मिलियन अमेरिकी डालर)
राष्ट्रीय राजमार्ग-1 पर नदी सूचना सेवा (आरआईएस):
आईडब्ल्यूएआई ने भारत में पहली बार राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर नदी सूचना सेवा प्रणाली स्थापित करने की तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण परियोजना शुरू की है। नदी सूचना प्रणाली (आरआईएस) उपकरण, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी सेवाएं है जिसका उद्देश्य अंतर-देशीय नौवहन में अधिकतम यातायात और परिवहन प्रक्रिया हैं।
English
Union Cabinet approves Jal Marg Vikas Project
The Cabinet Committee on Economic Affairs approved implementation of the Jal Marg Vikas Project (JMVP) for capacity augmentation of navigation on National Waterway-1 (NW-1) at a cost of Rs 5,369. It involves developing a 1,620-km navigable waterway between Haldia and Varanasi. The project is expected to be completed by March, 2023.
Inland Waterways Authority of India vice chairman Pravir Pandey stated that many car-makers have already approached for using this waterway to transport their vehicles. Hyundai wants to utilise this channel.
Aim:
- The alternative mode of transport will be environment-friendly and cost effective, besides, bringing down the logistics cost in the country. It is being tried to save Rs 5000 per car while protecting the environment and decongesting roads.
World Bank Helped for the project:
World Bank has sanctioned a loan that would fund 50 per cent of the project cost, efforts were on to raise resources which may then minimise the loan requirement.
Marathi
केंद्रीय मंत्रिमंडळाने जलमार्ग विकास प्रकल्पाला मंजूरी दिली
पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या अध्यक्षतेत मंत्रिमंडळाच्या आर्थिक विषयक समितीने जलवाहतूक क्षमता बळकट करण्यासाठी जागतिक बँकेद्वारा समर्थित 5369.18 कोटी रुपयांच्या हल्दिया-वाराणसी विभागादरम्यानच्या 'राष्ट्रीय जलमार्ग-1' यावर जलमार्ग विकास प्रकल्प (JMVP) ला मंजूरी प्रदान केली.या योजनेंतर्गत इलाहाबाद ते हल्दिया दरम्यान 1620 किलोमीटर लांब जलमार्ग विकसित केला जाणार आहे. या मार्गावर कमीतकमी 1500-2000 टन वजनी भार असणारे मालवाहू जहाजे चालणार.
ही योजना भारतीय आंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरणकडून राबविण्यात येणार आहे. 5369.18 कोटी रुपयांच्या या प्रकल्पाला जागतिक बँकेकडून तांत्रिक आणि गुंतवणूक मदत प्राप्त होणार आहे. मार्च 2023 पर्यंत प्रकल्प पूर्ण होण्याचे अपेक्षित आहे.
ठळक बाबी
- जागतिक बँकेकडून 2,512 कोटी रुपये प्राप्त होणार आणि भारत सरकारकडून अर्थसंकल्पीय वाटपातून आणि बॉन्डमार्फत 2,556 कोटी रूपये गुंतवले जाणार. सार्वजनिक-खाजगी भागीदारी तत्वावर 301 कोटी रुपये उभे केले जाणार आहेत.
- पर्यावरणास अनुकूल आणि जलवाहतुकीस वैकल्पिक सुविधा उपलब्ध करून देण्याच्या उद्देशाने असलेला हा प्रकल्प देशात माल-वाहतूकीचा खर्च कमी करण्यासाठी महत्त्वपूर्ण ठरणार आहे.
- बहू-रचना आणि आंतर-रचना टर्मिनल, रोल ऑन - रोल ऑफ (RO-RO) सुविधा, फेरी सेवा, जलवाहतुक सहाय्य यासारख्या मोठ्या संरचनेचा विकास करण्यात येणार आहे.
- राष्ट्रीय जलमार्ग-1 च्या विकासाने प्रत्यक्ष रूपात 46 हजार रोजगार तर जहाज बांधणी उद्योगात 84 हजार लोकांना अप्रत्यक्ष रोजगार मिळू शकणार.
फेयर-वे विकास; वाराणसी, साहिबगंज, हल्दिया या ठिकाणी बहू-रचना टर्मिनल निर्मिती; कालूघाट, गाजीपुर या ठिकाणी आंतर-रचना टर्मिनल निर्मिती; फरक्कामध्ये नवीन नेव्हिगेशन लॉकची निर्मिती; जलवाहतुकीस मदतीची तरतूद; टर्मिनलवर RO-RO च्या 5 जोडींची बांधणी; एकात्मिक जहाज दुरूस्ती व देखरेख परिसराची निर्मिती; नदी माहिती प्रणाली (RIS) आणि जहाज रहदारी व्यवस्थापन प्रणाली (PTMS) ची तरतूद; तट संरक्षण कार्य अश्या बाबींचा समावेश आहे.
वर्तमानात देशात कार्यरत 5 राष्ट्रीय जलमार्ग आहेत आणि 106 मार्गांचा अभ्यास केला जात आहे –
- राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (1620 किमी) : इलाहाबाद-हल्दिया (गंगा-भागीरथी-हुगली नदीचा भाग) (वर्ष 1986 मध्ये घोषित)
- राष्ट्रीय जलमार्ग-2 (891 किमी) : सदिया-धुबरी (ब्रह्मपुत्र नदी) (वर्ष 1988 मध्ये घोषित)
- राष्ट्रीय जलमार्ग-3 (205 किमी) : चम्पाकारा आणि उद्योग मंडल कॅनल सहित कोल्लम-कोट्टापुरम (पश्चिम तट कॅनल) (वर्ष 1993 मध्ये घोषित)
- राष्ट्रीय जलमार्ग-4 (1078 किमी) : (i) काकीनाडा-पुडुचेरी आणि कालुवेली टँक (ii) गोदावरी नदीत नाशिक-भद्रचलम-राजामुंद्री (iii) कृष्णा नदीत गंलागली-वजीराबाद-विजयवाडा
- राष्ट्रीय जलमार्ग-5 (588 किमी) : (i) तालचेर-धर्मा (ii) ईस्ट कोस्ट कालव्याचे गेओंखली-चारबाटीया (iii) मताई नदी आणि महानदी संगम नदीत हर्बाटिया-धर्मा
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